प्रभू की शरण ही अंतिम शरण होती है: साध्वी शुभंकराश्री

शिवपुरी। प्रभु की शरण अंतिम शरण होती है जो प्रभु की शरण ले लेता है उसे मंझधार में भी आधार मिल जाता है। शर्त सिर्फ यह है कि ईश्वर के प्रति श्रद्धा अटूट होनी चाहिए। उक्त उद्गार प्रसिद्ध जैन साध्वी शुभंकराश्री ने आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये।

उन्होने आगे भक्तामर स्त्रोत के शास्त्रीय पहलुओं का भी विवेचन किया और स्पष्ट किया कि इसी कारण इसमें चमत्कारिक शक्ति है।

धर्मसभा में आगे साध्वी ने बताया कि जैन धर्म के मंत्रों में चाहे नवकार महामंत्र हो या भक्तामर स्त्रोत इतनी शक्ति होती है कि उनके प्रति श्रद्धा रखने से न केवल यह लोक बल्कि परलोक भी सुधरता है।

मंत्रों के चमत्कारिक प्रभाव से सांसारिक जीवन के अलावा मोक्ष मार्ग का रास्ता भी आसानी से सुगम किया जा सकता है। साध्वी शुभंकराश्री ने बताया कि भक्तामर स्त्रोत की रचना आचार्य मानतुंग ने की थी और जब उन्हें 48 तालों में कैद कर दिया गया तो उन्होंने जैसे ही एक श£ोक का पाठ किया वैसे ही एक ताला खुल गया और इस तरह से 48 श£ोकों का पाठ कर सभी ताले खुल गए।

इससे स्पष्ट होता है कि उन्होंने कहा कि जिन घरों में भक्तामर स्त्रोत का पाठ होता है उनसे आसुरिक शक्तियां दूर रहती हैं और आसपास एक सुरक्षा कवच का निर्माण हो जाता है जो हमें हर विपत्ति से बचाता है।

चातुर्मास के दौरान 5 अगस्त से धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू होगी। 5 अगस्त से 16 अगस्त तक सुबह 9 बजे से 11 बजे तक भक्तामर संपुट पूजन का कार्यक्रम होगा।

इसमें आराधक पूजा की ड्रेस में तथा आसन लेकर आएंगे। 18 अगस्त से कालसर्प दोष एवं नवग्रह दोष निवारण पूजन जैन विधि द्वारा किया जायेगा। कालसर्प दोष  पूजन का नकरा 1161 रुपये तथा नवग्रह दोष पूजन का नकरा 711 प्रति व्यक्ति निर्धारित किया गया है।

 इसमें जैन अजैन सभी भाग ले सकते हैं। 19 अगस्त को नवकार दरबार में मृर्तिस्थापना एवं 18 अभिषेक का कार्यक्रम होगा तथा 20 अगस्त से पाटलापूजन एवं 68 दिवसीय जाप को शुभारंभ होगा। जाप समय प्रतिदिन रात्रि सवा 8 से सवा 9 बजे तक और इसके पश्चात आरती होगी।