इंसान की खोपड़ी ऐसी है जिसमे संतोष नही है: मुनि श्री अभय सागर

शिवपुरी। आज का मानव अगर वर्तमान में रहना सीख जाये तो सुखी हो सकता है, वर्तमान में जीकर ही भविष्य को संवारा जा सकता है, और दूसरा कोई रास्ता नहीं है। परंतु आज इंसान वर्तमान में न जीकर भविष्य की योजना बनाने में उलझा रहता है जिससे दुख ही भोगना पड़ता है।

उक्त मंगल प्रवचन संत शिरोमणी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम षिष्य पूज्य मुनि श्री अभय सागर जी महाराज ने श्री आदिनाथ दिग वर जैन मंदिर पर हुयी विशाल धर्मसभा में दिये।


धर्मसभा को संबोधित करते हुये मुनिश्री ने कहा कि आज हमारे पास संपदा तो है पर शांति नहीं है। इसका कारण है हम वर्तमान में न जीकर या तो भूत में उलझे हैं या भविष्य में। और इस कारण हमें जो प्राप्त है उसमें हम संतुष्ट न रहकर और अधिक पाने की चाहत में न जाने कितने प्रपंच करते रहते हैं, यहि कारण है कि हम कभी संतुष्ट नहीं रह पाते।

धर्मसभा के दौरान पूज्य मुनिश्री प्रभातसागर जी महाराज ने कहा कि दुनिया में प्रत्येक प्राणी को जीने का अधिकार है, ऐसे में हमें याल रखना चाहिये कि हमारे कारण किसी भी प्राणी को कोई कष्ट न पहुंचे।

वहीं पूज्य मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज ने अपने उद्बोदन में कहा कि इंसान की खोपड़ी ऐसी है जिसमें संतोष नहीं है, आज का इंसान कितनी भी दौलत कमाले परंतु और ज्यादा कमाने की चाहत उसे सुख से नहीं रहने देती।

दौलत कमाने की चाह में इंसान भूल जाता है कि अंत समय में किया गया पुण्य ही साथ जायेगा। इसलिये दौलत के साथ कुछ पुण्य भी कमाओ जिससे आने वाले भव सुधर सकें।

धर्मसभा के प्रारंभ में द्वीप प्रज्जवलन सेठ चंद्रकुमार पत्ते वालों एवं़ चातुर्मास कमेंटी के संयोजक चौ. अजित जैन, राजकुमार जड़ीबूटी, चन्द्रसेन जैन गंजवाले, प्रकाष जैन, ने किया स्वागत भाषण वीरेन्द्र जैन पत्ते वालों ने दिया तथा मंगलाचरण मेहुल जैन ने किया।

इसके पूर्व पोहरी विधायक प्रहलाद भारती, नगरपालिका अध्यक्ष मुन्नाला कुशवाह, समस्त जिनालयों के पदाधिकारियों, बाहर के अतिथियों, चातुर्मास कमेंटी के सदस्यों व समस्त संगठनों ने पुज्य मुनिश्री के चरणों में श्रीफ ल समर्पित किया।