शिवपुरी। शहर के हृदय स्थल माधवचौक एबी रोड पर स्थित लगभग 10 हजार वर्ग फुट में बने बीआर टॉवर को नगरपालिका द्वारा तोड़े जाने की कार्यवाही पर विराम लग गया है।
नगरपालिका ने उक्त निर्माण को अवैध ठहराते हुए टॉवर संचालक महेन्द्र गोयल पर 6 करोड़ 62 लाख रुपये जुर्माना अधिरोपित किया था और जुर्माना अदा न करने पर अवैध निर्माण को तोडऩे का आदेश दिया था, लेकिन टॉवर संचालक महेन्द्र गोयल के अनुसार नगरपालिका द्वारा उनके निर्माण ढहाये जाने के आदेश पर माननीय उच्च न्यायालय ने स्टे ऑर्डर जारी कर दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश से टॉवर संचालक को राहत मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीआर टॉवर में व्हीमार्ट शोरूम और बैंक ऑफ इंडिया संचालित हैं। बीआर टॉवर में तलघर भी निर्मित है जिसका व्यवसायिक उपयोग न होते हुए पार्किंग के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है।
नगरपालिका ने बीआर टॉवर के समूचे निर्माण को अवैध ठहराते हुए टॉवर संचालक को जनवरी माह में नोटिस जारी किया। बताया जाता है कि इसका जबाव जब टॉवर संचालक ने प्रस्तुत किया तो नगरपालिका ने उक्त जबाव को नियत समयावधि के पश्चात ठहराते हुए एक पक्षीय रूप से कार्यवाही करने का मन बना लिया।
नोटिस में नगरपालिका ने अनुमति के विपरीत निर्माण कार्य करने, बिना अनुमति के तलघर निर्माण करने और बिना अनुमति के ऊपरी मंजिल पर निर्माण किये जाने की बात कही। नोटिस के बाद नगरपालिका ने बीआर टॉवर संचालक महेन्द्र गोयल पर 6 करोड़ 62 लाख 86 हजार 836 रुपये का जुर्माना अधिरोपित कर दिया।
नगरपालिका अधिकारियों का कहना है कि अनुमति दुकान निर्माण की ली गई थी, लेकिन दुकानें न बनाते हुए टॉवर संचालक ने हॉल का निर्माण किया और उसे व्यवसायिक उपयोग हेतु किराये पर दे दिया। इस कारण टॉवर संचालक पर 2 करोड़ 20 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया, वहीं अवैध तलघर निर्माण पर इतनी ही राशि और ऊपरी मंजिल पर निर्माण किये जाने पर 2 करोड़ 22 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
इस तरह से नगरपालिका ने टॉवर संचालक को अवैध निर्माण के कारण 6 करोड़ 62 लाख 86 हजार 836 रुपये जुर्माने के रूप में अदा करने का आदेश दिया। मु य नगरपालिका अधिकारी कमलेश शर्मा ने बताया था कि नगरपालिका अधिनियम का उपयोग कर यह कार्यवाही की गई है।
इसके बाद जुर्माना जमा करने के लिये नगरपालिका द्वारा पहले सात दिन और फिर तीन दिन का नोटिस जारी किया गया जिसकी समयावधि 5 मार्च को समाप्त हुई, लेकिन नगरपालिका के आदेश से व्यथित होकर महेन्द्र गोयल ने उच्च न्यायालय की शरण ली, जहां नगरपालिका ने पहले से ही केबिएट प्रस्तुत कर रखी थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने स्टे ऑर्डर जारी कर उन्हें राहत प्रदान की।
आश्चर्य सिर्फ बीआर टॉवर ही निशाने पर क्यों?
शिवपुरी में अवैध निर्माण की भरमार है। यहां हजारों मकान बिना अनुमति या अनुमति के बावजूद स्वरूप परिवर्तन कर बने हैं। सैंकड़ों तलघरों का निर्माण भी हो चुका है और न केवल बिना अनुमति के तलघर बने हैं, बल्कि तलघरों का खुलेआम व्यवसायिक उपयोग भी किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में अकेली बीआर टॉवर को निशाना बनाने का कारण क्या है यह अबूझ पहेली बनी हुई है।
इसके बाद आनन-फानन में अवैध तलघर निर्माणकर्ताओं के विरूद्ध नोटिस जारी कर दिये गये हैं, लेकिन उनके खिलाफ बीआर टॉवर जैसी स त से स त कार्यवाही होगी इसमें संशय बना हुआ है। टॉवर संचालक महेन्द्र गोयल भी नहीं समझ पा रहे कि उनका ऐसा क्या अक्ष य अपराध हो गया कि नगरपालिका प्रशासन उन्हें नेस्तनाबूत करने पर उतारू हो गया।
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