शिवपुरी की सड़कों को लेकर हाईकोर्ट सख्त, शासन से दस दिन में मांगा जवाब

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शिवपुरी। मप्र सरकार में ताकतवर केबीनेट मंत्री यशोधराराजे सिंधिया की विधान सभा क्षेत्र शिवपुरी की सडको को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटना पड़ा। सीवर प्रोजेक्ट के तहत खोदी गई सडको से धूल के गुबांर उडते रहते है। प्रशासन केवल बजट लाने-आने के प्रेस नोट की भेजता रहता है।

शासन के इसी रवैये से परेशान होकर हाईकोर्ट में सडको की दुरस्ती करण के लिए एक शिवपुरी निवासी ने एक पीआईएल दायर की थी। इसी पीआईएल की सुनवाई  के दौरान हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन से फण्ड रिलीज न करने पर दस दिन के भीतर जवाब मांगा है।  साथ ही निर्देश दिए हैं कि अगर दस दिवस के भीतर शासन ने जवाब नहीं दिया तो प्रिंसिपल सेकेट्री स्वयं न्यायालय में उपस्थित होकर अपना जवाब प्रेषित करना होगा।

यह निर्णय माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर खण्डपीठ युगल पीठ के यूसी माहेश्वरी और शीलनागू ने दिया है। उक्त जानकारी नपा की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट जेडी सूर्यवंशी ने फोन पर चर्चा के दौरान दी।

विदित हो कि सड़कों के टूटने व नपा प्रशासन द्वारा और पीएचई द्वारा सड़कों का दुरुस्तीकरण नहीं कराए जाने से आमजन को धूल और गड्ढों से भारी परेशानी हो रही थी। जिसे ध्यान में रखते हुए एक जनहित याचिका माननीय उच्च न्यायालय में दायर की गई जिसका आदेश सुनाते हुए न्यायालय ने नपा प्रशासन सहित जिला प्रशासन को जल्द ही टूटी पड़ी सड़कों को सही करने और किए गए कार्य की मासिक रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया।

लेकिन उक्त सड़कों के लिए राज्य शासन द्वारा पैसा न दिए जाने से यह कार्य रूका पड़ा है। जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए आदेश दिया है कि 30 मार्च तक मध्यप्रदेश शासन अपना जवाब प्रस्तुत करे कि अभी तक सड़कों के दुरूस्तीकरण के लिए पैसा क्यों जारी नहीं किया गया। युगल पीठ ने यह भी कहा कि अगर दी गई समयावधि में शासन ने अपना जवाब स्पष्ट नहीं किया तो प्रिंसिपल सेकेट्री स्वयं न्यायालय में उपस्थित होकर अपना जवाब दें।

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