CMO ने फिर लटकाईं शिवपुरी की सड़कों की मरम्मत

शिवपुरी। नपा के हर काम में कमीशनखोरी के आरोपों का सामना कर रहे सीएमओ कमलेश शर्मा ने शिवपुरी की सड़कों की मरम्मत का काम रुकवा दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद शर्मा सड़कों की मरम्मत के काम में देरी करना चाहते हैं, इसी के चलते उन्होंन एक ऐसी शर्त रखी है जिसे पूरा नहीं किया जा सकता।

सीएमओ ने पीएचई विभाग से एक अजीब सर्टिफिकेट की मांग की है। कहा है ​कि पीएचई विभाग को लिखित गारंटी देना होगी कि सड़कें बनाने के बाद मिट्टी धसकेगी नहीं। इतिहास गवाह है कि ऐसा कोई प्रमाण पत्र इससे पहले कभी जारी नहीं हुआ, लेकिन सीएमओ ने मांग लिया। क्यों मांगा बताने की जरूरत नहीं, वो सिर्फ सड़कों की मरम्मत के काम में देरी करना चाहते हैं। नई नई परिषद का गठन हुआ है, सेटिंग वेटिंग जम जाए फिर कराएंगे मरम्मत।

विदित हो कि सीवर प्रोजेक्ट के तहत शहरभर में खुदाई का कार्य किया जा रहा है जिन स्थानों पर खुदाई की जा चुकी है, वहां निर्माण कंपनी ने खुदाई वाले स्थान का समतलीकरण नहीं किया और ऐसे ही गड्ढों को मिट्टी से भर दिया गया जिस कारण मिट्टी धसने से कई हादसे घटित हुये और वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए।

वहीं शहर में उड़ती धूल से आमजन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। इन्हीं सभी समस्याओं को लेकर अभिभाषक विजय तिवारी ने एक जनहित याचिका माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल की जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने शासन तथा नपा शिवपुरी को आदेश दिया कि शिवपुरी की सड़कों को दुरूस्त किया जाये तथा प्रत्येक माह की 9 तारीख को इस बावत् उच्च न्यायालय में रिपोर्ट पेश की जाये।

माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पीएचई विभाग सक्रिय हुआ और होटल सोन चिरैया से लेकर सम्पबेल तक खोदी गई सड़क का समतलीकरण उस पर गिट्टी और मिट्टी डालकर रास्ते को सही किया जा रहा है लेकिन नपा सीएमओ कमलेश शर्मा इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि पीएचई जब तक नपा को मिट्टी न धसकने का प्रमाण पत्र नहीं देगी तब तक वह उस पर सड़क बिछाने का कार्य नहीं करेंगे।

वहीं पीएचई के कार्यपालन यंत्री बीके छारी नपा सीएमओ के इस निर्णय से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि मिट्टी न धसकने का प्रमाण पत्र हमारा विभाग जारी नहीं करेगा। यह तो विचित्र बात है कि नपा सीएमओ ऐसा कह रहे हैं। मिट्टी न धसकने की गारंटी हम कैसे दे सकते हैं।

कुल मिलाकर एक बार फिर काम को लटकाने की रणनीति पर काम शुरू हो गया है। अब देखना रोचक होगा कि हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करने वाले सीएमओ का अगली पेशी में क्या होता है।