नि:शुल्क परीक्षण: शिवपुरी में मरीज तलाशने आया Noble Multispeciality Hospital

शिवपुरी। वो दिन अब लद गए जब डॉक्टर भगवान और चिकित्सा सेवा हुआ करती थी। अब तो यह पूरी तरह से कॉर्पोरेट बिजनेस हो गया है जो समाजसेवा की आढ़ में चलाया जा रहा है। पहले मरीज डॉक्टरों की तलाश में दूसरे शहरों में जाया करते थे परंतु अब डॉक्टर खुद मरीजों की तलाश में शहर दर शहर भटक रहे हैं। शिवपुरी में संडे को आयोजित हृदय रोगियों का नि:शुल्क परीक्षण शिविर इसी सीरियल का एक ऐपिसोड है।

मजेदार बात तो यह है कि ग्राहकों की लाश में निकले इन डॉक्टरों को विज्ञापन भी नहीं देने पड़ते। अखबारों में नि:शुल्क शिविर के नाम पर खबरें छप जातीं हैं, लोगों को लगता है समाजसेवा हो रही है और अस्पतालों की चांदी हो जाती है। पूरे देश में हार्टपेशेंट को झांसे में लेकर एंजियोप्लास्टी का खेल चल रहा है।

भोपाल का नोबल कार्डियक सेंटर यहां ऐसे मरीजों की तलाश में आया है जिन्हें सरकारी खर्चे पर इलाज की पात्रता हासिल हो। लगे हाथ कुछ और मरीज भी मिल जाएं तो बेहतर होगा। शिवपुरी की कुछ समाजसेवी संस्थाओं से गठबंधन कर संडे को एक नि:शुल्क् हृदयरोग परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया है।

इस शिविर में आए मरीजों का केवल परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए भोपाल बुलाया जाएगा जहां उन्हें तमाम मंहगी फीस अदा करनी होंगी। वहां कुछ भी नि:शुल्क नहीं होगा। अडेंटर का दलिया भी नहीं।

मरीजों की तलाश में अस्पताल के कार्डियक सर्जन डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, कार्डियो लॉजिस्ट डॉ. शिवसागर मांडिये और डॉ. अमित कोचेटा यहां आने वाले हैं। कहा जाता है कि हृदयरोग अब दहशत का धंधा हो गया है। मरीज को कुछ मालूम नहीं होता, परिजन घबराए हुए होते हैं, एंजियोग्राफी के नाम पर 20 हजार का चंदा लगाओ और फिर बताओ 97 प्रतिशत ब्लॉकेज हैं। रिपोर्ट में कोई दावा नहीं होता, बस एक अंदाजा होता है। एंजियोग्राफी की सीडी 4 अलग अलग डॉक्टरों को दिखाओ तो 4 अलग अलग डराने वाले डायलॉग मिलते हैं। टारगेट सिर्फ एक होता है किसी भी तरह से मरीज की एंतिजोप्लास्टी कर दी जाए। डेढ़ दो लाख जो भी मिल जाएं।

यदि मरीज सरकारी योजनाओं की पात्रता रखता तो फिर कहना ही क्या। सरकार को चूना लगाना सबसे आसान काम है। उसे वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है, तब तक जब तक कि एंजियोप्लास्टी ना हो जाए। एक बार बिल बना, मरीज के हस्ताक्षर किए और फिर नमस्कार, भले ही आपरेशन के 7वें दिन मरीज को अटैक आ जाए।

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