शिवपुरी। एक साल पहले हुए विधानसभा चुनाव और 6 माह पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में 15-15 हजार मतों की शानदार बढ़त शहर से प्राप्त करने के बावजूद इस नगरपालिका अध्यक्ष के चुनाव में यदि भाजपा आज संकट के बादल छाए तो इसका एक मात्र कारण भाजपा के अध्यक्ष का पिछला कार्यकाल रहा है।
जब-जब भी इस कार्यकाल की चर्चा हुई तो स्वयं भाजपा नेता इससे बचने का प्रयास करते देखे गए। यहां तक कि वरिष्ठ भाजपा नेत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने भी कार्यकर्ताओं का आव्हान किया कि वह सिर्फ मोदी और शिवराज फेक्टर के सहारे जनता के बीच जाए। नगरपालिका के पिछले कार्यकाल पर टिप्पणी करने से यशोधरा राजे बचती रहीं।
यही एक मात्र कारण ऐसा रहा जिसकी वजह से भाजपा नपाध्यक्ष का चुनाव आक्रामक ढंग से नहीं लड़ पाई और प्रचार के अंतिम क्षण तक उसका अंदाज रक्षात्मक रहा। शहर में उड़ती धूल भी भाजपा की परेशानी का कारण बनी। पार्टी की गुटबाजी ने भी उसकी दिक्कतें बढ़ाईं और चुनाव प्रचार के किसी भी क्षण पार्टी कभी भी एकजुट नजर नहीं आई। पार्षद पद के भाजपा प्रत्याशी भी अपनी उलझनों में व्यस्त रहे और अपने आप को बचाने के लिए वह अध्यक्ष के लिए वोट मांगना भूल गए।
नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए परिणाम 7 दिस बर को आएगा। लेकिन यह अवश्य तय लग रहा है कि भाजपा जीती भी तो उसके पास विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह कतई आरामदायक बहुमत नहीं होगा। एक माह पूर्व तक एकतरफा दिख रहे इस मुकाबले को यदि कांग्रेस प्रत्याशी मुन्नालाल कुशवाह ने बिल्कुल नजदीक ला खड़ा किया है।
वही मोदी और शिवराज की गाथाए भाजपा ने सुनाई और रिशिका अष्ठाना के कार्यकाल से इस चुनाव में भाजपा मुंह छुपाती नजर आई। रही सही कसर सीवेज प्रोजेक्ट के तहत उड़ रही धूल ने पूरी कर दी।
इस भ्रष्टाचार सिद्व नमूना मतदान के दिन ही आ गया,पीआईसी सदस्यों के खिलाफ मतदान समाप्त होने के बाद कलेक्टर ने कार्रवाई की और उन्हें पद से हटाया। सूत्र बताते हैं कि नपाध्यक्ष के खिलाफ भी अब कार्रवाई हो सकती है, लेकिन यदि चुनाव के दौरान ही यह कदम उठा लिए जाते तो भाजपा को भारी मुसीबत का सामना करना पडता।
