बिकाऊ नेता की नामुरादी पर हैरान है शिवपुरी

शिवपुरी। बात यदि इशारों में की जाती तब भी लोग समझ जाते परंतु जब लोकतंत्र का बलात्कार हो जाए, जनता की भावनाओं की हत्या कर दी जाए और कोई बिकाऊ नेता अपने फायदे के लिए शहर के भविष्य को दांव पर लगा दे तो ऐसे नामुरादों को लानत भेजना ही चाहिए।

माणकचंद्र राठौर ने आज जो कुछ भी किया उसे शिवपुरी के साथ गद्दारी से कम कुछ नहीं कहा जा सकता। जिस माणकचद्रं को लोगों ने अपने सरआखों पर बिठाया, मीडिया ने हीरो बनाया, उसी नामुराद ने अचानक पाला बदल दिया। कल तक जिसके विरोध में पूरे राठौर समाज को साथ लेकर चलने की बात कर रहा थ आज अचानक पलट गया। फिर से भाजपा में लौट गया और भाजपा के प्रत्याशी को समर्थन दे डाला।

आरोप तो यह भी है कि इस डील में कोई आधा करोड़ का सौदा हुआ है। माणकचंद्र ने शिवपुरीवासियों के समर्थन की पूरी कीमत वसूली और लोकतंत्र को चौराहे पर छोड़ दिया, अकेला और नंगा।

भले ही आईपीसी में ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई धारा ना हो, भले ही किसी भी अदालत में ऐसे बिकाऊ नेताओं के लिए कोई सजा मुकर्रर ना हो पाए परंतु जनता की अदालत में इन्हें कतई माफ नहीं किया जाना चाहिए।

ऐसे बिकाऊ नेताओं का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। ऐसे बिकाऊ नेताओं से सारे रिश्ते नाते तोड़ लिए जाने चाहिए। जो नेता समाज का ना हुआ, जो नेता अवाम का ना हुआ, उसे समाज में रहने का भी कोई हक नहीं है। यदि अदालतों में बिकाऊ नेताओं को रोकने के लिए कोई सजा नहीं है तो बिकाऊ नेताओं से रोटी बेटी के रिश्ते तोड़ लेने का निर्णय लेने वाले समाज को रोकने की भी कोई धारा नहीं है।

अब देखना यह है कि शिवपुरी की जनता और माणकचंद्र के समर्थन में जमीन आसमान एक करने वाले माणकचंद्र के लिए क्या सजा मुकर्रर करते हैं, करते भी हैं या....।

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