भाजपा के वोट जुटाने मैदान में उतरीं यशोधरा, किया रोड शो

शिवपुरी। शहर में नगरीय निकाय के चुनावों में कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के आने से जहां भाजपाईयों में ऊर्जा का संचार हुआ है तो वहीं अन्य दल सकते में आते नजर आ रहे है।
आज नगर में कैबीनेट मंत्री ने भाजपा प्रत्याशी हरिओम राठौर के समर्थन में जनसंपर्क रैली करते हुए रोड़ शो किया। इस दौरान अनेकों भाजपा के वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे जो शहर में भाजपा के लिए विभिन्न क्षेत्रों में  वोट मांगते नजर आए।

कांग्रेस सिंध पेयजल परियोजना और सीवेज प्रोजेक्ट का झूठा श्रेय लूटने में लगी रहती है। लेकिन सच्चाई यह है कि कांग्रेस पार्षदों ने सिंध परियोजना के कार्य में पग-पग पर अड़ंगे लगाए हैं। नगरपालिका परिषद की आखिरी बैठक में सिंध परियोजना के क्रियान्वयन के संबंध में महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया जाना था, लेकिन कांग्रेस पार्षदों के विरोध के कारण बैठक नहीं हो सकी। 

उक्त बात आज प्रदेश सरकार की उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री तथा स्थानीय विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने अध्यक्ष पद के भाजपा प्रत्याशी हरिओम राठौर के चुनाव कार्यालय पर भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में कही। इसके साथ ही यशोधरा राजे सिंधिया ने आज शिवपुरी पहुंचकर नगरपालिका चुनाव में अध्यक्ष और पार्षद पदों पर खड़े प्रत्याशियों के प्रचार की कमान संभाली।

शहर में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में यशोधरा राजे सिंधिया ने रोड शो किया। जहां उन्होंने मतदाताओं से भाजपा के पक्ष में मतदान करने की अपील की। स्थान-स्थान पर यशोधरा राजे सिंधिया का पार्टी प्रत्याशियों, कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने कहीं आतिशबाजी तो कहीं फूल मालाओं से स्वागत किया। भाजपा कार्यालय पर कार्यकर्ताओं को निर्देशित करते हुए कहा कि वह मतदाताओं तक पार्टी की उपलब्धियों को लेकर जाएं। वह मु यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपलब्धियों के आधार पर वोट मांगें। चुनाव तक नकारात्मक बातों से दूर रहें। जनता को बताएं कि किस तरह से कांग्रेस विकास के अच्छे कार्यों में अड़ंगे लगाती है।

यशोधरा राजे सिंधिया ने इस बात पर  खुशी जाहिर की कि पार्टी ने हरिओम राठौर के रूप में एक अच्छे उ मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है। उन्हें तथा पार्षद पद के भाजपा प्रत्याशियों को जिताने में कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत से जुट जाना चाहिए। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वह अपने मतभेदों को भूल जाएं। इसके पहले यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव कार्यालय पर भाजपा प्रत्याशियों से परिचय लिया और उन्हें अपने हाथ से पार्टी के बेज पहनाएं। इसके बाद यशोधरा राजे सिंधिया ने रोड शो करते हुए शहर में जनसंपर्क किया।

मास्क लगाकर किया यशोधरा राजे का स्वागत
भैरोबाबा रोड पर यशोधरा राजे का स्वागत करने वालों में मास्क लगाकर कुछ नागरिक भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि इस तरह से वह यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया को शहर में सड़कों की खराब हालत से परिचित कराना चाहते हैं कि धूल के कारण आम आदमी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

वार्ड 4 में उ मीदवार के चयन को लेकर असमंजस में आए वार्डवासी
शिवपुरी। अक्सर शिकायत रहती है कि राजनीति में अच्छे लोग नहीं आते। लेकिन इसके विपरीत वार्ड क्रमांक 4 के मतदाता पशोपेश में हैं कि वह किसे चुने और किसे नहीं। क्योंकि चुनाव लडऩे वाले पांच उ मीदवारों में से कम से कम तीन उ मीदवार ऐसे हैं जिनमें से किसी एक को नकारना मतदाता को मुश्किल नजर आ रहा है।

खास बात यह भी है कि उ मीदवारों की ताकत में इजाफा राजनीति में सक्रिय उनके पतियों से भी हुआ है। जिनकी क्षमताओं से मतदाता सुपरिचित हैं। पार्षद के रूप में कांग्रेस उ मीदवार गुरमेज कौर और उनके पति निर्भय सिंह हीरा जहां वार्ड में सुपरिचित हैं वहीं निर्दलीय उ मीदवार वर्षा गुप्ता के निवर्तमान पार्षद पति संजय गुप्ता के कार्यकाल से भी मतदाता संतुष्ट हैं। इनकी तुलना में भाजपा उ मीदवार डॉ. रीता गुप्ता शैक्षणिक योग्यता में अब्बल हैं। वह एमबीबीएस हैं तथा अपने पति डॉ. राजेन्द्र गुप्ता जो कि आर्थोपेडिक सर्जन हैं के साथ मिलकर वार्ड में क्लीनिक चलाती हैं। डॉ. गुप्ता दंपत्ति अपने व्यवहार और इमेज से वार्ड में खास प्रतिष्ठा रखते हैं। ऐसी स्थिति में जीते कोई भी, मतदाता को उ मीदवार की जीत से अधिक दुख क्षमतावान दो-दो उ मीदवारों की पराजय से होगी।

कांग्रेस उ मीदवार श्रीमती गुरमेज कौर जहां नगरपालिका में इसी वार्ड से 2004 से 2009 तक पार्षद रह चुकी हैं जबकि उनके पति निर्भय सिंह हीरा सन् 93 से 98 और 98 से 2004 तक लगातार दो बार पार्षद रहे हैं। तब यह वार्ड वार्ड क्रमांक 4 न होते हुए वार्ड क्रमांक 5 था। पिछले चुनाव में सरदार दंपति यहां से इसलिए चुनाव नहीं लड़ पाए, क्योंकि तब यह वार्ड अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया था। इसके स्थान पर गुरमेज कौर को वार्ड क्रमांक 3 से उ मीदवार बनाया गया, लेकिन वह मात्र 2 वोटों से भाजपा उ मीदवार श्रीमती सरोज भार्गव से पराजित हो गई थीं। श्री हीरा और उनकी पत्नी का 15 वर्ष का पार्षद कार्यकाल यहां के मतदाता याद करते हैं।

कभी उन्हें पानी या नगरपालिका की अन्य समस्याओं के लिए भटकना नहीं पड़ा। गुरमेज कौर और उनके पति का पार्षद के रूप में 15 वर्षों का काम इस चुनाव में उनकी ताकत बना हुआ है और मतदाता को समझ में नहीं आ रहा कि किस कसौटी पर वह गुरमेज कौर की उ मीदवारी को खारिज करे। वोटर के लिए यह भी दिक्कत है कि निर्दलीय रूप से यहां से पार्षद संजय गुप्ता की पत्नी वर्षा गुप्ता मैदान में हैं। संजय गुप्ता 2009 से 2014 तक इसी वार्ड से पार्षद रह चुके हैं और उनकी सबसे खास बात यह है कि उपचुनाव में उन्हें विजयश्री हासिल हुई है। चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी अतुल अग्रवाल की मौत के बाद जब इस वार्ड का चुनाव स्थगित किया गया तो भाजपा ने सहानुभूति वोट बटोरने के लिए उपचुनाव में स्व. अग्रवाल की पत्नी शशि अग्रवाल को टिकट दिया, लेकिन वह चुनाव हार गईं और संजय गुप्ता पार्षद चुने गए। इस वार्ड के निवासी बताते हैं कि पार्षद के रूप में संजय गुप्ता का कार्यकाल काफी संतोषजनक रहा। उनके कार्यकाल में वार्डवासी जहां नगरपालिका के कार्यों के प्रति निश्चिंत रहे वहीं श्री गुप्ता ने अपने मिलनसार व्यवहार से स्थानीय लोगों का मन जीता ।

वार्डवासियों के सुख दुख में वह हमेशा साथ खड़े नजर आए। इस चुनाव में भले ही उनकी पत्नी मैदान में हैं। लेकिन कमान संजय गुप्ता ने संभाल रखी है और उन्हें नजरअंदाज करना मतदाता को मुश्किल नजर आ रहा है। अनुभव की कसौटी पर जहां कांग्रेस प्रत्याशी और निर्दलीय प्रत्याशी खरे साबित हो रहे हैं। वहीं योग्यता में डॉक्टर दंपति का कोई मुकाबला नहीं है। भाजपा प्रत्याशी डॉ. रीता गुप्ता पार्षद के रूप में चुनाव लडऩे में उत्सुक नहीं थीं, लेकिन राजनीति में अच्छे लोगों को आना चाहिए। इसी भावना का स मान करते हुए प्रदेश सरकार की उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने डॉ. रीता गुप्ता को उ मीदवार बनने के लिए प्रेरित किया और उनकी इच्छा के अनुरूप डॉक्टर दंपति इंकार नहीं कर पाए।

डॉ. रीता गुप्ता स्थानीय हैं और वार्ड क्षेत्र में ही उनका विद्यादेवी अस्पताल है। इस कारण इलाके में उनका अच्छा खासा जनसंपर्क है। ऐसी स्थिति में किसी की भी हार स्थानीय मतदाता को विचलित करने के लिए काफी है। यहां के एक मतदाता ने दुखी होकर कहा कि काश! राष्ट्रपति चुनाव की तरह उन्हें ट्रांसफरेबल वोट देने का अधिकार मिलता तो वह किसी को नकारते नहीं और अपनी-अपनी दृष्टि से उ मीदवारों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय वरीयता देते। जिससे मन में कहीं कोई अपराध बोध नहीं रहता।