जैन मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज ने दिया एकता का संदेश

शिवपुरी। जब तक कोई भी समाज खण्ड खण्ड नहीं है तब तक उसका मूल्य कोई कम नहीं कर सकता। लेकिन सामाजिक विखण्डता से किसी भी समाज का पतन तय है। उक्त संदेश प्रसिद्ध जैन संत मुनिश्री पुलक सागर जी महाराज ने आज विदाई के अवसर पर आयोजित विशाल धर्मसभा में जन-जन को दिया।

हालांकि उन्होंने समाज को मानव समाज से जोडऩे की बात कहीं, लेकिन समझ में आ रहा था कि वह शिवपुरी के जैन समाज के झगड़ों से व्यथित होकर उक्त संदेश प्रेषित कर रहे थे। धर्मसभा में जैन संत से शिवपुरी में अगला चातुर्मास करने की जैन समाज ने विनती की। इस पर मुनिश्री पुलक सागर जी ने गेंद अपने गुरूवर पुष्पदंत सागर जी महाराज के पाले में डालते हुए कहा कि वह उनके आदेशों का पालन करते हैं और जैसा उनका आदेश होगा उनका अगला चातुर्मास वहीं होगा।

जैन संत ने विदाई समारोह में आयोजित विशाल धर्मसभा में खासकर मानवता का संदेश दिया। एक तो उन्होंने इंसान को सामाजिक एकता का पाठ पढ़ाया वहीं यह भी कहा कि अपने धर्म का पालन करो लेकिन दूसरे धर्म का स मान करना भी तु हें आना चाहिये। हिन्दू को क्यों पीड़ा होती है जब ताजिये उसके मोहल्ले से निकलते हैं और मुसलमान को क्यों तकलीफ होती है जब गणेश जी उसके दरवाजे से गुजरते हैं।

महाराज श्री ने शायराना अंदाज में कहा कि हम से अच्छे तो वे परिंदे होते हैं जो कभी मंदिर पर बैठते हैं तो कभी मस्जिद पर। महाराजश्री ने कहा कि सामाजिक एकता की शुरूआत हमें स्वयं से करना चाहिये। यह भावना होनी चाहिये कि केवल मेरा भारत सुखी नहीं रहे बल्कि पूरा विश्व सुखी रहे। सहानुभूति की भावना इतनी प्रबल होनी चाहिये कि यदि हम अपने आंगन में एक पेड़ लगायें तो उसकी छाया उसके फल पड़ौसी के घर तक पहुंचने चाहिये।

यदि हम अपने घर में  दिया जलायें तो उसकी रोशनी पड़ौसी के घर को भी प्रकाश बान करे। महाराज श्री ने संदेश दिया कि कभी अपने घर की दीवार इतनी ऊपर मत उठाओ कि दीनदुखियों और पीडि़तों को आप देख भी नहीं पायें। दूसरों के दर्द को समझिये। जो दूसरों का दर्द समझता हैं, महसूस करता हैं वहीं असल मायने में संत होता हैं। महाराजश्री ने कहा कि धर्म की शुरूआत हमें अपने घर से करना चाहिये। बाहर चेरिटी करने से पूर्व यह ध्यान रखना चाहिये कि घर में मेरे माता पिता भूखे न रहें, मेरे माता पिता स मान के लिए तरस जायें।

महाराजश्री ने साफ-साफ कहा कि जो अपनी माँ का सम्मान नहीं कर सकता वह अपनी पत्नि का क्या सम्मान करेगा। बेटियों को नसीहत देते हुए संत पुलक सागर जी ने कहा कि वह लक्ष्मी बनकर आती हैं तो जीवन भर इस भूमिका का निर्वहन करें और घर में दुर्गा बनने की कोशिश न करें। इसके बाद महाराजश्री ने कोलारस के लिए प्रस्थान कर दिया और आज शाम वह पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन, जितेन्द्र जैन के कोल्डस्टोरेज पर पहुंचे जहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया।