हर आम-ओ खास से लेकर भगवान की पैर पखराई में जुटे प्रत्याशी

शिवपुरी। संसार में आकर इंसान को कैसे रहना चाहिए और अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। इसकी झलक नगरपालिका चुनाव में देखने को मिल रही है। खासकर नपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी अपने एक-एक क्षण का सद्पयोग कर रहे हैं। प्रभू भक्ति के साथ-साथ इंसान के प्रति उनका व्यवहार भी विशुद्ध रूप से आध्यात्मिक ढंग का है। अहंकार का कहीं कोई नामोनिशा नहीं। चेहरे पर मुस्कान जो किसी का भी दिल खुश कर दे और विनम्रता की पराकाष्ठा, हर छोटे-बड़े के चरणों में झुक जाने का उतावलापन।

नगरपालिका अध्यक्ष पद के लगभग सभी प्रत्याशी मुश्किल से 4 घंटे ही सो पा रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी हरिओम राठौर कहते हैं कि आज तक उन्होंने ऐसी नींद का स्वाद नहीं चखा। कांग्रेस प्रत्याशी मुन्नालाल कुशवाह कहते हैं कि मेहनत के बाद नींद का अपना ही मजा है। आईए नपाध्यक्ष पद के तीन प्रमुख प्रत्याशी मुन्नालाल कुशवाह, हरिओम राठौर और छत्रपाल सिंह की इन दिनों जो दिनचर्या है उससे हम आपको अवगत कराते हैं।

भाजपा प्रत्याशी हरिओम राठौर कहते हैं कि अलार्म लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। सुबह ठीक 5 बजे उनकी नींद खुल जाती है और वह तुरंत बिस्तर छोड़ देते हैं। एक घंटे में दैनिक दिनचर्या से निवृत्त होकर वह काली माता मंदिर और मोहल्ले में स्थित भोले बाबा के मंदिर में दर्शन करने के लिए जा पहुंचते हैं और उनके चरणों में शीश नबाकर जीत की मनोकामना व्यक्त करते हैं। ठीक 6 बजे वह मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों से कभी हवाई पट्टी, कभी सावरकर पार्क तो कभी पोलो ग्राउण्ड पहुंचकर उनसे मिलते हैं तथा जीत का आशीर्वाद लेते हैं। इसके बाद सुबह 7 बजे घर पहुंचकर हल्का-फुल्का नाश्ता करते हैं।

नाश्ते में कभी पोहा तो कभी खिचड़ी लेते हैं। इसके बाद वह शहर में गणमान्य नागरिकों से मिलने के लिए चले जाते हैं और 4 घंटे में लगभग एक सैकड़ा लोगों से वह मिलते हैं और सुबह 11 बजे भाजपा कार्यालय जा पहुंचते हैं जहां वह तामझाम और उनके समर्थकों के साथ शाम 6:30 बजे तक तीन से चार वार्डों में सघन जनसंपर्क करते हैं। सुबह का खाना श्री राठौर कार्यकर्ताओं के साथ ही लेते हैं। इसके बाद पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर आगामी रणनीति बनाते हैं और फिर घर-घर जाकर मिलने चले जाते हैं। ठीक ऐसी ही मेहनत उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अर्चना राठौर महिला मोर्चे की महिलाओं के साथ तथा पुत्र दीपांशु राठौर युवा कार्यकर्ताओं के साथ करते हैं। रात 12 बजे के लगभग वह घर पहुंचते हैं और हल्का-फुल्का खाकर प्रभू को याद करते हुए सो जाते हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी मुन्नालाल कुशवाह अपनी पार्टी के अनुरूप सा प्रदायिक सद्भाव की झलक पेश कर रहे हैं। वह जनसंपर्क के दौरान रास्ते में मिले सभी मंदिरों, मस्जिदों, गुरूद्वारे और चर्च में जाकर मत्था टेकते हैं। उनकी आराध्य देवी महामाया भगवती है। जिनका मंदिर उनकी कॉलोनी में ही है। जिसके दर्शन कर वह सुबह की शुरूआत करते हैं। मुन्नालाल कुशवाह सुबह 4:30 बजे से जाग जाते हैं और मात्र आधे घंटे में फ्रेश होकर सबसे पहले वह देवी मां के दर्शन करने के लिए जाते हैं। मोहल्ले में प्रत्येक घर पर जाना भी वह नहीं भूलते तथा नाश्ता लेकर सुबह 6 बजे वह घर से निकल जाते हैं और उनकी बेशभूषा सेवादल के कार्यकर्ता की रहती है। श्री कुशवाह विनम्रता की पराकाष्ठा का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोड़ते और भाजपा नेता माखनलाल की तरह भावुक करने की कला में भी उन्हें महारथ हासिल है।

सुबह 6 बजे से ही वह जनसंपर्क शुरू कर देते हैं और उनका कहना है कि 11 बजे तक वह एक हजार से अधिक लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिल लेते हैं। इसके बाद वह कांगे्रस कार्यालय पहुंच जाते हैं। जहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मार्गदर्शन लेते हैं और फिर वार्डों में निकल जाती है श्री कुशवाह की जनसंपर्क रैली। इसी दौरान वह कार्यकर्ताओं के साथ पैकेट का खाना खाते हैं। जनसंपर्क के बाद वह शाम 7 बजे से नुक्कड़ सभा करने निकल जाते हैं। उनके साथ नुक्कड़ सभा चंद्रपाल सिंह तोमर और आलोक शुक्ला लेते हैं। रात 9 बजे फिर वह पार्टी कार्यालय पहुंचते हैं और कोर कमेटी की बैठक में शामिल होकर देर रात घर पहुंचते हैं।

निर्दलीय प्रत्याशी छत्रपाल सिंह गुर्जर सुबह 5 बजे उठकर सबसेे पहले योगा करते हैं और उसके बाद स्नान कर मोहल्ले के मंदिर में दर्शन के लिए निकल जाते हैं। सुबह 6 बजे वह काली माता मंदिर, खेड़ापति हनुमान मंदिर आदि के दर्शन कर घर पहुंचते हैं और नाश्ते में पोहा या हलवा लेते हैं। सुबह 7 बजे वह सावरकर पार्क में पेड़ों को पानी देने की व्यवस्था में भाग लेकर जिम का निरीक्षण करते हैं और एक्यूप्रेशर की व्यवस्था करने के बाद वह जनसंपर्क के लिए कार्यकर्ताओं के साथ निकल जाते हैं। जनसंपर्क के दौरान वह मतदाताओं के सवालों का जवाब भी देते हैं। सघन जनसंपर्क के बाद रात में वह नुक्कड़ सभाएं करते हैं और इसके पश्चात घर आकर अपनी पत्नी के हाथ का खाना खाकर सोने के लिए चले जाते हैं।