बीमारी अस्पताल: आरएमओ का आदेश बना कर्मचारियों की परेशानी

शिवपुरी। शिवपुरी का एकमात्र जिला अस्पताल अव्यवस्थाओं के चलते अपनी प्रासांगिकता खोता जा रहा है। कतिपय डॉक्टरों के असंवेदनशील रवैए से जहां मरीज त्रस्त हैं वहीं अधिकारियों के तुगलकी फरमान से अस्पताल के कर्मचारियों को परेशान होना पड़ रहा है। आरएमओ का आदेश परेशानी का कारण बना हुआ है। स्टॉफ की कमी भी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है।

जिला अस्पताल में महिला चिकित्सकों की कमी है और दो महिला चिकित्सक स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का आवेदन लगाकर घर बैठी हैं। डॉक्टरों का रवैइया भी असंवेदनशील बना हुआ है।

चिकित्सालय आरएमओ जो आदेश दिया उस पर कर्मचारियों को अमल करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं चिकित्सक निजी क्लीनिक चलाने में मशगूल रहते हैं। जिला चिकित्सालय में निर्धारित स्थान पर नहीं मिलने है।
       
आरएमओ का आदेश
जिला चिकित्सालय में आरएमओ द्वारा आदेश दिया कि मेडीकल वार्ड में डेंगू के मरीज न होने पर कर्मचारी आईसीयू में कार्य करें। जबकि मेटर्न ने कहा कि मेडीकल वार्ड कर्मचारी मेडीकल वार्ड में ही कार्य करें।

अब कर्मचारी कहां कार्य करें, यह निश्चित न होने के कारण चिकित्सालय में भर्ती रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

आईसीयू में पर्याप्त स्टाफ तैनात नहीं
जिला चिकित्सालय के आईसीयू वार्ड में पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण यहां पर रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

आसीयूवार्ड में नियमानुसार दो नर्से तथा तीन वार्ड वाय तैनात होना आवश्यक है लेकिन आईसीयू में रात्रि के समय एक ही नर्स की ड्यूटी लगा जा रही है।

यदि वह नर्स किसी मरीज की खिदमत है दूसरे ही हालत बिगडऩे पर उसकी देखरेख कौन करेगा? वहीं इसके विपरीत दिन के समय आईसीयू में तीन नर्सो को तैनात किया जाता है। वहीं दोपहर के समय भी एक ही नर्स को तैनात किया जाता है।

निर्धारित स्थान पर नहीं मिलते चिकित्सक
जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक निजी क्लीनिक में रोगियों का इलाज करने में लिप्त रहते है। जिला चिकित्सालय में अवसर ही चिकित्सक निर्धारित समय पर नहीं पहुंचते, जिसके कारण जिला चिकित्सालय में आने बाले रोगियों को घण्टों तक चिकित्सक का इंतजार करना पड़ता है।

जिसके कारण रोगियों व उनके साथ आने बाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बार-बार चिकित्सालय प्रबंधन एवं जिला प्रशासन से शिकायतें किये जाने के उपरांत भी जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं में सुधार होना अस भव सा प्रतीत होता है।


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