कर्मचारियों की अर्थियां चौराहे पर रख किया आंदोलन

शिवपुरी। नगर पालिका शिवपुरी में पदस्थ मस्टर कर्मचारियों की सैप्टिक टैंक के सफाई के दौरान हुई मौत ने आज उस समय हंगामे का रूप धारण कर लिया जब राहत की राशि के मामले में नगर पालिका प्रशासन ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी।

दोनों मृतक मस्टर कर्मचारियों की अर्थी को माधवचौक चौराहे पर रखकर उनके परिजन राहत राशि के साथ-साथ मृतक युवकों के परिजनों को स्थाई रूप से शासकीय सेवा में लेने की मांग कर रहे थे। माधवचौक चौराहे पर नगर पालिका शिवपुरी से जुड़े सफाईकर्मचारी यूनियनों के पदाधिकारी, महिलाऐं बच्चे बड़ी सं या में मौजूद थे।

एसडीएम दिनेश जैन व एसडीओपी एसकेएस तोमर ने मृतकों के परिजनों से संबंधित एक डेलीगेशन के साथ मुलाकत करके यह भरोसा दिलाया कि कलेक्टर शिवपुरी राजीव दुबे ने आश्वासन दिया है कि उन्हें 25-25 हजार रूपये की तत्काल राहत राशि दी जाएगी। इसके अलावा मु यमंत्री राहत कोष के माध्यम से प्रकरण बनाकर राज्य शासन की ओर प्रेषित किया जाएगा। जहां तक मृतकों की बेबाओं का सवाल है तो उनकी शासकीय नौकरी में तैनाती पर भी जिला प्रशासन गंभीरता से निर्णय करेगा। इसके बाद भी सफाई कर्मचारी संघ के लोगों ने लिखित तौर पर आश्वासन दिए जाने की मांग की। समाचार लिखे जाने तक दोनों मृतकों की अर्थियां माधवचौक चौराहे पर रखी थी और लिखित आश्वासन ना मिलने के कारण युवाओं ने बाजार बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

रविवार की दोपहर सईसपुरा क्षेत्र में विष्णु बाथम के घर सैप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए निजी तौर पर राजेन्द्र पुत्र श्रीलाल, दीपू पुत्र दाताराम गए हुए थे। सीढिय़ां लगाकर सैप्टिक टैंक के नीचे उतरने पर अचानक उनका दम घुटने लगा और टैंक के अंदर ही उनकी हालत बिगड़ती चली गई। सूत्रों के मुताबिक सैप्टिक टैंक के अंदर किसी जहरीले गैस जैसा रिसाव हुआ था जिसके कारण उनका दम घुटने लगा, बाहर निकालते-निकालते दोनों बेहोश हो गए थे जिन्हें गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय ले जाया गया। जहां दम घुटने के कारण उनकी मौत होना बताया गया। कल पोस्टमार्टम करने के उपरांत परिजनों को उनकी डेडबॉडी सुपुर्द कर दी गई थी लेकिन परिजनों का यह आरोप है कि नगर पालिका के सीएमओ ने मीडिया को गलत जानकारी दी। सैप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए कर्मचारी गए हुए थे जिसे छुपाया गया साथ ही दो-दो हजार रूपये की जो आर्थिक सहायता दी गई थी उसका विरोध भी मृतकों के परिजन व रिश्तेदारों में दिखाई दे रहा था। महिला-पुरूष के साथ स्थानीय माधवचौक चौराहे पर दोनों अर्थियों को रखकर परिजनों ने विरोध प्रदर्शन किया और चक्काजाम जैसी स्थिति हो गई। मामले की गंभीरता को भंापते हुए एसडीएम शिवपुरी दिनेश जैन व एसडीओपी पुलिस एसकेएस तोमर मय दल बल के साथ माधवचौक पहुंचे और उत्तेजित भीड़ को समझाने का भरसक प्रयास किया और आश्वासन दिया कि 25-25 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दोनों मृतकों के परिजनों को दी जाएगी एवं शासकीय सेवा में देानों मृतकों की बेबाओं को लिया जाएगा, जहां तक मु यमंत्री राहत कोष का सवाल है प्रकरण तैयार करके जिला प्रशासन की ओर से राज्य शासन की ओर प्रेषित किया जाएगा, वहां से जो भी मु यमंत्री सहायता कोष से मदद मिलेगी वह भी परिजनों को दी जाएगी। इतना सब होने के बाद भी मृतकों के परिजन व रिश्तेदार, नगर पालिका के सीएमओ अशोक रावत का लि िात आश्वासन मांगने के लिए अड़े हुए थे। समाचार लिखे जाने तक दोनों अर्थियां चौराहे पर रखी थी और वाल्मीकि समाज के युवाओं ने शहर को बंद कराने का काम शुरू कर दिया था।

15 लाख रूपये की डिमाण्ड की
मृतकों के परिजनों व रिश्तेदारों का कहना था कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सफाई कर्मचारियों की आकस्मिक मौत होने पर राहत राशि के रूप में 15 लाख रूपये दिए जाने का प्रावधान सुनिश्चित हुआ है। उसके क्रम में ही सफाई करते हुए मारे गए दोनों युवाओं दीपू व राजेन्द्र के परिजनों को 15-15 लाख रूपये की आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए। लेकिन प्रशासन के प्रतिनिधि के तौर पर एसडीएम दिनेश जैन का कहना था कि इस बारे में हमें जानकारी नहीं है। कलेक्टर शिवपुरी के माध्यम से प्रारंभिक तौर पर जो राहत राशि स्वीकृत की गई है वह उन्हें तत्काल उपलब्ध करा दी जाएगी। परिजनों का यह भी कहना था कि यह सब मामला जो मौखिक आश्वासन के तौर पर चल रहा है वह हमें लिखित तौर पर दिया जाए।

जनप्रतिनिधियों की गैर मौजूदगी रही चर्चा में
माधवचौक चौराहे पर वाल्मीकि समाज के दो युवाओं की मौत का मामला आर्थिक सहायता और शासकीय सेवा को लेकर चल रहा था लेकिन चौराहे पर सत्तारूढ़ भाजपा व विपक्षी कांग्रेस में से कोई भी व्यक्ति दिखाई तक नहीं दिया। इस संवेदनशील मामले को प्रशासन और वाल्मीकि समाज के बीच में घटित होने की जानकारी ज्यादातर लोगों को मिल चुकी थी लेकिन ना तो नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रिशिका अष्ठाना, उपाध्यक्ष भानु दुबे, कांग्रेस पार्षद दल के नेता रामसिंह यादव, सांसद प्रतिनिधि अन्नी शर्मा, शहर कांग्रेस के अध्यक्ष राकेश जैन आमोल कोई भी जनप्रतिनिध इस संवेदनशील मामले में उपस्थित दिखाई नहीं दिया। प्रशासन और परिवार वालों के बीच लगातार झड़पें चलती रही लेकिन मीडिएटर की भूमिका में जनप्रतिनिधियों का ना होना खासा चर्चा का विषय था।