शिवपुरी। शिवपुरी शहर में पदस्थ लगभग 400 सफाईकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। अभी तक सफाईकर्मी यह कह रहे थे कि दो सफाई कर्मचारियों की मौत के बाद वे 13 दिन के सामूहिक अवकाश पर हैं और 5 अक्टूबर को काम पर लौटेंगे। इसी के साथ 2 अक्टूबर को मोदी का सफाई अभियान खतरे में आ गया है।
अब सफाई मजदूर कांग्रेस ने प्रेस बयान जारी कर ऐलान किया है कि 29 सितम्बर को कलेक्टर शिवपुरी को ज्ञापन सौंपा जाएगा और ज्ञापन प्रस्तुत करने के बाद सफाई कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे और यह हड़ताल उन्हें न्याय मिलने तक जारी रहेगा।
22 सितम्बर से सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से शिवपुरी में गंदगी का अंबार लग गया है और बीमारियां फैलने की आशंका बलबती होती जा रही है। सफाई न होने के कारण नालियां भी जाम हो गई हैं और वहां पर मच्छरों ने अपना डेरा जमा रखा है। इसके बावजूद भी जिला प्रशासन और नपा प्रशासन बेबश बना हुआ है। जिसका खामियाजा शहरवासियों को उठाना पड़ रहा है।
सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के बारे में आंकलन यह है कि हड़ताल सूअर पालकों के दबाव के कारण हुई है। यह बात अलग है कि सेप्टिक टेंक साफ करते समय दो कर्मचारियों की मौत के बाद इस हड़ताल को एक युक्तियुक्त बहाना मिल गया है। शासन और प्रशासन ने नियमानुसार दोनों मृतक सफाई कर्मचारियों के एक-एक परिजन को संविदा नियुक्ति तथा 25-25 हजार रूपये की सहायता राशि मंजूर की।
लेकिन सफाईकर्मियों की मांग थी कि मृतकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। लेकिन इसी बीच सूअर शूट आउट अभियान की शुरूआत कर दी गई। जिस पर अंकुश लगवाने के लिए सफाईकर्मियों ने नया तानाबाना बुना और मृतकों को ढाल बनाकर किसी भी तरह अभियान रोकने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए सामूहिक अवकाश पर चले गए।
लेकिन नगरपालिका सीएमओ ने उनके अवकाश को स्थगित कर दिया और उन्हें काम पर लौटने के लिए निर्देशित किया। लेकिन सफाईकर्मी काम पर नहीं लौटे और अपनी हड़ताल जारी रखी। जिससे साफ-सफाई व्यवस्था ध्वस्त हो गई और इन सात दिनों में जगह-जगह गंदगी के ढेर लग गए।
वहीं शहर के नाले और नालियां भी जाम हो गए और गंदा पानी नालियों से निकलकर सड़कों पर बहना शुरू हो गया। वहीं कई जगहों पर सीवेज की गंदगी भी सड़कों पर फैल रही है। जिससे बदबू आ रही है। वैसे भी शहर मलेरिया और डेंगू जैसे खतरनाक रोगों से जूझ रहा है।
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