जनपद पंचायत नहीं देती आरटीआई की जानकारी!

शिवपुरी। जनपद पंचायत शिवपुरी में प्रशासनिक नियंत्रण फेल होने से हालात बद से बदतर होते जा रहे है। जमीनी तौर पर शासकीय योजनाओं के अंतिम क्रियान्वयन की ग्रामीण एजेंसी के तौर पर जनपद पंचायत की महती भूमिका होती है। सामाजिक सुरक्षा के साथ ग्रामीण क्षेत्र के विकास को दिशा देने के लिए जनपद पंचायत शिवपुरी के अधिकांश ग्राम पंचायतों में हालात बदतर हो गई है।
इसकी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत जनपद पंचायत कार्यालय शिवपुरी से मांगी जाती है तो वह जानकारी उपलब्ध कराने में कोताही बरतते है। केन्द्र सरकार ने पारदर्शिता लाने एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ आम व्यक्तियों की सहभागिता के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम जैसा महत्वपूर्ण कदम उठाया था इसकी खुलेतौर पर धज्जियां जनपद पंचायत शिवपुरी में उड़ाई जा रही है।

बीती 16 अक्टूबर 2013 को जनपद पंचायत शिवपुरी में ग्राम पंचायत खुटैला, दादौल, कांकर, टेंहटाहि मतगढ़, इमलिया, खंदी, करसेना, बमहारी, कलोथरा, गोपालपुर, सकलपुर, ऐरावन, करई, हातौद, बड़ागांव, मोहनगढ़, डबिया ग्राम पंचायतों में अगस्त 2013 तक बीपीएल एवं एपीएल राशनकार्डधरियों की पंचायतवार प्रमाणित प्रति मांगी गई थी इसके अलावा इन ग्राम पंचायतों में स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण कराए जाने के लिए जारी की गई राशि एवं कार्य की वर्तमान स्थिति का प्रतिवेदन मांगा गया था। मु य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत शिवपुरी ने स्वयं इस जानकारीको प्राप्त करके देने का आश्वासन दिया था लेकिन कई बार रिमाण्ईडर करने के बाद भी इस जानकारी को जनपद पंचायत शिवपुरी के द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

अतिवृष्टि को लेकर लोकसभा चुनाव के पहले राजस्व के जमीनी कर्मचारियों के माध्यम से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स ती से आदेश जारी किए। इसमें जनपद पंचायत के सचिवों के माध्यम से प्रभावित पक्ष के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश भी थे। सूत्रों के मुताबिक इस मुआवजा वितरण को लेकर शिवपुरी जनपद पंचायत की 22 ग्राम पंचायतों में मुआवजा राशि की बंदरबांट हुई है। जिन लोगों के खेतों में अतिवृष्टि का कोई प्रभाव तक नहीं पड़ा उन रसूखदार लोगों को यह मुआवजे की राशि बांटी गई है जबकि जरूरतमंद इस प्राकृतिक आपदा से चपेट में दम तोड़ते दिखाई दिए।

जनपद पंचायत शिवपुरी में ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा निर्देशों की भी खुले तौर पर धज्जियां उड़ाई जा रही है इसकी बानगी इसी से प्रमाणित होती है कि पंच परमेश्वर, बीजीआरएफ योजनांतर्गत कराए जा रहे कार्यों का अनुमोदन ग्रामसभा से कराए जाने के लिए प्रावधान है लेकिन अधिकंाश ग्राम पंचायतें इस अनुमोदन को बिना कराए ही इस राशि का उपयोग करने में लगी है। करसेना  के अलावा बांरा, सिकरावदा, गूगरीपुरा, नौहरीकलां एवं सिरसौद में ग्रामसभा के बिना अनुमोदन कराए राशि का उपयोग किया जा रहा है। मध्याह्न भोजन में भी विशेष साफ सफाई रखने के लिए एजेण्डे में तो निर्देश जारी होते है लेकिन कहीं कोई सफाई दिखाई नहीं देती।

मनरेगा के अंतर्गत पूरी तरह से मनमानी शिवपुरी जनपद पंचायत में चल रही है जो राशि मनरेगा के अंतर्गत जारी की गई है उसके सामाजिक मूल्यांकन का अधिकांश ग्राम पंचायतों में कोई अता पता नहीं है। कई ग्रामसभाओ में स्थायी समितियों के गठन को लेकर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। पांच वर्ष तक के कुपोषित बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लाने की व्यवस्था एवं ग्राम को कुपोषण से मुक्त कराने का कागजी तौर पर संकल्प पूरा है लेकिन धरातल पर इसका कोई अता-पता नहीं है। सामाजिक सुरक्षा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के भुगतान को लेकर भी कई ग्राम पंचायतों के सचिव मनमानी कर रहे है।

शुष्क शौचालय एवं मैला ढोने की प्रथा को नष्ट करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर कोई अभियान जनपद पंचायत शिवपुरी में विशेष नहीं चलाया जा रहा जिससे सरकार की मंशा पूरी नहीं हो रही है। कुल मिलाकर जनपद पंचायत शिवपुरी में पूरी तरह अंधेरगर्दी का आलम है और ग्राम पंचायत वार योजनाओं के क्रियान्वयन में कितने घपले हुए है किस तरह से हितग्राही परेशान है इसकी भी बिन्दुवार समीक्षा नहीं की गई है उल्टा सूचना के अधिकार अधिनियम को भी दबाने का प्रयास जनपद पंचायत शिवपुरी के द्वारा किया जा रहा है।