शहर को सूअरमुक्त करने शूटआउट की प्रक्रिया में फंसी नपा

शिवपुरी। माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार शहर को सूअरमुक्त बनाने की अवधि 7 जुलाई है। तमाम प्रयासों के बाद भी नपा और प्रशासन ढाई माह की कसरत के बाद भी शिवपुरी से सूअरों को नहीं हटा सकी। नगरपालिका ने परिषद की बैठक में सूअरों को शूटआउट करने की दर स्वीकृत करा ली है। लेकिन इसके बाद भी नगरपालिका प्रशासन दुविधाग्रस्त है। नपाध्यक्ष रिशिका अनुराग अष्ठाना ने बताया कि सूअरों को शूटआउट कराया जाए या नहीं। इसके बारे में अभी फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन दरें अवश्य स्वीकृत करा ली गई हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन दिन पहले हुई परिषद की बैठक के बिंदु क्रमांक 23 में माननीय उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पारित निर्णय 07.04.2014 के क्रम में सूअरों को विनिष्टिकरण हेतु प्राप्त दरों पर विचार होना था। लेकिन इस महत्वपूर्ण मुद्दे में बैठक में एक मिनिट का भी विचार नहीं हुआ। हंगामेदार हुई बैठक का कांग्रेसी पार्षदों ने बहिष्कार कर दिया। परिणाम यह हुआ कि जिस तरह से बिना चर्चा के अन्य मुद्दे पास हो गए। यह मुद्दा भी पारित हो गया। 

लेकिन इससे साफ जाहिर है कि नगरपालिका के पार्षद जनहित के मुद्दे पर कितने संवेदनहीन हैं। शहर को सूअरों से मुक्त कराने का बीड़ा प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया ने विधायक निर्वाचित होने के तुरंत बाद उठाया, लेकिन सूअर पालकों के दबाव और निष्क्रियता के कारण नगरपालिका ने शिवपुरी को सूअरमुक्त कराने के लिए गंभीरतापूर्वक प्रयास नहीं किए। इस मामले को लेकर डॉ. राजेन्द्र गुप्ता ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। जिसमें उच्च न्यायालय ने सीएमओ और कलेक्टर को निर्देशित किया कि तीन माह के भीतर शिवपुरी को सूअरों से मुक्त कराया जाए। सूअरपालकों के विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई हो।

यदि वह शहर से सूअर हटाने में इच्छुक न हों तो उन्हें नौकरी से निकाला जाए। इसके बाद भी यदि शहर से सूअर न हटे तो उनका विनिष्टिकरण किया जाए। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार शहर से 7 जुलाई तक सूअर नहीं हटाए गए तो उसके लिए कलेक्टर और सीएमओ दोषी होंगे तथा उनके विरूद्ध उच्च न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी, लेकिन उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद भी सीएमओ अशोक रावत ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई और वे समस्या से बचने के लिए लंबी छुट्टी पर चले गए। सीएमओ का  प्रभार स्वास्थ्य अधिकारी अशोक शर्मा पर है जो जून माह के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि उच्च न्यायालय के आदेश के अव्हेलना में कार्रवाई किस पर होगी?


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