डाक्टरों की लापरवाही का दंश झेलती रही प्रसूता, 10 घंटे तक नहीं मिला उपचार

शिवपुरी। जिले के करैरा क्षेत्र में पेट के  दर्द से ग्रसित एक प्रसूता को उसके परिजन इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए, लेकिन 10 घंटे तक डॉक्टरों ने उसकी सुध नहीं ली। जब उसकी हालत बिगडऩे लगी तो परिजनों ने हंगामा किया। इसका विपरीत परिणाम यह हुआ कि डॉक्टरों ने प्रसूता का इलाज करने के स्थान पर उसे ग्वालियर रैफर कर दिया।
ग्वालियर रैफर करना जिला अस्पताल के डॉक्टर अच्छी तरह जानते हैं। कर्तव्यों से किनारा करने हेतु उनके पास सिर्फ रैफर का ही एक मात्र सहारा है। इस मामले से जिला अस्पताल के डॉक्टरों की संवेदनहीनता एक बार फिर से उजागर हो गई है।  

प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले तीन दिनों से सुनीता पत्नी रामसिंह कुशवाह के पेट में दर्द हुआ तो उसे उसके परिजनों ने करैरा स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया। जहां सुनीता को खून की कमी बताते हुए शिवपुरी रैफर कर दिया। कल दोपहर लगभग दो बजे उसके परिजन उसे शिवपुरी अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन शिवपुरी के मॉडल अस्पताल का खिताब पा चुके उस अस्पताल में कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। 

सभी डॉक्टर रविवार की छुट्टी मना रहे थे और सुनीता जीवन और मरण के बीच संघर्ष कर रही थी और उसके परिजन डॉक्टरों की खोज में अस्पताल के हर वार्ड में घूम रहे थे। यह घटनाक्रम लगभग 10 घंटे तक चला, लेकिन कोई भी उस गरीब की सहायता के लिए आगे नहीं आया और रात में सुनीता की हालत इतनी नाजुक हो गई कि उसके परिजन घबरा गए और उन्होंने हिंसा का मार्ग अपनाते हुए हंगामा शुरू किया तो वहां ड्यूटी पर मौजूद नर्सों ने सुनीता को खून की बोतल लगा दी और कुछ इंजेक्शन लगाकर डॉक्टरों से सलाह लेकर उसे ग्वालियर रैफर कर दिया।  देर रात्रि परिजन सुनीता को 108 ए बुलेंस की सहायता से ग्वालियर ले जाया गया।