स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जूझ रहा शिवपुरी

शिवपुरी- नगर के लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं में कमी है यही कारण है कि आज ना केवल जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों और कर्मचारियों पर भार बढ़ा है बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के लिए संचालित कई योजनाओं आज सही ढंग से क्रियान्वित नहीं हो रही है
जिससे यह परेशानी सिर उठाए खड़ी है ऐसे में शहर के सामाजिक कार्यकर्ता बी.एल.पाण्डे ने इस संदर्भ में सूचना के अधिकार के तहत महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की और नगरवासियों को बेहतर सुविधा मिले इसके लिए लिखित दस्तावेज के माध्यम से ना केवल शिकायत की है बल्कि महत्वपूर्ण सुझावों को यदि अमल में लाया जाए तो कुपोषण और अन्य बीमारियों को समय रहते रोका जा सकता है बस आवश्यकता है योजनाओं के सही रूप से क्रियान्वयन की और इसे शासकीय अमला ही पूर्ण कर सकेगा अन्यथा शिवपुरी जिला कभी स्वास्थ्य सेवाओं से बहाल नहीं हो सकेगा।

सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत बाबूलाल पाण्डे ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए आरटीआई के तहत मप्र शासन द्वारा प्रदत्त शासकीय सेवा योजनाओं के बारे में जानकारी एकत्रित की और इसमें आने वाली कमियों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। श्री पाण्डे के अनुसार जिला मुख्यालय पर आबादी लगभग 2 लाख से ज्यादा है और ऐसे में जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य सेवाऐं की पूर्ति नहीं की जा पा रही, यदि 50 हजार की आबादी पर 4 शहरी स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाए तो स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को पूरा किया जा सकता है। 

श्री पाण्डे के अनुसार वर्ष 2014 तक  152 उप स्वास्थ्य केन्द्र 49 प्राथ.स्वा.केन्द्र 15-11 कुल 4 सामु.स्वा. केन्द्र एवं शिवपुरी जिला मुख्यालय पर 4 शहरी स्वास्थ्य केन्द्र नहीं खोले गए तो ऐसे में प्रतीत होता है कि यहां मानवाधिकारों का हनन हो रहाहै और इन समस्याओं के लिए नागरिकों को आन्दोलन व समुचित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने के लिए न्यायालय की शरण लेनी पड़ेगी। श्री पाण्डे ने बताया कि शिवपुरी जिले में केन्द्र व राज्य सरकार के जनसंख्या मानदण्डों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य संस्थाऐं उप स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नहीं खोले जा रहे है ना ही झोलाछाप डॉक्टरों के प्रति कोई सार्थक कार्यवाही हो पा रही है और ना ही उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर उचित ईलाज करने के लिए प्रेरित किया जा रहा जिससे स्वास्थ्य सेवाऐं चौपट है।

ऐसी हो व्यवस्था

श्री पाण्डे के अनुसार आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के अनुसार 3-5 हजार की आबादी पर एक उप स्वास्थ्य केन्द्र, 20-30 हजार की आबादी पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और 80- एक लाख 20 हजार की आबादी पर स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने चाहिए। शहर में 50 हजार की जनसंख्या के लिए शहरी स्वास्थ्य केन्द्र खोला जाना चाहिए लेकिन शहर में एक भी स्वास्थ्य केन्द्र अभी तक नहीं खोला गया वैसे यहां 4 स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने चाहिए क्योंकि शिवपुरी में जनसंख्या 2 लाख से अधिक हो गई है। यहां प्रति 3 हजार की ग्रामीण अजजा आबादी पर एक उप स्वा. केन्द्र, प्रति 20 हजार आबादी पर एक प्राथ.स्वा. केन्द्र तथा प्रति 80 हजार की आबादी पर एक सामु.स्वा.केन्द्र खोले जाने की स्वीकृति चाहिए जिससे अजजा की ग्रामीण आबादी को स्वास्थ्य सेवाऐं सुलभ हो सके। गणना करके 2014 की प्रक्षेपित ग्रामीण अजजा जनसंख्या के लिए शिवपुरी जिले 63 उप स्वा.केन्द्र 9 प्रा.वि.केन्द्र 2 सा.स्वा.केन्द्रों की आवश्यकता की तुलना में केवल 25 उप स्वा.केन्द्र है लेकिन प्रा.स्वा.केन्द्र व सा.स्वा.केन्द्र एक भी नहीं है यानि 38 उप स्वा.केन्द्र 9 प्रा.स्वा.केन्द्र व 2 सामु.स्वा.केन्द्र की कमी आज भी है या इसे यूं कहें कि उप स्वा.केन्द्र 144880 ग्रामीण अजजा आबादी के लिए उपलब्ध ही नहीं है।

ये हों उपाय

स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली के लिए कुछ उपाय सामाजिक कार्यकर्ता बाबूलाल पाण्डे द्वारा दिए गए है जिसमें बताया स्वास्थ्य सेवाओं की कमी की पूर्ति के लिए शीघ्र अतिशीघ्र डॉक्टरों, नर्सेज की भर्ती, प्रशिक्षण और नियुक्ति  की प्रक्रियाऐं सरल करनी होंगी। इच्छुक पुरूष स्वा. कार्यकर्ता को भी एएनएम का अतिरिक्त प्रशिक्षण देकर भी मैन पॉवर की पूर्ति की जा सकती है इसके अलावा रिटायर्ड पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षकों तथा पैरामेडीकल स्टाफ को शार्ट टर्म रिफ्रेशर प्रशिक्षण देकर उन्हें लायसेंस जारी कर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रेक्टिस करने के लिए अधिकृत किया जाये ताकि कम से कम वे झोलाछाप डॉक्टरों की तुलना में ज्यादा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाऐं और उपचार उपलब्ध करा सकेंगें। यदि अभी भी स्वास्थ्य संस्थाओं की पर्याप्त संख्या में खोले जाने की स्वीकृति शासन नहीं दे सकता तो ग्रामीण क्षेत्रों में कमी का चक्र नहीं टूट सकता और जनता मजबूरी में उसके वैद्य स्वास्थ्य के अधिकार को भी कभी शायद ही प्राप्त कर सकेगी। इसके लिए स्वयं श्री पाण्डे व उनके साथी वर्ष 2010 से निवेदन भी करते आ रहे है और उन्हें आशा है कि अब स्वास्थ्य मंत्री, जनप्रतिनिधि, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, विभागाध्यक्ष, विभागीय जिला अधिकारी व कलेक्टर इस मामले को गंभीरता से लेंगें।