पत्ते वाले सेठजी को कांग्रेस, बसपा के साथ-साथ स्थानीय भाजपा से भी लडऩा होगा

शिवपुरी। जिले के कोलारस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में इस बार पत्ते वाले सेठजी की ना केवल बसपा और कांगे्रस से मुकाबला करने की संभावना है वरन उन्हें कुछ हद तक भाजपा से भी लडऩा होगा क्योंकि पत्ते वाले सेठजी के खिलाफ अब स्थानीय भाजपा नेता भी करने लगे है और वह स्थानीयता के मुद्दे को उठाकर यहां से पत्ते वाले परिवार के विरूद्ध आवाज बुलंद करा चुके है और बकायदा इसके लिए प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार तक को भी शिकायत कर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है। ऐेसे में यह काबिलेगौर होगा कि कोलारस क्षेत्र में अब बसपा आगे निकलेगी या कांग्रेस या कहें कि भाजपा पहले अपनों से ही निपट लें।

हम बात कर रहे है कोलारस क्षेत्र से पत्ते वाले सेठजी यानि विधायक देवेन्द्र जैन जिन्हें संभवत: आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा से मैदान में उतारा जाएगा लेकिन वह स्वयं तो अपनों से निबट लें तब कहीं जाकर वे इस लाईन में आ पाऐंगें। बताया गया है कि यूं तो विधानसभा क्षेत्र कोलारस में पिछली बार ही देवेन्द्र जैन को कड़ी टक्कर कांग्रेस उम्मीदवार रामसिंह यादव से मिली और महज 238 मतों से विजय हासिल कर पाए। तब से लेकर अब तक उनके द्वारा किए गए कार्यों से भाजपाई ही खुश नहीं तो अन्य दलों की तो बात ही अलग है यही वजह है कि भाजपा में उनका खुलकर तो नहीं लेकिन मुखर विरोध समय-समय दर्ज हुआ और वह देखने को भी मिला।

देवेन्द्र जैन विधायक ने जिन कार्यकर्ताओं को अपने साथ पिछले चुनाव 2008 में जोड़ा था और जिनके सहारे उन्होंने रामसिंह यादव के खिलाफ फतेह हासिल की थी आज वह कार्यकर्ता पूरी तरह से टूटे हुए दिखाई देते हैं। मण्डल अध्यक्ष के साथ-साथ महामंत्री भी देवेन्द्र जैन के खिलाफ खुले तौर पर बगावती तेवर दिखा रहे हैं। रामस्वरूप रिझारी, रामेश्वर विंदल, मंजू महाराज, बाबू सिंह चौहान, सुशील रघुवंशी के साथ-साथ और भी ऐसे कई नाम हैं जो देवेन्द्र जैन को प्रत्याशी घोषित करने को लेकर अपना दमदार विरोध पार्टी हाईकमान के सामने दर्ज कर रहे हैं। क्षेत्र में बाबू सिंह चौहान, सुशील रघुवंशी यह क्षेत्रीय होने के साथ-साथ इस मुकाम पर आकर खडे नहीं हुए हैं कि पार्टी अपना प्रत्याशी इनमें से घोषित करे। मंजू महाराज जो अनूप मिश्रा की दम पर प्रत्याशी होने का दावा कर रहे हैं और ब्राह्मण होने की वजह से उन्हें पार्टी अपना प्रत्याशी बनाने का मन बना भी ले तब भी उनको विधायक के पद के रूप में नहीं देखा जा सकता।

रामेश्वर विंदल जिन्हें पार्टी ने नगर पंचायत के चुनाव में अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था और 500 वोट लाकर उन्होंने अपनी जमानत जप्त करा ली थी इसलिए उनकी हैसीयत भी विधानसभा प्रत्याशी के रूप में नहीं मानी जा सकती। आलोक विंदल जो देवेन्द्र जैन के विरोधी हैं लेकिन विधानसभा चुनाव के समय ही उन्हें अपने नट बोल्टों की दुकान से फुर्सत मिलती है इसके बाद वह साढे चार साल के लिए अपनी दुकान में मस्त हो जाते हैं लेकिन चुनाव की बेला में वह टिकिट की मांग जरूर करते हैं उनकी राजनैतिक निष्क्रिया ने उन्हें इस काबिल नहीं बना पाया है कि वह चुनाव में आ सकें।

हालांकि नगर पंचायत कोलारस के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सबसे मजबूती से अपने को साबित किया था। फिलहाल देवेन्द्र जैन के विरोधियों का इसी तरह दबाव बना रहा तो निश्चित तौर पर प्रहलाद भारती को कोलारस विधानसभा से पार्टी अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है। चूंकि जन आशीर्वाद यात्रा में मुख्यमंत्री के सामने सैंकड़ों लेगों ने प्रहलाद भारती के खिलाफ में प्रदर्शन किया था और प्रहलाद भारती धाकड समुदाय के होने की वजह से पोहरी के बाद कोलारस में ही उपयुक्त समझे जा सकते हैं। लेकिन उनका भाजपा प्रत्याशी के रूप में घोषित होना श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया की मर्जी पर ही निर्भर करेगा।

क्यों है विरोध विधायक का ?

देवेन्द्र जैन विधायक को लेकर कोलारस विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं ने 2008 के चुनाव में जो जोश दिखाया था वह पूरी तरह से विरोध में बदल गया है। इसकी वजह साफ है कि देवेन्द्र जैन के द्वारा कांग्रेस के लोगों को लगातार संरक्षण दिया जा रहा है। अपनी चुनावी रणनीति को लेकर भाजपा के लोगों की वजाये अब कांग्रेस के कार्यकर्ताटों पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं इस वजह से भाजपा के कार्यकर्ताटों में देवेन्द्र जैन के खिलाफ विरोध है। दूसरा सजातीय वातावरण बनाने में देवेन्द्र जैन ने बहुत तेजी से काम किया था और वैश्य समुदाय के लोगों का धुव्रीकरण् आज देवेन्द्र जैन के लिए विरोध का दूसरा बड़ा कारण है। तीसरा उनकी आक्रामक शैली न होना कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ी समस्या रही है। इसके अलावा सांझ ढलते ही उनकी कार्यशैली में जो परिवर्तन आता है उससे भी विधानसभा के लोग भारी परेशान रहे हैं। इन सब परिस्थितियों के साथ-साथ देवेन्द्र जैन की पार्टी हाईकमान नेताओं से लगातार घटती बढती विश्वसनीयता आज उन्हें चुनौती के रूप में सामने दिखाई दे रही है। यशोधरा राजे सिंधिया का हाथ पकड़कर राजनीति में प्रवेश करने वाले देवेन्द्र जैन ने नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रभात झा, नरोत्तम मिश्रा के साथ जो कैमिस्ट्री बनाई है वह उनके लिए विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी घोषित होने में आडे आ रही है।