मारना किसी और को था, मर कोई और गया, एक साल पुराने मामले का खुलासा

शिवपुरी। जिले के पिछोर क्षेत्र में किसी बात को लेकर तीन हत्यारों ने एक निर्देाष युवक की पत्थर पटककर हत्या कर दी जब हत्या के मामले का खुलासा अगली सुबह हुआ तो आरोपियों को पछतावा हुआ, क्योंकि वो जिस व्यक्ति को मारना चाहते थे वह तो खेत पर सोता नहीं मिला बल्कि उसकी जगह कोई और मिल गया और इन सब ने मिलकर उसकी हत्या कर दी।
घटनाक्रम के खुलासे के लिए पुलिस के प्रयास निरंतर जारी थे और पुलिस ने अपनी पूछताछ में एक वर्ष बाद मामले से पर्दा उठाया और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

जानकारी के अनुसार पता चला है कि जिले के पिछोर क्षेत्र के ग्राम रूपनगर रही में पिछले वर्ष  29 और 30 अक्टूबर की रात्रि शंकरा पुत्र हल्का आदिवासी उम्र 55 वर्ष काशीराम के खेत पर सो रहा था। तभी कुछ अज्ञात लोगों ने शंकरा की पत्थर पटककर हत्या कर दी थी। जिसकी लाश 30 अक्टूबर को पुलिस ने बरामद की थी और लाश के पीएम के बाद अज्ञात हत्यारोपियों के खिलाफ हत्या का मामला भी दर्ज कर लिया था। 

हत्या के बाद से ही गांव के कल्ला आदिवासी पुत्र हरचंदा आदिवासी, बऊआ पुत्री बैनीप्रसाद आदिवासी, बाबू पुत्र कमला आदिवासी पर पुलिस शक की निगाह टिकाए हुए थी और कई बार इन लोगों से पुलिस ने पूछताछ भी की, लेकिन कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा। पुलिस इस पूरे मामले के पर्दाफाश में लगी हुई थी और इस अंधे कत्ल को शीघ्र सुलझाने के निर्देश पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार ने भी क्राइम मीटिंग में पिछोर टीआई सुनील श्रीवास्तव को दिए थे। जिसे उन्होंने गंभीरता से लिया और संदेह के आधार पर इन तीनों को पूछताछ के लिए थाने ले आए तथा जब इनसे सख्ती से पूछताछ की तो तीनों ने अपना गुनाह कबूल लिया।

हत्या का बदला लेने की हत्या

पूछताछ में तीनों हत्यारोपियों ने बताया कि सन् 2003 में बऊआ के पिता बैनीप्रसाद की काशीराम ने लोधी समाज के कुछ लोगों से हत्या करा दी थी। जब से ही वह काशीराम से अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए आतुर था और घटना वाले दिन उसे जानकारी लगी थी कि काशीराम अपने कुएं पर अकेला सो रहा है। यह सुनते ही मौका पाकर काशीराम की हत्या करने का षड्यंत्र रच लिया और कल्ला तथा बाबू के साथ वह काशीराम के खेत पर पहुंच गया। जहां अंधेरा बहुत था और उन्हें खटिया पर एक युवक सोता हुआ दिखा। जिसे काशीराम समझकर उन्होंने आव देखा न ताव उस पर पत्थर पटकना शुरू कर दिया और वहां से भाग निकले। सुबह उन्हें जानकारी लगी कि काशीराम तो गांव में सकुशल घूम रहा है।

एसपी के निर्देश पर टीआई ने दिखाई सक्रियता

इस घटनाक्रम को लेकर पुलिस अधीक्षक डॉ.महेन्द्र सिंह सिकरवार भी सतत प्रयासरत थे और वे चाहते थे कि शीघ्र अतिशीघ्र इस मामले का खुलासा हो जिस पर टीआई पिछोर सुनील श्रीवास्तव भी सक्रिय हुए और उन्होंने इस हत्याकाण्ड में शामिल तीनों आरोपियों से गहन पूछताछ की तो उन्होंने अपना सारा जुर्म कबूल कर लिया। हालांकि टीआई का इस मामले में कहना था कि कई बार राजनैतिक दबाब के चलते वे इस मामले को इतनी देर में सुलझा पाए अन्यथा यह मामला जल्दी सुलट जाता। 

टीआई के अनुसार शंकरा आदिवासी की पत्थर पटककर हत्या करने के बाद आरोपी कल्ला, बऊआ और बाबू ईधर-उधर हो लिए थे और पुलिस को इन तीनों पर शुरू से शक था, लेकिन जब पुलिस इनसे पूछताछ के लिए जाती तो पिछोर के स्थानीय नेता पुलिस पर दवाब बनाते थे। जिस कारण इस हत्याकाण्ड में लेट-लतीफी हुई और आरोपी खुलेआम घूमते रहे, लेकिन इस पूरे मामले को एसपी महेन्द्र सिंह सिकरवार ने गंभीरता से लिया और बिना किया राजनैतिक दवाब के इस मामले की निष्पक्ष जांच की गई तो यह तीनों आरोपी पुलिस के चंगुल में फंस गए और अपना गुनाह भी स्वीकार कर लिया।