फीस फाईव स्टार होटल की, सुविधाऐं खैराती अस्पताल जैसी

शिवपुरी। शहर के पोहरी रोड स्थित विद्यालय सेंट चार्ल्स की हालत इन दिनों ऐसी है जैसे कि किसी फाईव स्टार होटल में प्रवेश करें और वहां व्यवस्थाऐं खैराती अस्पताल की तरह मिले।

यही हालात इस विद्यालय में नजर आ रहे है जहां ना केवल बच्चों को भौतिक सुख-सुविधाऐं मिलनी चाहिए वरन् छात्रों से अच्छी खासी मोटी फीस वसूलने के बाद भी उनके उज्जवल भविष्य को काफूर किया जा रहा है। चूंकि यहां विद्यालय प्रबंधनक बच्चों के अभिभावकों की भी नहीं सुनता तो यह हालात जस के तस है।

इन दिनों इस विद्यालय पर नाम बड़े और दर्शन छोटे यह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है जहां पोहरी रोड पर स्थित सेंटचार्ल्स स्कूल इन कहावतों पर सत्यता की भांति दिखाई दे रहा है। स्कूल ने फीस में वृद्धि तो कर दी है, लेकिन जो सुविधाएं हैं वह भी विद्यार्थियों को सुलभ नहीं कराई जा रहीं। यहां तक कि बच्चों को स्कूल में पीने के लिए स्वच्छ पानी भी नहीं मिल रहा। बसों की हालत इतनी कण्डम है कि हर समय दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है और पालक  स्कूल जाने पर अपने बच्चों के लिए लगातार चिंतातुर बने रहते हैं।

कलेक्टर कुछ करते क्यों नहीं

कई छात्रों और उनके पालकों ने जानकारी देते हुए बताया कि स्कूल में विद्यार्थियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रहीं। इसका असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। छात्रों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस वृद्धि कर दी गई। लेकिन इसके बावजूद भी स्कूल में स्वच्छ पानी पीने को नहीं दिया जा रहा है। साथ ही भीषण गर्मी में तीन-तीन जनरेटर होने के बावजूद भी कूलर-पंखे नहीं चलाए जाते हैं। जिस कारण गर्मी में छात्रों को परेशानी उठानी पड़ रही है। बारिश में स्कूल तालाब बन जाता है। जगह जगह पानी भर जाता है। कोई भी संक्रामक रोग और बरसाती कीड़ों का प्रकोप फैल सकता है।

कई बार स्कूल प्रबंधन से इस बात को लेकर अभिभावकों ने शिकायत भी की, लेकिन विद्यार्थियों की इस समस्या पर कोई भी कदम नहीं उठाया गया। जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। कुछ विद्यार्थियों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा चलाई जा रहीं बसें भी कण्डम स्थिति में हैं और बसों में क्षमता से अधिक छात्रों को बिठाया जाता है। जिस कारण हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है और फीस वृद्धि प्रतिवर्ष कर दी जाती है। वहीं अभिभावकों का कहना है कि इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा फीस में दोगुनी वृद्धि कर दी गई है।

सवाल यह उठता है कि तमाम शक्तियां होने के बावजूद इन ईसाई मिशनरियों के स्कूलों के खिलाफ कलेक्टर कुछ करने की हिम्मत क्यों नहीं उठा पाते, जबकि इन स्कूलों के भवन प्रशासनिक कार्यों के लिए भी उपलब्ध नहीं कराए जाते।