मंगलम् चुनाव : शिवपुरी जिले में अब 31 नए समाजसेवी उगे

त्वरित टिप्पणी@ललित मुदगल/शिवपुरी-समाजसेवा लगता है कि जब मन में सेवा करने का बीड़ा उठा लिया है तो क्यों ना समाजसेवा की जाए, लेकिन क्या यही समाजसेवा  राजनीति की सीढ़ी होती है, हां होता तो ऐसा ही है और हो भी यही रहा है।
वर्तमान समय में वर्ष 1981 से समाजसेवा व नि:शक्तों की सेवा में कार्यरत संस्था की गतिविधियां चल रही थी लेकिन अचानक आज 31 सालों बाद ऐसा क्या हुआ कि इस समाजसेवी संस्था को भी राजनीति का अखाड़ा बना दिया। इस संस्था ने अब ऐसे नए 31 समाजसेवीयों को उगा दिया है जिनका स्वयं तो कोई अस्तित्व नहीं लेकिन वह इस संस्था के द्वारा आगे की सीढ़ी चढऩा चाहते है।

हम बात कर रहे है इन दिनों शिवपुरी शहर में होने वाले मंगलम् संस्था के चुनावों की जो आज 31 सालों बाद चुनावी अखाड़े की भेंट चढ़ रही है। इस संस्था के एक समाजसेवी सचिव राजेन्द्र मजेजी और पदेन अध्यक्ष कलेक्टर की निगरानी में इस संस्था ने हजारों लोगों का भला किया है उन्हें रहने का आश्रय दिया तो वहीं नि:शक्तों को चलने के लिए ट्रायसायकल भी प्रदाय की यही नहीं यहां गरीबों और बेसहारा को रहने के लिए आश्रय की व्यवस्था भी मंगलम् ने की लेकिन आज इस संस्था के अध्यक्ष की नौबत आना यानि कहीं ना कहीं अब स्वार्थों से जुड़ी बात सामने आ रही है।

कहा जाता है कि समाज की सेवा करनी हो तो वह किसी भी रूप में की जा कती है पद हो या ना हो, परन्तु अब समाजसेवा के रूप बदल गए है। अब समाजसेवा में भी स्वयं की ब्राण्डिंग की जाने लगी है। लोग जाने कि मैं कितना बड़ा समाजसेवी हॅंू, लंगड़े-लूलों को वैशाखी बांटने वाली इस संस्था को कुछ समाजसेवी लोग इसी संस्था को बैशाखी बनाकर राजनीति की सीढ़ी पर प्रथम कदम बढ़ाने की सोच रहे है या यूं कह लें कि पार्टियों में कोई आश्रय ना मिलने के कारण इस संस्था में अपना आश्रय ढंूढ रहे हैं।

गत दिवस मंगलम् की बैठक इसलिए आहूत की गई थी कि पुन: इस संस्था को नियमित रूप चलाना है लेकिन यहां तो इस संस्था के सदस्यों ने ही पूरा माजरा बदल डाला और संस्था पर काबिज होने के लिए स्वयं कूद पड़े। ये शिवपुरी की वे हस्तियां है जिनका स्वयं का अस्तित्व कुछ हो ना हो पर इस संस्था से जुडऩे के बाद उनका अस्तित्व बनता नजर आएगा। अभी कुछ दिनों पूर्व ही प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यहां राजमाता विजयाराजे सिंधिया भवन का लोकार्पण भी किया, निश्चित रूप से इस संस्था के द्वारा किए जाने वाले कार्यों से राजनीति के नंबर भी बढ़ते है यही वजह है कि आज समाजसेवा का ढोंग रचाने के लिए इस संस्था के चुनावों की नौबत आई।