जिलाध्यक्ष का ऑफर मिलने पर जैन ब्रदर्स पशोपेश में

शिवपुरी- शिवपुरी भाजपा जिलाध्यक्ष के चयन का मामला भोपाल में भी वरिष्ठ नेताओं द्वारा सुलट नहीं पा रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि ग्वालियर संभागीय कार्यालय में हुई बैठक के बाद भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन को चयन की जिम्मेदारी देने के बाद अब इस मामले को संगठन महामंत्री ही अपने स्तर से देख रहे हैं।
खबर है कि वर्तमान जिलाध्यक्ष रणवीर रावत की खिलाफत में उतरे देवेन्द्र जैन और यशोधरा खेमे के नेताओं के समक्ष वरिष्ठ नेताओं ने कुछ नए विकल्प रखे हैं जिसमें देवेन्द्र जैन से शिवपुरी जिलाध्यक्ष बनने के बारे में पूछा गया है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने देवेन्द्र जैन को शिवपुरी का नया भाजपा जिलाध्यक्ष बनने का ऑफर दिया है। 

इस ऑफर में उनसे 2013 में पुन: टिकिट की मांग ना करने की बात कही गई है। इस शर्त के बाद देवेन्द्र जैन दुविधा में पड़ गए है। इस दुविधा के पीछे उनकी विधायकी का मोह एक प्रमुख कारण है। वर्तमान में कोलारस से विधायक देवेन्द्र जैन विधायकी का मोह छोड़ नहीं पा रहे हैं और इधर दूसरी ओर संगठन द्वारा दिए गए जिलाध्यक्षी के ऑफर से देवेन्द्र जैन दुविधा में पड़ गए है।


सूत्रों का कहना है कि जिलाध्यक्ष का ऑफर मिलने के बाद देवेन्द्र जैन और उनके छोटे भाई जितेन्द्र जैन गोटू पेशोपेश में है कि संगठन मे जाया जाए कि नहीं। भोपाल से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि जिलाध्यक्ष के चयन का काम देख रहे संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन ने देवेन्द्र जैन को जिलाध्यक्ष का पद देने का ऑफर किया है मगर इस ऑफर में दी गई शर्त देवेन्द्र जैन को रास नहीं आ रही है। अब देखना यह है कि पशोपेश में पड़े देवेन्द्र जैन संगठन की इस शर्त को मानते हैं कि नहीं। 

तो फिर स्वीकार करना होगा निर्णय


जिलाध्यक्ष के पद का ऑफर मिलने के बाद पशोपेश में पड़े देवेन्द्र जैन द्वारा संगठन का ऑफर और दी गई शर्त ना मानने के बाद संगठन द्वारा लिए गए निर्णय पर देवेन्द्र जैन और अन्य यशोधरा समर्थकों को इस मामले में अब भोपाल से जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर लिए गए निर्णय को स्वीकार करना होगा। खबर आ रही है कि देवेन्द्र जैन यदि एक-दो दिन में कोई निर्णय नहीं ले पाते हैं तो संगठन भोपाल स्तर से ही इस मामले में कोई फैसला देगा और यह फैसला आखिरी होगा और इस फैसले को स्थानीय भाजपा नेताओं को स्वीकार करना होगा। सूत्र बताते हैं कि देवेन्द्र जैन द्वारा ऑफर स्वीकार ना करने के बाद रणवीर रावत का नाम फायनल है और कुछ ही दिनों में इस बारे में निर्णय लिया जा सकता है। 

बदल सकते हैं समीकरण


सूत्र बताते हैं कि संगठन द्वारा जिस प्रकार से देवेन्द्र जैन को जिलाध्यक्ष का पद देने का ऑफर किया गया है उसके पीछे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की लंबी सोच इसके पीछे है। सन् 2013 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर इस रणनीति पर विचार किया जा रहा है। जिसमें देवेन्द्र जैन को जिलाध्यक्ष बनाकर उन्हें कोलारस से टिकिट नहीं दिया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि इस योजनानुसार पोहरी विधायक प्रहलाद भारती को पोहरी से टिकिट ना देकर कोलारस से मैदान में उतारा जाएगा और जिलाध्यक्ष का पद छोडऩे वाले रणवीर रावत को पोहरी अथवा शिवपुरी से मैदान में उतारने की योजना संगठन की है। सीटों का बदलाव और नए चेहरों को मैदान में उतारने से पार्टी को इसका लाभ होगा। असंतोष और आपसी खेमेबाजी पार्टी प्रत्याशियों के बदलने के बाद कुछ कम होगी। जिसका लाभ भाजपा को मिल सकता है इसी सोच पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने देवेन्द्र जैन को जिलाध्यक्षी पद का ऑफर दिया है। 
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