पटवारी रिश्वतकाण्ड को दबाने में लगे अधिकारी

शिवपुरी-शिवपुरी तहसील में एक पटवारी द्वारा नामांतरण के नाम पर एक व्यक्ति से रिश्वत लेने की सीडी बनने के बाद संबंधित पटवारी को बचाने में तहसील में पदस्थ राजस्व विभाग के अधिकारी लग गए है। जिस पटवारी पर रिश्वतखोरी का आरोप लगा है वह शिवपुरी में कई दिनों से पैसे लेकर आम आदमी का दोहन कर रहा था। इस रिश्वतखोर पटवारी को बचाने के लिए शिवपुरी तहसील में पदस्थ राजस्व अमले के अधिकारी व कर्मचारियों के अलावा कुछ भू-माफिया भी इस मामले में सक्रिय हुए है। 

बताया जाता है कि रिश्वतखोर पटवारी पिछले कई दिनों से शिवपुरी शहर में विभिन्न लोगों से नामांतरण व अन्य राजस्व कार्य के बदले जबर्दस्त ढंग से पैसों की उगाही कर रहा था। पिछले दिनों इस पटवारी की एक व्यक्ति द्वारा रिश्वत देते वक्त सीडी बनाने की खबर सामने आई है। इस सीडी में शिवपुरी तहसील के इस पटवारी ने पैसे लिए है जो वीडियो सामने आए है उसमें इस पटवारी को रिश्वत लेते दिखाया गया है। सूत्र बताते हैं कि जिस व्यक्ति ने इस पटवारी की सीडी बनाई है उसने एक शिकायती आवेदन देहात पुलिस को दिया है। देहात पुलिस इस मामले में जांच में जुटी है। 

तहसीलदार पर भी उठी उंगलियां


बताया जाता है कि जिस रिश्वतखोर पटवारी की जो सीडी बनी है उसमें यह पटवारी अपनी तहसील के तहसीलदार पर भी पैसा पहुंचाने की बात कहता नजर आ रहा है। नामांतरण के नाम पर पैसा लेने वाला यह पटवारी साफ कहता है कि ऊपर तक पैसे देने पड़ते है इसीलिए यह सुविधा शुल्क लोगों से लिया जाता है। पटवारी द्वारा खुलेआम यह बयानी शिवपुरी में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोलती है। पटवारी द्वारा खुलेआम यह साफगोई से कहना है कि पैसा ऊपर तक जाता है इस बात को बताता है कि शिवपुरी में किस तरह से प्रशासनिक कामकाज में भ्रष्टाचार चल रहा है। कलेक्टर आर.के.जैन को चाहिए कि इस मामले की उच्च स्तर तक जांच कराऐं और रिश्वतखोर पटवारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही किए जाने की आवश्यकता है।

जांच को लेकर अधिकारी मौन


शिवपुरी तहसील के एक पटवारी द्वारा नामांतरण के बदले पैसे मांगने का मामला सामने आने के बाद जिले के वरिष्ठ अधिकारी चुप्पी साधकर बैठ गए है। कलेक्टर से लेकर एसडीएम व तहसीलदार भी इस मामले में कोई प्रभावी कार्यवाही करते नजर नहीं आ रहे है। बीते कुछ दिनों से मीडिया ने इस बात को उठाया है और शिवपुरी तहसील में चल रहे खुलेआम भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद भी अधिकारियों का यह मौन यह बताता है कि इस गोरख धंधे में ऊपर से नीचे तक सब लोगों की मिलीभगत है।