इस फर्जी बीईओ पर कलेक्टर शिवपुरी की सील नहीं थी वरना.!

/त्वरित टिप्पणी/
/ललित मुदगल/
शिवपुरी- हिन्दू धर्म में शिक्षक को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया है। शिक्षक ही इस देश के भविष्य का निर्माता है। इतिहास में भी ऐसे कई शिक्षकों के उदाहरण देखने को मिले हैं। कहा यह भी जाता है कि शिक्षक का चरित्र संस्कारवान होना चाहिए। शिक्षक की परिभाषा कुछ कलमवीरों ने ऐसे दी है। शि- अर्थात शीलवान क्ष- अर्थात क्षमावान,क-अर्थात अपना पूरा जीवन कर्तव्य की बलिवेदी पर चढ़ा देना। परन्तु हमें ऐसे शिक्षक का फलस्पा लिखना पड़ रहा है। जो इस शिक्षक की पूरी परिभाषा को बदल कर रख दिया है।


शिक्षक अपने मार्ग से भटक जाए तो समझिए कि उसका बेड़ा गर्क है यह कहावत है परन्तु सच्चाई भी इससे उलट नहीं है। क्येांकि जिले के पोहरी क्षेत्र में जनपद पोहरी में लंबे समय से फर्जी बीईओ के रूप में कार्यरत एक शिक्षक ने अपनी धौंस धपट देकर कई शिक्षकों को परेशान किया तो वहीं कई अशासकीय विद्यालयों का अनुमोदन कर अपने कर्तव्य के प्रति फर्जीबाड़ा करने से भी परहेज नहीं किया। अब इस फर्जी बीईओ के विरूद्घ कार्यवाही की शिकायत ना केवल पी.जी.सेल बल्कि जिला कलेक्टर और स्थानीय मीडिया को भी पहुंच गई है। हमारे पास मौजूद कुछ महत्वपूर्ण जानकारी में इस तरह के फर्जी बीईओ का काला चिठ्ठा मिला है जिसमें फर्जी बीईओ ने अपने कारनामों से ऐसेे कार्यों को अंजाम दिया है जो इनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं। संभवत: संबंधित फर्जी बीईओ के विरूद्घ कार्यवाही आवश्यक है।
 
दी गई जानकारी में बताया गया है कि जिले के पोहरी क्षेत्र में प्रधानाध्यापक प्रभुनाथ के स्थानांतरण के बाद पहुंचे मोतीलाल खंगार ने फर्जी बीईओ बनकर शासकीय नियमों की तो धज्जियां उड़ाई ही है साथ ही फर्जी रूप से पदभार संभालकर स्वयं को कठघरे में ला खड़ा किया है। यहां कन्या मा.वि.पोहरी के प्रधानाध्यापक मोतीलाल खंगार ने विकासखण्ड शिक्षाधिकारी बन गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों के रिजल्ट अनुमोदन कर दिया जबकि राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा अशासकीय विद्यालया के रिजल्ट का अनुमोदन संकुल प्राचार्य से कराया जाना था लेकिन यहां नियमों व कर्तव्य को भूल फर्जी बीईओ बने श्री खंगार ने इस कृत्य किया। इसके बाद इनकेे विरूद्घ पी.जी.सेल में पीजी क्रमांक 172224/2012/99 के द्वारा जिला शिक्षाधिकारी को अवगत कराया गया परन्तु भ्रष्टïाचार के चलते जांच अधिकारी विनोद दीक्षित प्राचार्य जो अब सेवानिवृत्त हो चुके है ने लेनदेन करके जांच को भ्रम की स्थिति में डालकर प्रकरण समाप्त कर दिया गया। 

इससे मोतीलाल खंगार के हौंसले और बुलंद हो गए और उनकेे द्वारा किसी भी गोपनीय दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से गुरेज नहीं किया गया। इस संबंध में पुन: जी.पी.क्रं.180113/2012 के द्वारा शिक्षाधिकारी को अवगत कराते हुए कार्यवाही की मांग की गई परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई। यहां शिकायत में बताया गया कि मोती लाल खंगारक े द्वारा विकासखण्ड शिक्षाधिकारी पदस्थ होने के बाद भी अनाधिकृत यप से बीईओ की सील पर हस्ताक्षर किये गये। शिकायत होने पर उनके द्वारा हजारों रूपयों का लेन देन कर बगैर तिथि डाले ही रिजल्ट का अनुमोदन कर दिया गया। कार्यवाही न होने से उत्साहित होकर श्री खंगार ने बिना मान्यता प्राप्त अशासकीय विद्यालय स्वामी विवेकानन्द स्कूल बैराढ़, डी.पी.नेशनल कॉन्वेन्ट बैराढ़, प्रा.वि.वेदखुर्द, प्रा.वि.मचाकला, तृप्ति पब्लिक बैराढ़, न्यू पैराडाईज बैराढ़, विजयानंद बैराढ़, स्वामी विवेकानन्द बैराढ़ स्कूलों का अनुमोदन किया। जबकि  पीजी क्रमांक 1702 में 03 अप्रैल 12 को प्रभारी बीईओ शशिकांत खरे को बताया गया। 

उसके बाद भी यह सभी अनुमोदन उस वक्त हुए जब 03 अप्रैल 12 को बीईओ प्रभारी शशिकांत खरे बनाए गए जबकि 12 और 13 अप्रैल को भी इसी तरह संकुल प्राचार्य के ओहदे को दरकिनार कर फर्जी बीईओ श्री खंगार ने कई शासकीय व अशासकीय विद्यालयों का अनुमोदन कर दिया। जिसमें कईओं पर तो तिथि भी अंकित नहीं की गई। यह तो अच्छा हुआ की इस फर्जी बीईओ ने केवल बीईओ की ही सील का इस्तेमाल कर केवल अशासकीय विद्यालया के रिजल्ट का अनुमोदन ही किया है। बताया जाता है कि यह फर्जी बीईओ साहब रोड़ पर ही खड़े होकर सील लगाकर परीक्षा परिणामों का अनुमोदन मोटी रकम लेकर कर देते थे। अच्छा हुआ इस फर्जी साहब ने जिलाधीश शिवपुरी की सील नहीं बन बाई। नहीं तो पता नहीं ये क्या-क्या कहां-कहां सील लगाकर गुल खिलाते।

फर्जी तरीके से किए गोपनीय पत्रक पर हस्ताक्षर, कार्यवाही की मांग


इस मामले में पी.जी.क्रमांक 180113/2012 के आवेदक द्वारा अनाधिकृत रूप से परीक्षा परिणाम का मूल्यांकन करने संबंधी शिकायत कलेक्टर को व पी.जी.सेल में की गई थी। यहां पूर्व में पी.जी.क्रमांक 172224/2012/99 के द्वारा कन्या मा.वि.पोहरी में पदस्थ प्रधानाध्यापक मोतीलाल खंगार द्वारा अनाधिकृत रूप से परीक्षा परिणाम अनुमोदन की शिकायत की गई थी परन्तु उक्त पी.जी. पर विभागीय अधिकारियों से लेनदेन के चलते फर्जी विकासखण्ड शिक्षाधिकारन्ी बनकर शिक्षकों को डरा धमकाकर परीक्षा परिणाम जैसे गोपनीय पत्रक पर हस्ताक्षर करने के सभी प्रकार के प्रमाण होने के पश्चात भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। 

ऐसे में अब अशासकीय विद्यालयों से लेनदेन कर लगातार बिना तारीख के हस्ताक्षर किये जा रहे है। इस संबंध में पुन: पीजी आवेदनकर्ता सहित समस्त शिक्षकगणों ने पीजी सेल के माध्यम से निवेदन किया है कि किसी निष्पक्ष अधिकारी से जांच कराकर मोती लाल खंगार के विरूद्घ इस गंभीर अपराध के कारण अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।