यहां श्रीकृष्ण और राधा रानी को बुआ और फूफा कहा जाता है

राजकुमार शर्मा
शिवपुरी। भगवान श्री कृष्ण को कई तीनों लोकों में कई नामों से पुकारा जाता है, शिव की नगरी शिवपुरी के पोहरी तहसील में भगवान श्री कृष्ण और राधा को बुआ और फूंफा के नाम से भी पुकारा जाता है। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी को बुआ और फूंफा पुकारे जाने की एक अजीब कथा है।  
बताया जाता है कि आज से लगभग 300 वर्ष पूर्व पोहरी के तात्कालीन जागीरदार जसवंत सिंह हुआ करते थे। उस समय ग्राम गल्थुनी में गोपाल मंदिर में केवल श्रीकृष्ण भगवान की ही प्रतिमाँ थी और पोहरी में अभी जो हाल में ही किले में स्थित मुरली मनोहर जी का मंदिर है। उसमें केवल श्री राधा जी की प्रतिमाँ हुआ करती थी।

यहां एक किदबंती है कि तात्कालीन जागीरदार जसवंत सिंह भगवान श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। भगवान श्रीकृष्ण ने  अपने प्रिय भक्त जसवंत सिंह को स्वपन दिया कि मैं पोहरी के अंदर स्थित श्रीराधा रानी की प्रतिमाँ से विवाह करने की योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपनी इच्छा बताई। इस स्वपन के पश्चात जसवंत सिंह ने सभी गांव वालों और पोहरी के निवासियों से चर्चा की और तब सबने वहां भगवान कृष्ण का विवाह के आयोजन का कार्यक्रम तय किया तब ग्राम गुल्थनी से भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य बरात को लेकर तात्कालीन जागीरदार जसवंत सिंह पोहरी की ओर लेकर चले और इस बरात की आगुवानी पूरे पोहरी के निवासियों ने की।

बताया जाता है कि इस विवाह के आयोजन में आसपास का पूरा इलाका शामिल हुआ था। विवाह संस्कार संपन्न कराए गए और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को राधारानी की मूर्ति के पास रख दिया। कहा जाता है कि यह बरात पोहरी में सात दिन रूकी, जब पोहरी के निवासियों ने बरात की विदा किया तो दुल्हा और दुल्हन की लिए दिव्य पालकियां सजाई गई और इन प्रतिमाओं को पालकियों में बिठाने के लिए उठाया गया। तो यह प्रतिमाँ अपने स्थान से नहीं उठी। जन चर्चा में यह भी कहा जाता है कि पोहरी निवासियों ने अपने जमाता श्रीकृष्ण की वह सेवा की वे अपनी ससुराल से जाने के नाम नहीं लिया।

जभी से इन्हें बुआ और फुफा का मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में जो अब पोहरी किले में स्थित है इसे अब मुरली मनोहर जी का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की प्रतिमाँ ब्लैक ग्रेनाईट की है और श्री राधा रानी की प्रतिमाँ व्हाईट मार्वल की है।