भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा जल संसाधन विभाग का समोहा डेम

युगल शर्मा
करैरा- जल संसाधन संभाग-4 के अंतर्गत आने वाले समोहा डेम पर वर्तमान दिनों में होने वाले डिवाटरिंग का काम प्रतिमाह लाखों रूपये का डीजल खर्च कागजों में दर्शाकर किया जा रहा है जिसमें भ्रष्टाचार की कहानी नित नये तरीक ों से गढ़ी जाती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुभाग के अंतर्गत आने वाली महुअर नदी पर बने समोहा पिक अप वियर डेम पर चलने वाले डिवाटरिंग का कार्य भीषण गर्मी में उस समय भी चलाया जा रहा है जब कि सम्पूर्ण नदी की धारा टूट चुकी है साथ ही नदी के वे जलाशय भी पूर्णत: सूखने के साथ ही डेम जा जल स्तर भी तलहटी में पहुॅच चका है, जिनमें कही-कहीं ही पानी भरा दिखाई देता है,सो ऐसे में भी उक्त डेम पर प्रतिमाह शासन को लाखों रूपये का डीजल आयल के उपयोग का काम डेम के डीवाटरिंग के नाम पर फर्जी तरीके से दर्शाकर शासन को चूना लगाकर भ्रष्टाचार की नई इवारत गढी जा रही है।

सूचना के अधिकार के तहत भी नहीं दी जा रही जानकारी

समोहा डेम पर चलने वाले डिवाटरिंग के काम का आदेश किस अधिकारी द्वारा किस दिनांक को किया गया यह आज तक भी हमारे संवाद्दाता को कोई भी अनुविभागीय अधिकारी प्रमाणित रूप से नहीं बता सका तो वहीं साथ ही यह भी गहन जॉच का विषय है कि विश्वशनीय सूत्रों की मानें तो डिवाटरिंग का कार्य दिनांक 16/08/2011  से प्रारंभ किया गया लेकिन  इस प्रश्र का उत्तर कोई भी अधिकारी आज तक नहीं दे सका कि डिवाटरिंग के प्रारंभिक दिनांक से आज तक कितना डीजल ऑयल इस कार्य पर खर्च किया जा चुका है,उक्त सम्पूर्ण खर्च के व्योरे की जानकारी सूचना के अधिकार के द्वारा मांगे जाने पर भी नहीं दी जाकर बार-बार आवेदक को गुमराह किया जा रहा है जब कि आवेदक युगल किशोर शर्मा द्वारा एक आवेदन दिनांक 27/09/2011 को सिंध परियोजना पक्का संभाग मडीखेडा जिला शिवपुरी को दिया जिसके कई प्रश्रों के जबाब में कहा गया कि उक्त जानकारी हमारे कार्यालय से संबंधित न होकर आर बी सी संभाग करैरा से है जब आवेदक ने वही जानकारी आर बी सी संभाग करैरा से मांगी तो उक्त संभाग के अधिकारियों द्वारा आवेदन पत्र के जबाब में पत्र क्रमांक 703/सू./का.अ./12 दिनांक 13/04/2012 में कहा गया कि आपके द्वारा मागी गई जानकारी के विन्दु जो इस कार्यालय सहित अन्य कार्यालय से संबंधित है।  पर बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद भी आवेदक को जानकारी उपलब्ध  नहीं कराई जा रही है आखिर ऐसा क्यों।  

शासन आदेशो की उड़ रही धज्जियाँ

समोहा पिक अप वियर डेम पर जिन कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है वह पूर्णता:नियम विरूद्ध है जिन हेल्परों से काम लिया जा रहा वे उक्त कार्य के योग्य नहीं है जब कि शासन के ऐसे आदेश हैं कि प्रत्येक कार्य पद के अनुरूप लिया जाये लेकिन इस डेम पर ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा जो गहन जॉच का विषय है।

सामान्य तौर पर बंद रहता है डिवाटरिंग का कार्य

सूत्रों की मानें तो समोहा डेम की गैलरी में पानी का रिसाव इतना अधिक बढ चुका है कि उक्त डेम की गैलरी में पानी कई फीट ऊपर तक हमेशा ही भरा रहता है जबकि गैलरी में भरे हुए पानी को बाहर निकालने के लिए विभाग द्वारा डेम पर कर्मचारियों को तैनात किया गया है जिनको कि विशेष विद्युत व डीजल पंपों की सहायता से गैलरी में भरे हुए पानी को बाहर निकालते रहना चाहिए पर यह गैलरी हमेंशा ही पानी से लाबा-लब भरी रहती है जिससे डेम की दीवारो ंमें कई जगह बडे-बडे सुलाख होने प्रारंभ हो गये हैं जिस कारण से डेम का अस्तित्व खतरे पडने लगा है।

कबरेज होते ही बंद पंप फैंकने लगे पानी

जब हमारे संवाद्दाता द्वारा रविवार की सुबह डेम का कवरेज किया जा रहा था कि तभी वहाँ पदस्थ कर्मचारियों ने कैमरे की फलैस को चलते हुए देखते ही कई घंटों से बंद पडे पंपों को चला दिये जिससे पूर्व व पश्चात  के फोटो भी पत्रिका के कैमरे ने कैद कर लिए जिसका प्रमाण कैमरे कई फिट गैलरी में भरे पानी से होता है जिसमें इतना अधिक पानी होना ही चाहिये।

बारहों माह होता है यह घोटाला

सूत्र बताते हैं कि समोहा डेम की गैलरी क ी दीवारों में पानी के रिसाव से हाने वाले डिवाटरिंग के गोरख धंधे का काम वर्ष भर जारी रहता है चाहे डेम के भराव का जल स्तर जो भी हो सर्दी,गर्मी,वारिस तीनों मौसमों में एक जैसी स्थिती में डिवाटरिंग का काम कागजों में चलता ही रहता है फिर चाहे जनरेटर व डीजल पंप चलें या न चलें।