शिवपुरी/पोहरी-जिले के पोहरी क्षेत्र में इन दिनों बीएसी की हठधर्मिता व मनमानी जोरों पर चल रही है। यहां बीएसी जहां बीआरसीसी के आदेशों को हवा में उड़ा रहा है तो वहीं दूसरी ओर अपनी मनमर्जी से किए जाने वाले कार्यों में कमीशनखोरी व स्व सहायमूहों से जबरन वसूली की चर्चा भी जोरों है। यहां स्व सहायता समूहों एवं शिक्षकों को ऑडिट के नाम पर डराया धमकाया जा रहा है। वहीं प्रति समूह से अतिरिक्त 500 रूपये की अवैध वसूली भी की जा रही है। यह सभी शिकायते मुख्यमंत्री जन शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में भी की गई है साथ ही म.प्र. के मुख्य सचिव को भी लिखित रूप से शिकायत कर पोहरी बीएसी के विरूद्घ कार्यवाही की मांग की गई है। इस संबंध में एक पीजी क्रमांक पी.जी./172096/2012/99 के रूप में शिकायत भी दर्ज है।
जानकारी के अनुसार शिकायत कर्ता राजेन्द्र धाकड़ ने प्रेस को लिखित रूप से शिकायत करते हुए बताया कि पोहरी में सर्व शिक्षा अभियान के तहत पदस्थ बी.ए.सी. अंशुल श्रीवास्तव द्वारा पोहरी विकासखण्ड अंतर्गत समस्त स्व सहायता समूह एवं शिक्षकों को मध्याह्नï भोजन के ऑडिट के नाम पर डराया धमकाया जाकर 500 रूपये प्रतिवर्ष के मान से अनुचित रूप से राशि ली गई है। एवं जिन लोगों के द्वारा राशि देने से इंकार किया गया उनको देखे लेने की धमकी दी जा री है। शिकायतकर्ता राजेन्द्र धाकड़ ने बताया कि इस कथन के प्रमाण के संबंध में उल्लेखित है कि श्रीवास्तव द्वारा वर्ष 2009 में सीईओ जिला पंचायत द्वारा जारी मध्याह्नï भोजन के ऑडिट कराने संबंधी पत्र का सहारा लेकर तत्समय बी.आर.सी.सी. के पदस्थ होने के बाद भी बिना उनकी सहमति के पूर्व में ही अपने हस्ताक्षर से पत्र जारी कर दबाब बनाया गया एवं हजारों रूपये की अवैध वसूली की गई।
शिकायत प्राप्त होने पर बीआरसीसी द्वारा उक्त ऑडिट को रोक दिया गया परन्तु माह मार्च 2012 में तत्कालीन बीआरसीसी के हटने के पश्चात बीएसी श्रीवास्तव की नियत फिर खराब हो गई और इनके द्वारा पुन: नवीन बीआरसी को गुमराह करते हुए बिना सहमति के पुन: पिछले कृत्य को दोहराते हुए मध्याह्नï भोजन के ऑडिट हेतु 4 वर्ष पश्चात स्वयं के हस्ताक्षर से कार्यालयीन पत्र क्रमांक 410 दिनांक 20.03.12 विभिन्न स्व सहायता समूहों एवं विद्यालयों के शिक्षकों हेतु जारी किय गया एवं अवैध वसूली प्रारंभ की गई।
यहां आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि बीएसी अंशुल श्रीवास्तव स्वयं ही समूह अध्यक्ष/सचिवों को यह बताते है कि मात्र 40-50 स्कूलों का ही ऑडिट हुआ है एवं जो समूह समझौता करके राशि की मांग की पूर्ति कर देते है। उन्हें घर से ही लौटा देते है। इस तरह स्वयं भ्रष्टïाचार कर अपने साथ-साथ जिला पंचायत सीईओ का नाम भी अपने साथ जोड़ रहे है। समस्त तथ्यों की पुष्टिï रिकॉर्ड के अवलोकन से स्वयं हो जाएगी।
इस संबंध में बीआरसीसी पोहरी विनोद मुदगल से जब चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त ऑडिट मेरे संज्ञान में नहीं है और ना ही मैंने सहमति दी है क्योंकि 4 वर्ष पुराने आदेश को बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी से मार्गदर्शन लिये मैं जारी नहीं कर सकता। इसके लिए यदि कोई जबाबदेह है तो वह स्वयं बीएसी अंशुल श्रीवास्तव होंगे। इस तरह बीआरसीसी भी स्वयं बीएसी के कारनामों से दूरी बनाकर साफ कर रहे है कि बीएसी की मनमर्जी यहां खुले रूप से जारी है।
जब इस मामले में स्वयं बीएसी अंशुल श्रीवास्वत से चर्चा की गई तो उन्होनें रौब झाड़ते हुए कहा कि बीआरसीसी मेरा क्या बिगाड़ लेंगे। मैं तो न्यायालय के स्थगत आदेश पर नौकरी कर रहा हॅंू, मैंने पुराने बीआरसीसी की नहीं मानी तो ये तो अभी नया है गुस्से-गुस्से में उनके द्वारा उदाहरण दिया गया कि मैंने कभी भी पुराने बीआरसीसी से अपने प्रस्तावत/वास्तविक भ्रमण कार्यक्रम एवं टी.ए.बिल प्रमाणित नहीं कराए लेकिन नये बीआरसीसी से उक्त पुराने दस्तावेजों को प्रमाणित कराकर 45000 रूपये निकलवा लिये। किसी ने मेरा क्या बिगाड़ लिया।
इस तरह बीएसी अंशुल श्रीवास्तव के द्वारा अपने पदीय दायित्व का पालन न करते हुए कभी भी अकादिमक कार्य नहीं किया गया, लगातार पद का दुरूपयोग करते हुए भ्रष्टïाचार में रत है ऊपर से इनका तुक्का यह है कि मैं न्यायालय के स्थगन पर कार्य कर रहा हॅंू, इस शिकायत के क्रम में एक तथ्य यह भी है कि श्रीवास्तव द्वारा देवरीखुर्द प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक रामस्वरूप जाटव को डराया धमकाया जाकर विद्यालय में गण्डे भेजकर फर्जी जांच कर वसूली प्राप्त की और अधिकारियेंा से मेल मिलाप कर मामले को रफा दफा करा दिया गया एवं संस्था में पदस्थ दो अन्य शिक्षक जिनके समक्ष लेन देन हुआ उनके कथन नहीं लिये गये।
इस तरह पूरे मामले में बीएसी अंशुल श्रीवास्तव की हठधर्मिता, मनमानी, अवैध वसूली, डराना धमकाना और न्यायालय के आदेश पर कार्य करना आदि की जांच होना जरूरी है ताकि इनके विरूद्घ कार्यवाही हो। जिला प्रशासन के अलावा शिकायतकर्ता राजेन्द्र धाकड़ ने इस संबंध में जन शिकायत निवारण प्रकोष्ठ भोपाल व मप्र के प्रमुख सचिव को भी शिकायत भेजकर इस ओर शीघ्र कार्यवाही की मांग की है।
शिकायत प्राप्त होने पर बीआरसीसी द्वारा उक्त ऑडिट को रोक दिया गया परन्तु माह मार्च 2012 में तत्कालीन बीआरसीसी के हटने के पश्चात बीएसी श्रीवास्तव की नियत फिर खराब हो गई और इनके द्वारा पुन: नवीन बीआरसी को गुमराह करते हुए बिना सहमति के पुन: पिछले कृत्य को दोहराते हुए मध्याह्नï भोजन के ऑडिट हेतु 4 वर्ष पश्चात स्वयं के हस्ताक्षर से कार्यालयीन पत्र क्रमांक 410 दिनांक 20.03.12 विभिन्न स्व सहायता समूहों एवं विद्यालयों के शिक्षकों हेतु जारी किय गया एवं अवैध वसूली प्रारंभ की गई।
यहां आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि बीएसी अंशुल श्रीवास्तव स्वयं ही समूह अध्यक्ष/सचिवों को यह बताते है कि मात्र 40-50 स्कूलों का ही ऑडिट हुआ है एवं जो समूह समझौता करके राशि की मांग की पूर्ति कर देते है। उन्हें घर से ही लौटा देते है। इस तरह स्वयं भ्रष्टïाचार कर अपने साथ-साथ जिला पंचायत सीईओ का नाम भी अपने साथ जोड़ रहे है। समस्त तथ्यों की पुष्टिï रिकॉर्ड के अवलोकन से स्वयं हो जाएगी।
इस संबंध में बीआरसीसी पोहरी विनोद मुदगल से जब चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त ऑडिट मेरे संज्ञान में नहीं है और ना ही मैंने सहमति दी है क्योंकि 4 वर्ष पुराने आदेश को बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी से मार्गदर्शन लिये मैं जारी नहीं कर सकता। इसके लिए यदि कोई जबाबदेह है तो वह स्वयं बीएसी अंशुल श्रीवास्तव होंगे। इस तरह बीआरसीसी भी स्वयं बीएसी के कारनामों से दूरी बनाकर साफ कर रहे है कि बीएसी की मनमर्जी यहां खुले रूप से जारी है।
जब इस मामले में स्वयं बीएसी अंशुल श्रीवास्वत से चर्चा की गई तो उन्होनें रौब झाड़ते हुए कहा कि बीआरसीसी मेरा क्या बिगाड़ लेंगे। मैं तो न्यायालय के स्थगत आदेश पर नौकरी कर रहा हॅंू, मैंने पुराने बीआरसीसी की नहीं मानी तो ये तो अभी नया है गुस्से-गुस्से में उनके द्वारा उदाहरण दिया गया कि मैंने कभी भी पुराने बीआरसीसी से अपने प्रस्तावत/वास्तविक भ्रमण कार्यक्रम एवं टी.ए.बिल प्रमाणित नहीं कराए लेकिन नये बीआरसीसी से उक्त पुराने दस्तावेजों को प्रमाणित कराकर 45000 रूपये निकलवा लिये। किसी ने मेरा क्या बिगाड़ लिया।
इस तरह बीएसी अंशुल श्रीवास्तव के द्वारा अपने पदीय दायित्व का पालन न करते हुए कभी भी अकादिमक कार्य नहीं किया गया, लगातार पद का दुरूपयोग करते हुए भ्रष्टïाचार में रत है ऊपर से इनका तुक्का यह है कि मैं न्यायालय के स्थगन पर कार्य कर रहा हॅंू, इस शिकायत के क्रम में एक तथ्य यह भी है कि श्रीवास्तव द्वारा देवरीखुर्द प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक रामस्वरूप जाटव को डराया धमकाया जाकर विद्यालय में गण्डे भेजकर फर्जी जांच कर वसूली प्राप्त की और अधिकारियेंा से मेल मिलाप कर मामले को रफा दफा करा दिया गया एवं संस्था में पदस्थ दो अन्य शिक्षक जिनके समक्ष लेन देन हुआ उनके कथन नहीं लिये गये।
इस तरह पूरे मामले में बीएसी अंशुल श्रीवास्तव की हठधर्मिता, मनमानी, अवैध वसूली, डराना धमकाना और न्यायालय के आदेश पर कार्य करना आदि की जांच होना जरूरी है ताकि इनके विरूद्घ कार्यवाही हो। जिला प्रशासन के अलावा शिकायतकर्ता राजेन्द्र धाकड़ ने इस संबंध में जन शिकायत निवारण प्रकोष्ठ भोपाल व मप्र के प्रमुख सचिव को भी शिकायत भेजकर इस ओर शीघ्र कार्यवाही की मांग की है।
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