चुनावी चर्चा: कांग्रेस में कंरट की कमी, भाजपा को भितरघाती देगें झटके

इमरान अली/कोलारस। इस समय जिला चुनावी मोड में है। जिले के कोलारस विधानसभा में हो रहे उपचुनाव पर पूरे प्रदेश की निगाहे है। कांग्रेस ने यहां अनुकंपा टिकिट दिया है,तो भाजपा ने 25 हजार से ज्यादा हारे प्रत्याशी पर दांव लगाया है। दोनो दलो ने यहां चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है .....लेकिन कांग्रेस में यहां अभी करंट नही आ रहा है और भाजपा को बागी झटके देने की तैयारी में लगे हुए है। कहते है कि राजनीति में अक्सर जो होता है वहां दिखता नही है, और दिखता नही है, वह होता है। यहां कांग्रेस ने स्व: विधायक रामसिहं यादव के बेटे महेन्द्र यादव को अनुकंपा टिकिट दिया है उनकी पहचान सिर्फ इतनी है कि वे स्व: विधायक के पुत्र है। राजनीतिक समझ हो सकती है,लेकिन बॉडी लेग्वेज नही है। वे स्वयं के बल पर नही सिर्फ सासंद सिंधिया के बल पर चुनाव लड रहे है।

भितरघाती दे सकते है भाजपा को झटके...
कांग्रेस में शुरू से ही महेन्द्र सिंह यादव को अनुकंपा टिकिट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन भाजपा में पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन सहित दर्जनो दावेदार थे। दावेदार ज्यादा होने के कारण भितरघात की संभावना प्रबल होते दिख रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी को सबसे ज्यादा कोलारस वाले पंडित जी से नुकसान हो सकता है,पंडित जी निकाय चुनाव की अगरबत्ती आज तक लगा रहे है। 

इसके अतिरिक्त टिकिट की दौड में दौड हुए कनवर्ड भाजपाई नेता ने अपने 2 धाकड नेता चुनाव मैदान में उतारे है। वह भाजपाई भी इस चुनाव में झटके देने से नही चुकगें जो टिकिट की दौड में है,और सबसे बडा झटका शिवराज विरोधी दे सकते है जो देवेन्द्र जैन का नही सीधे शिवराज सिंह के विरोधी है। 

महेन्द्र सिंह नही पैदा कर पर रहे है महौल में करंट 
कोलारस में कांग्रेस ने अंक देखकर नही विरासत के रूप में प्रत्याशी का चयन किया है। इससे आश्य संवेदना वाले वोट बटोरना और यादव समाज को खुश करके वोट बेंक वटोरने कि मंशा देखी जा रही है। 

बताया जाता है स्व पुर्व विधायक रामसिंह यादव का क्षेत्र में खासा दब दवा था लेकिन उनके पुत्र महेन्द्र सिंह यादव का राजनीती से कोई नाता नही रहा वह अपने ग्रह गांव में व्यापारी के रूप में जाने जाते है।  

ऐसे में उन्है विधायक का दावेदार बनाकर जनता के सामने पेश करना राजनीती की परिभाषा से परे है। कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक रामसिंह यादव की तरह तेज तर्रार नही है वह अपने सुस्त स्वभाव के लिए जाने जाते है और देखा भी यही जा रहा है।

चुनावी तारीखो के ऐलान से पहले महेन्द्र यादव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तय थे सिर्फ औपचारिक एलान वाकी था। इसके बाद भी उनहोने आज तक प्रत्यासी जैसी फुर्ती नही दिखाई सूत्र बताते है यादव पूर्ण तरीके से महाराज सिंधिया के दम पर चुनाव जीतने के मूड में है। 

जनता के बीच वह करंट महेंन्द्र सिंह पैदा नही कर पर रहे है जो एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी में होता है। प्रत्याशी की छोडो स्थानीय कांग्रेस भी जब एक् शन मोड में आती है जब सांसद सिंधिया का दौरा होता है,फिर तो सिर्फ रस्म अदायगी सी दिखती है।