होलाष्टक 23 से, सात दिन तक नहीं होंगे शुभ कार्य

शिवपुरी। शुक्रवार 23 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे। इस बार होलाष्टक सात दिन का होगा। ऐसा एक तिथि के क्षय होने से होगा। इसी के साथ होलिका दहन यानी 1 मार्च तक के लिए सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी। मान्यता है कि हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को मारने के लिए इन आठ दिनों में उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी थीं, इसीलिए इन दिनों शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश शर्मा ने बताया कि पौराणिक कथा है कि होलाष्टक के पहले दिन यानि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को भगवान शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को नष्ट किया था। 

स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है कि हिरण्यकश्यप ने विष्णु भक्त अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए इसी दिन से तरह-तरह की यातनाएं दी थीं। होलिका दहन के लिए प्रहलाद की बुआ प्रहलाद को लेकर होली में बैठी थी। होलिका भस्म हो गई थी, इसीलिए फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा तक शुभ कार्य प्रतिबंधित रहते हैं। 

इस बार एक तिथि का छय होने के कारण 8 दिन की बजाए 7 दिन के हो रहे होलाष्टक होली की आग की लपटें ऊंची व हवा शांत रहेगी तो बढ़ेगा उत्पादन 

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश शर्मा के अनुसार होलिका दहन के बाद उसकी लपटें व दहन के दौरान हवा चलने की दिशा से जन जीवन पर पडऩे वाले प्रभावों का निर्णय भी किया जाता है। अगर दहन के बाद लपटें ऊंची व हवा शांत है तो देश में उत्पादन बढ़ेगा। मेघ गर्जना, वर्षा, आंधी आए तो व्यापार में लाभ होता है। सकुन शास्त्र के अनुसार होलिका के दहन के दौरान हवा की दिशा से यह प्रभाव माना जाता है। इसके अलावा हवा व आग की लपटें पूर्व दिशा की ओर होती हैं तो सुखद, आग्नेय-आगजनी कारक, दक्षिण दिशा की ओर दुर्भिक्ष व पशु पीड़ा कारक, नैऋत्य फसल हानि, पश्चिम -सामान्यत: तेजी आती है। वायव्य में चक्रवात व तेज आंधी, उत्तर व ईशान में अच्छी वर्षा की सूची, चारों दिशाओं में घूमने पर संकट का संकेत मिलता है। 

तिथि क्षय होने से सात दिन के अष्टक 
पं. मोनू दुबे के अनुसार इस बार होलाष्टक सात दिन के हैं। ऐसा पूर्णिमा तिथि के क्षय होने से हुआ। चौदस व पूर्णिमा एक हो जाने से होलाष्टक एक दिन कम रहेगा। एक मार्च को शाम 7.40 बजे से रात्रि 9 बजे तक होलिका दहन शुभ है। इस समय होली का दहन करना शुभ रहेगा।