गरीबों का राशन डकारने वालों का बढ़ता पेट, पढि़ए कैसे होता है PDS घोटाला

डॉ. एके मिश्रा/शिवपुरी। शिवपुरी ही क्या समूचे प्रदेश में पीडीएस के तहत गरीबों को बंटने वाले खाद्यान्न की स्थिति का अगर मूल्यांकन करें तो अनेकों पहलू नजर आएंगे ,हालात पहले से भी चिंतनीय है ,क्योंकि पहले लीड से स्थानीय कंट्रोल की दुकानों में खाद्य सामग्री एवं केरोसिन कंट्रोल संचालक अथवा सेल्समैन की जवाबदेही से पहुंचाया जाता था ,तब भी सेल्समैन अपनी मर्जी से सामान बांटता था ,और आज भी अपनी मर्जी के अनुसार लीड पर अपना माल बेच देता है।

सरकार ने सुधार हेतु गोदाम से माल उठाकर कंट्रोल की दुकान तक पहुंचाने का नया तरीका अपनाया है और इसमें भी सेल्समेन या कंट्रोल संचालक की जवाबदेही तय होती है।

एक कर्मचारी ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि कंट्रोल संचालक या सेल्समैन गोदामों पर ही आधा माल बेच दे रहे हैं ,और अगली बार उसी माल को पुन: दर्शा लेते हैं ,इस काम में मालवाहक एवं गोदाम के कर्मचारी व संबंधित अधिकारी से लेकर कंट्रोल संचालक एवं सेल्समेन और आधार नंबर दर्शाने वाले कर्मचारी की कड़ी क्रमश: जुड़ी है।

इसी वजह से इस और कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। खाद्य विभाग भी गहरी निद्रा में सो रहा है, हां गरीब भूखे जरूर त्राहि माम कर रहे हैं ,कुछ समझदार है उन्हें तो माल भेजना ही पड़ता है। जिसकी वजह से सेल्समेन अपनी रजिस्टर की खानापूर्ति हेतु वितरण प्रणाली को दुरुस्त बताता है, किंतु सरकार ने जो आधार का सिस्टम अपनाया है।

आधार नंबर जोडक़र खाद्य वितरण की व्यवस्था को अपनाया है उसमें भी यह कंट्रोल संचालक व सेल्समेन अपनी मर्जी के अनुसार गड़बड़ी करते हैं। आधार नंबर गलत जुडऩे का हवाला भी देते हैं, वही गांव में ऑनलाइन प्रक्रिया अभी भी अधूरी है ,जिससे पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।

अब प्रश्न उठता है कि अगर वह माल जो आधार या पहचान संख्या ना मिल पाने की वजह से हितग्राही अपना खाद्य सामग्री नहीं ले जा पाते है ,यह खाद्य सामग्री कहां जाता है, क्या यह दूसरे महीने मिल पाता है उन हितग्राहियों को या फिर बीच में ही निगल लिया जाता है। 

जानकारों की माने तो  अधिकांश हितग्राही अनपढ़ व कम समझदार होते हैं, ऑनलाइन की प्रक्रिया अभी अच्छे-अच्छे पढ़े लिखे भी नहीं समझ सकते हैं और हकीकत तो यह है कि उसे जानकर हम भी हैरान हो जाएंगे और शासन-प्रशासन तो किंकर्तव्यविमूढ़ हो ही गया है। ऑनलाइन विशेषज्ञ के अनुसार हितग्राही की अंगूठे को ऑनलाइन की प्रक्रिया में दूसरे आधार नंबर से कंट्रोल संचालक या सेल्समैन दर्शाता है ,एक बार तो वह सही जगह रखता है ,किंतु उसमें होशियारी निभाता है ,और यह कहता है ,कि तुम्हारा आधार नंबर गलत है।

तुम्हारी पहचान संख्या से मैच नहीं कर रहा है ,हितग्राही द्वारा जब इसका विरोध किया जाता है, तो  वह दोबारा गलत  नंबर  के आधार पर उसके अंगूठे का ऑनलाइन मिलान करता है, फिर यह जोर देकर बोलता है कि देखो  तुम्हारा आधार  और पहचान संख्या नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से मैं राशन तुम्हें नहीं दे सकता हूं।

तुम जाइए और अपने आधार को पुन: लिंक करवाइए और उसमें सुधार करवाएं, लेकिन आधार नंबर जुडऩे वाले कर्मचारी व अधिकारी इन्हीं सेल्समैनों वह कंट्रोल संचालकों से सुव्यवस्थित रहते हैं और लेनदेन की प्रक्रिया के चलते  हितग्राही को भटकाते रहते हैं एवं भ्रामक जानकारी देते रहते हैं। इधर सेल्समेन ,कंट्रोल  संचालक हितग्राही का सही अंगूठा व सही आधार जोडक़र माल को अपना नेवाला बनाता है और भूखे गरीब को उसके हाल पर छोड़ देता है।

इसी तरह की विसंगतियां शिवपुरी में हर जगह पाई जा रही हैं, कोलारस इस क्रम में सबसे आगे है ,अभी जनसुनवाई में एक वृद्धा ने कलेक्टर के समक्ष रोते हुए गुहार लगाई थी कि उसे 10 माह से भोजन सामग्री नहीं मिली है और वह विषम परिस्थितियों से गुजारा कर रही है। कोलारस में अनेकों गांव इन्हीं परिस्थितियों से गुजर रहे हैं ,किस -किस कंट्रोल की दुकानों का उल्लेख किया जाए, अधिकांश दुकाने इसी हाल से गुजर रही और फूड इंस्पेक्टर ,सेल्समेन ,कंट्रोल संचालक मजे कर रहे हैं।

हमारे जिले के आला अधिकारी इस मामले में गौर नहीं फरमा रहे हैं ,जिसके चलते गरीबों के हक का निवाला  बड़े पेट वाले लोग खा रहे हैं ,उनकी तृष्णा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, और इसी वजह से उनका पेट भी बढ़ता जा रहा है।