1 करोड 82 लाख का घोटाला: इन तथ्यो को लेकर हुई घोटालेबाज कलेक्टर राजीब चन्द्र दुबे पर FIR

ललित मुदगल/शिवपुरी। कल भोपाल लोकायुक्त पुलिस ने शिवपुरी के एडवोकेट विजय तिवारी की शिकायत पर शिवपुरी के पूर्व कलेक्टर राजीव चन्द्र दुबे और आदिम जाति कल्याण विभाग के पूर्व जिला अधिकारी आईयू खान पर करोडो रूपए के घोटाले के लेकर एफआईआर दर्ज की है। अभी इस मामले की जांच जारी है और इसमे कई अधिकारी और कर्मचारियों के नाम भी एफआईआर होने की संभावना है। 

बताया गया है कि जब शिवपुरी के आदिम जाति कल्याण विभाग के डीईओ आईयू खांन थे। तो उनके द्वारा करोड़ो रूपए की खरिददारी की गई थी। इस शिकायत में उल्लेख किया गया है कि विभाग ने शासकीय नियमो को अनदेखी कर एक घोटोले की नियत से नियम विरूद्व खरीदी कर शासन के रूपयो को चूना लगाया है। 

नियमानुसार विभाग अगर कोई खरीद करता है तो सीधे-सीधे किसी फर्म से न लेकर लघु उद्योग निगम से खरीद करेगा। यहां लगभग 1 करोड 82 लाख के समान की खरीदी प्राईवेट फर्मो से की है। बताया जा रहा है कि आदिम जाति कल्याण विभाग में बच्चो की निज उपयोग की वस्तुए जैसे जूते, यूनिफॉर्म, स्वेटर निजी उपयोग के वस्त्रो का पैसा छात्रो के खाते में डाला जाता है। लेकिन इस घोटोले के मुख्य सूत्रधार आई यू खांन ने ऐसा न कर निजी फर्मो से इन वस्तुओ की खरीदी कर डाली। 

जितनी खरीद रिकॉर्ड में दर्ज की गई है उतनी धरातल पर नही है। इस खरीदी गई वस्तुओ का भौतिक सत्यापन भी नही कराया गया है। खबर यह भी आ रही है कि शासन ने रूई के गद्दो को छात्रावासों में बच्चे की यूज की लिए प्रतिबंधित कर दिया है रूई के गद्दो के स्थान पर क्वीज के गद्दे छात्रो के सोने के लिए उपयोग में लाए जाए। 

शासन के इस आदेश को दोनो अधिकाारियों के द्वारा गलादबा कर रूई के गद्दे खरीदने की खबर आ रही है। बताया गया है कि इस विभाग के अधीन आने वाले छात्रावासों के अधीक्षकों के मांग पत्र पर ही समाग्री क्रय करने का लेखाजोखा तैयार किया जाता है लेकिन शुद्ध रूप से कमीशन के फेर में बिना मांग पत्रो के ही अधीक्षको को पलंग, अलमारी, कुर्सी और इस कंबल चिपका दिए गए। 

खरीद समाग्री का कोई भी भौतिक सत्यापन नही करवाया गया। कुल मिलाकर एडवोकेट विजय तिवारी ने 27 जनवरी को की गई अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि इस खरीदी में सरकार के पूरे नियमों की अनदेखी जानबूझ कर गुणवत्ताहिन समाग्री, आवश्यकता से अधिक सामग्री, प्रतिबंधित समाग्री और जितने के बिल लगे है उससे आधी ही समाग्री क्रय की है। 

बताया गया है कि समान खरीदने का सारा पैसा सहरिया विकास अभिकरण के फंड से किया है। उक्त पैसा केन्द्र सरकार से फंडिग होता है। और इस अभिकरण का अध्यक्ष पदेन कलेक्टर होता है। इस अभिकरण के बैंक एकाउंट में हस्ताक्षर कलेक्टर और आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला अधिकारी होते है। दोनो के हस्ताक्षर युक्त चैक ही बैंक पास कर सकता है। 

इस समाग्री की खरीद में कही भी शासन की अनुमति नही ली है। इस कारण ही शिवुपरी के पूर्व कलेक्टर राजीव चंद्र दुबे को इस मामले में आरोपी बनाया गया है। अब खबर यह भी आ रही है कि अभी इस मामले की जांच जारी है। कभी भी लोकायुक्त की टीम शिवपुरी धमक सकती है। और कई कागजातो की मांग कर जांच कर सकती है इस मामले में अभी और कई सरकारी अधिकारी और कर्मचारीयों के नाम इस एफआईआर में जुड सकते है।