जनहित के कारण राजनीति में, हालांकि इससे मुझ पर बोझ बढ़ा: साध्वी निरंजन ज्योति

शिवपुरी। अपने विवादित बयान के कारण देशभर में चर्चित हुर्इं केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति शिवपुरी में भागवत कथा में शामिल होने के लिए पहुंचीं। लेकिन आचार संहिता की आड़ लेकर उन्होंने पत्रकारों से कोई चर्चा नहीं की। परंतु भागवत कथा में धर्मोपदेश अवश्य दिया।

उन्होंने कहा कि इच्छा न होने के बाद भी वह विधायक, सांसद और मंत्री बन गईं। इससे मुझ पर बोझ बढ़ा तथा जि मेदारियों का अहसास हुआ। बकौल साध्वी, वह जनहित के कारण राजनीति में हैं। शायद ईश्वर की यही इच्छा है। 15 मिनिट के प्रवचन में उन्होंने भगवान राम, भगवान कृष्ण, सत्संग, भक्ति और प्रेम सहित ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग बताया। उनके प्रवचन की खास बातें निम्र थी।

समृद्धि और यश के शिखर पर पहुंचने के बाद भी अहंकार न करें
साध्वी निरंजन ज्योति ने भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि तीन लोकों के नाथ श्रीकृष्ण की मित्रता दरिद्रों में दरिद्र सुदामा से थी, लेकिन दोनों की मित्रता आज भी याद रखी जाती है। भगवान कृष्ण ने संदेश दिया था कि समृद्धि और यश के शिखर पर पहुंचने के बाद भी अहंकार न रखें तथा अपनों को न भूलें।

कृष्ण की करनी नहीं, बल्कि कथनी का पालन करो
साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि लोग कहते हैं कि कृष्ण ने चोरी की, कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र चुराए। उन्हें ये बात तो दिखाई देती है, लेकिन कृष्ण की शक्ति नहीं दिखती कि पूतना जैसी राक्षसनी को मारकर उन्होंने जहर पीया था। कृष्ण की करनी को नहीं, बल्कि उनकी कथनी और आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। भगवान कृष्ण ने जहां संदेश दिया था। वहीं आवश्यकता पडऩे पर सुदर्शन चक्र से दुष्टों का संहार भी किया था।

भगवान राम के जीवन को आत्मसात करें
केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने पुत्र का अपने पिता और माता के प्रति, पति का पत्नी के प्रति, भाई के प्रति कैसा आचरण होना चाहिए था यह सिखाया था। वह मर्यादा पुरूषोत्तम थे। उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। जो उन्होंने जीवन जीया उसे अपने जीवन में उतारो और जो उन्होंने कहा उसे भी आत्मसात करो।

सबसे पहले भगवान को लगाओ भोग
साध्वी निरंजन ज्योति ने महिलाओं को समझाते हुए कहा कि घर में भोजन बनाने के बाद वह सबसे पहले भगवान को भोग लगाए। भगवान को भोग लगाए बिना भोजन न च ों। उन्होंने कहा कि जिस घर में भगवान का भोग लगता है वहां से कोई भूखा वापिस नहीं लौटता।

कृपण व्यक्ति होता है सबसे दरिद्र
साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि गरीब वह व्यक्ति नहीं होता जिसके पास धन नहीं है। बल्कि गरीब वह होता है जिसका पेट भरा हुआ हो और जेब खाली हो अर्थात् दूसरों को देने के लिए उसके पास सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं है। ऐसा कृपण, कंजूस व्यक्ति सबसे दरिद्र होता है।

भक्त के वश में होते हैं भगवान
साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि भक्त के वश में भगवान होते हैं। भक्ति में वह ताकत होती है जिससे प्रभावित होकर भगवान को भी पृथ्वी पर अवतरित होना पड़ता है। भक्तों की रक्षा के लिए ईश्वर को पृथ्वी पर आना पड़ता है।

जीवन जीने का संदेश देती है भागवत कथा
भागवत कथा जीवन जीने का संदेश देती है। अपने जीवन को कैसे स्वर्ग बनाया जाए और कैसे ईश्वर के रास्ते पर आगे बढ़ा जाए इसकी तरकीव भागवत कथा श्रवण से मिलती है। ईह लोक और परलोक दोनों को भागवत कथा श्रवण से सुधारा जा सकता है।

परमात्मा पाने के लिए संन्यास आवश्यक नहीं
साध्वी निरंजन ज्योति ने बताया कि ईश्वर की प्राप्ति सरल है और ईश्वर प्राप्ति के लिए घर-बार छोडऩा आवश्यक नहीं है। हरिद्वार जाने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। संन्यास लेने की भी कोई जरूरत नहीं है। सिर्फ अपने मन को बदलने की आवश्यकता है।