नगरपालिका के सीएमओ रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

शिवपुरी। नगर पालिका परिषद शिवपुरी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पी.के. द्विवेदी और स्थापना शाखा के बाबू सुरेन्द्र गोयल को बुधवार दोपहर लोकायुक्त टीम ने औचक छापामार कार्रवाई करते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।

इस मामले में सीएमओ ने तुरंत न्यायालय में अर्जी लगाकर जमानत ले ली तो वहीं स्थापना शाखा बाबू भी जमानत की तैयारी करने में लगे हुए थे। पकड़े गए भ्रष्टाचार के इस काण्ड में आरोप था कि यह दोनों अधिकारी मिलकर एक महिला शिक्षिका की पदोन्नति के रूप में 9 हजार रूपये की रिश्वत मांग रहे थे।

शहर के कृष्णपुरम कॉलोनी में निवास करने वाले महेन्द्र जैन भैय्यन की पत्नि किरण जैन राजेश्वरी रोड़ स्थित शास.विद्यालय में शिक्षिका के रूप में पदस्थ है। ऐसे में भैय्यन की पत्नि किरण जैन की पदोन्नति हो गई थी चूंकि नगरीय निकाय से पदोन्नत होने वाले शिक्षकों के लिए नपा से एनओसी जारी होती है इसलिए भैय्यन ने पत्नि के दस्तावेज संबंधी जानकारी देकर एनओसी हासिल करनी चाही।

बताया गया है कि इस एनओसी को पाने के लिए उन्हें कई बार नपा के चक्कर लगाने पड़े। थक हारकर जब उनका काम नहीं हो सका तो अंतत: उन्होंने स्थापना बाबू सुरेन्द्र गोयल से सांठगांठ की और इस पूरे मामले की एनओसी के बदले में नपा सीएमओ की मिलीभगत से लगभग 9 हजार रूपये की राशि रिश्वत देने की बात पर दोनों राजी हुए।

इसी बीच भैय्यन ने अपने प्रयासों से जब यह काम नहीं हुआ तो रिश्वत के मामले की पूरी सैङ्क्षटंग करके लोकायुक्त टीम को मामले से अवगत कराया और पूरी जानकारी देकर उनसे इस मामले में कार्यवाही की गुहार लगाई।  जिस पर बुधवार को लोकायुक्त टीम ने शिवपुरी आकर महेन्द्र जैन द्वारा बताए गए स्थान मानस भवन पर पहुंचकर जैसे ही रिश्वत की रकम दी, वैसे ही लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। बताया गया है कि इस टीम की पूछताछ में स्थापना बाबू सुरेन्द्र गोयल ने नपा सीएमओ पी के द्विवेदी का शामिल होना भी बताया।

जिस पर लोकायुक्त टीम ने नपा सीएमओ को भी गिर तार किया और मामला जांच में लिया। इसी बीच नपा सीएमओ ने लोकायुक्त टीम के हाथ लगते ही अपने जमानती दस्तावेज भी तैयार करवाए और न्यायालय से जमानत हासिल कर ली। वहीं दूसरी ओर स्थापना शाखा का बाबू भी इसी जुगत में लगा रहा।

खुली भ्रष्टाचार की पोल

देखा जाए तो नगर पालिका में होने वाले ऐसे ना जाने कितने भ्रष्टाचार आए दिन होते रहते है लेकिन नपा सीएमओ की सांठगांठ का यह मामला संभवत: पहला जान पड़ता है। जहां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नपा सीएमओ ने अपनी मिलीभगत कर रिश्वत की रकम में हिस्सा मांगा। जिसके चलते नपा के भ्रष्टाचार की पोल खुली नजर आई।

अभी तो यह एक मामला है ऐसे ही और ना जाने कितने मामले होंगें, जो इन दिनों लोकायुक्त टीम के औचक छापामार कार्यवाही का इंतजार कर रहे है। ऐसे में यदि समय रहते लोग जागरूक होकर इनकी शिकायतें करें तो संभव में भ्रष्टाचार के जाल से नपा बाहर निकल आए। लेकिन इसकी संभावना कम ही नजर आती है। फिलवक्त आज का यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।