नए विधायक ने पुराने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चली चाल,गुटबाजी चर्चा में

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इमरान अली/कोलारस। कांग्रेस में गुटबाजी हमेशा ही हावी रही है कांग्रेस में सबसे कमजोर कड़ी रही है। जिसे जोडऩे के लिए आलाकमान को काफी मशक्कत करना पड़ रही हैघ्। एक ओर मंच पर एक होने का देने के साथ ही कांग्रेसी मंच के नीचे उतरते ही एक दूसरे के लिए कलह का कारण बन जाते है। प्रदेश से लेकर जिलो तक कि गुटबाजी कार्यालयों से लेकर सडक़ और न्यूज चैनलो से लेकर अखबारो कि सुर्खियां बन जाती है। 
प्रदेश भर से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रोजेक्ट करने कि मांग लंबे समय से चली आ रही मांग पर धार्मिक यात्रा पुरी कर लौटे कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सांसद कमलनाथ को आगे कर सिंधिया सर्मथको के चेहरे उदास कर दिए। जिसके बाद सांसद सिंधिया भी बैकफुट पर आ गए ऐसे में दिग्विजय के बयान को गुटबाजी से जोडक़र देखा जा रहा थ। जिसके बाद कांग्रेस मप्र कि राजनीती में भूचाल आने के साथ ही अजीव सी मायूसी छा गई। गुटबाजी कि खबरें खूब मीडिया कि सुखियां बनी। 

गुटबाजी कांग्रेस में सबसे बड़ा कलह का कारण रहा है। एक और प्रदेश में भले ही कांग्रेस काबिज न हो लेकिन शिवपुरी जिले में कांग्रेसियो ने झंडे गाड़ रखे है। चाहे वह जिला पंचायत हो या जनपद पंचायत या नगर पालिका और नगर परिषद ज्यादातर सीटो पर कांग्रेसी डटे हुए है। लेकिन जैसे प्रदेश नेताओ के कई फड़ नजर आ रहे है। 

ऐसे ही शिवपुरी जिले में भी कांग्रेस में कलह झेलना पड़ रही है। ऐसे ही प्रदेश कि तरह जिलो में भी हालत खराब होने लगे है। इस बार कलह का कारण कोई और नही बल्कि कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक महेन्द्र यादव बने हुए है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक ने अपनी जीत के साथ ही अन्य जनप्रतिनिधियो से दूरियां बनाना शुरू कर दी बीते दिनो जनपद की समीक्षा बैठक से जनपद पंचायत कोलारस सांसद प्रतिनिधि हरिओम रघुवंशी समेत अन्य कांग्रेस नेताओं को दूर रखा जो विधायक द्वारा जनप्रतिनिधियो के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने जैसा है। 

विभागीय बैठक में उसी विभाग के प्रतिनिधियों और जनपद सदस्यो को दूर रखना विधानसभा उपचुनाव के बाद एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। इस पर विधायक सोशल मीडिया पर लोगो के तीखे सवालो का शिकार हुए है। इस बैठक में सुस्त रवैये और अधूरे कामो को लेकर विधायक ने जिम्मेदारो को दो टूक चेतावनी दे डाली है। इस पूरे मामले को कोलारस में कांग्रेस की राजनीति में गुटबाजी के नजरिये से देखा जा रहा है। कई लोग इसे बदले कि राजनीती मान कर चल रहे है।
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