कस्टम गेट पर सिलेण्डर फटा, मां-बेटे झुलसे, किचिन की छत उखडी

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शिवपुरी। आज सुबह कस्टम गेट के पास स्व. मातादीन दानी के मकान में रह रहे किराएदार के यहां खाना बनाते समय सिलेण्डर में आग लग गई और उसके 15 मिनट बाद ही वह सिलेण्डर फट गया। इस घटना में एक वृद्ध महिला के साथ-साथ पड़ोस में रहने वाले मां बेटे झुलस गए। विस्फोट इतना भीषण था कि किचिन की कच्ची छत उखड़ गई और पड़ोसियों की दीवारों में दरारें आ गईं। घटना के बाद लोगों ने पानी डालकर आग को बुझाया बाद में फायर ब्रिगेड भी मौके पर पहुंच गई। सूचना पाकर पुलिस भी वहां पहुंची। जिन्होंने घायलों को अस्पताल रवाना किया। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार स्व. मातादीन दानी के मकान में विष्णु रावत अपने परिवार के साथ निवास करता है आज  दोपहर लगभग 12 बजे विष्णु की मां कलावती उम्र 60 वर्ष रसोई में खाना बना रही थी तभी अचानक सिलेण्डर में आग लग गई। जिससे कलावती झुलस गई और उसने चीखना शुरू कर दिया। किचिन का दरवाजा भी खिडक़ी के समान छोटा था कि वृद्धा को उसके पुत्र ने बमुश्किल उस खिडक़ीनुमा दरवाजे से बाहर निकाला और उसे लेकर नीचे आए। 

आग लगने के बाद ही परिवार के सभी सदस्य मकान छोडक़र सडक़ पर  आ गए और उसके कुछ देर बाद ही सिलेण्डर फट गया और उसके चिथड़े उड़ गए। इस धमाके के बाद पास में रहने वाली सुषमा गोयल की दूसरी मंजिल की दीवार फट गई और आग की लपटें उन तक पहुंच गई जिससे सुषमा और उनका पुत्र अतुल गोयल भी आग की चपेट में आकर झुलस गए। अचानक हुए धमाके से पूरा मोहल्ला दहशत में आ गया और लोग अपने घरों से बाहर आ गए। बाद में आग की लपटों पर पानी डालकर उसे बमुश्किल बुझाया गया। वहीं अन्य लोगों ने फायर ब्रिगेड को भी सूचना दे दी। जो मौके पर पहुंची, लेकिन इससे पहले ही आग बुझ चुकी थी। फिर भी फायर ब्रिगेड से पानी का प्रेशर देकर जलेे सामान के अवशेषों पर पानी का छिडक़ाव किया। 

थोड़ी देर हो जाती तो परिवार में कोई नहीं बचता जीवित : मुरारीलाल रावत 
जिस मकान में सिलेण्डर फटने की घटना घटित हुई उसके मुखिया मुरारीलाल रावत ने बताया कि उन्होंने पहली बार किसी सिलेण्डर को फटते हुए देखा। जिसकी भीषणता को देखते हुए वह स्तब्ध हो गए। इस हिसाब से उनकी मां झुलस गई। श्री रावत बताते हैं कि अगर मां को निकालने में थोड़ी भी देर कर देते तो वह और उनका परिवार जीवित नहीं होता, क्योंकि विस्फोट इतना भीषण था कि सिलेण्डर के चिथड़े उडऩे के साथ-साथ उनकी दीवालों में लगी ईंटे और रसोई की छत पर लगे पाटों के टुकड़े दूर-दूर तक गिरे और इस भीषण विस्फोट में वह शायद ही बच पाते। 
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