स्वाईन फ्लू से एक की मौत के बाद भी प्रशासन बेखबर, फ्लू वार्ड में लटका ताला

शिवपुरी। वैसे तो शिवपुरी का जिला चिकित्सालय अपनी कारगुजारीयों के चलते खुद बेंटीलेटर पर है। परंतु पूरे देश में स्वाईन फ्लू की गंभीरता को देखते हुए राज्य शासन सहित केन्द्र शासन भी इससे बचने के लिए करोडो रूपए खर्चं कर रहा है। शिवपुरी जिला प्रशासन भी इसमें पीछे नहीं है। कलेक्टर शिवपुरी ने भी इस मामले में कोई भी कोताई न वरतने के शख्त निर्देश चिकित्सा विभाग को दिए। इस आदेशों को आप भी देख सकते है। कि फ्लू बार्ड में ताले लगे हुए है। 

जिले के करैरा की महिला पुष्पा की मौत के बाद उसे स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हो गई थी, इस पर भी प्रशासन नहीं चेता। स्वाइन फ्लू ने शहर की दो पॉश कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। नतीजे में दोनों मरीजों को पहले ग्वालियर इलाज के लिए जाना पड़ा। वहां भी जब डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए तो अब दोनों मरीज इलाज के लिए दिल्ली में भर्ती हैं। जिला अस्पताल की तैयारियां सवालों में हैं। बड़ी संख्या में मरीज ग्वालियर झांसी और दिल्ली जाने की जानकारी सामने आई है।

मलेरिया महकमें का दायित्व अकेले डॉक्टर लालजी शाक्य के कंधों पर छोड़ रखा है, वहीं कलेक्ट्रेट में बीते दिनों आयोजित स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया को लेकर आनन फानन में बुलाई गई बैठक के दौरान कलेक्टर तरुण राठी की मौजूदगी में किया गया वह दावा भी खोखला साबित हो रहा है जिसमें स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए जिला अस्पताल में अलग से स्वाइन फ्लू वार्ड तैयार किए जाने की बात कही गई थी। 

जब शिवपुरी की मीडिया ने जिला चिकित्सालय में जाकर  देखा तेा जिला अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड पर ताले लटके हुए थे। प्रबंधन बेखबर था यहां तक कि स्वाइन फ्लू वार्ड के लिए तैनात अमला भी नजर नहीं आया। इस संबंध में जब सिविल सर्जन डॉ. जेके त्रिवेदिया से बात की गई तो उनका कहना था कि वार्ड पर भले ही ताले लटके हों लेकिन जैसे ही कोई आएगा ताले खोल दिए जाएंगे। यह बात साफ इशारा करती है कि जिला अस्पताल को स्वाइन फ्लू के मरीज का इंतजार है और वह न तो अस्पताल में ही इलाज के लिए संजीदा है बल्कि शहर के 39 वार्डों में भी प्रभावपूर्ण ढंग से सर्वे नहीं किया जा रहा।

मरीज इलाज को जा रहे ग्वालियर व दिल्ली
शहर में सर्दी, जुकाम के पीडि़त बड़ी मात्रा में मौजूद हैं तो दूसरी तरफ स्वाइन फ्लू पीडि़त भी सामने आए हैं। यहीं कारण है कि लोगों को इलाज के लिए ग्वालियर, झांसी और दिल्ली भागना पड़ रहा है, जबकि स्वाइन फ्लू के घातक न होने की बात स्वास्थ्य महकमा कह रहा है और उसका यह भी कहना है कि प्राथमिक उपचार से स्वाइन फ्लू पर नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन शहर में ही इलाज न मिलने के नतीजे में भरोसा खो चुके मरीज यहां वहां इलाज के लिए जाने को मजबूर हैं। अब तक शहर की विवेकानंद कालोनी से पीके श्रीवास्तव, जबकि दूसरी पॉश कालोनी विजयपुरम से पटवारी गिरजेश श्रीवास्तव को दिल्ली ले जाया गया है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण किसी व्यक्ति में नजर आएं या फिर किसी को खुद इससे संबंधित लक्षण दिखें तो वह जिला मलेरिया अधिकारी डॉक्टर लालजी शाक्य के मोबाइल नंबर 9424529004 तथा कंट्रोल रूम का नंबर 07492-200100 डायल कर सकता है। लैंडलाइन का नंबर सुबह 11 से शाम 5 बजे तक एक्टिव रहता है।

इनका कहना है-
यह बात सही है कि स्वाइन फ्लू वार्ड पर तैयार है, इसमें 4 पलंग लगाए गए हैं। उस पर ताला इसलिए लगाया है कि अब तक कोई मरीज नहीं आया है। जैसे ही कोई मरीज आएगा, ताले खोल देंगे।
डॉ. जेके त्रिवेदिया, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल शिवपुरी।