हैप्पी बर्थडे शिवपुरी: 1 जनवरी को 97 साल की हो जाएगी हमारी ‘शिवपुरी’

शिवपुरी। विंध्याचल की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी, झरने और वनों से आच्छादित व प्रकृति द्वारा असीम सौंदर्य से नवाजी गई हमारी नगरी शिवपुरी का कल 97 वां का जन्मदिन है। इन 97 वे सालों में शिवपुरी ने बहुत कुछ देखा है और बहुत कुछ बदला भी है। 

लंबे समय तक सिंधिया राजवंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिवपुरी को यह नाम मिलने से पहले यह कभी सीपरी तो कभी सियापुरी के नाम से भी जानी जाती रही, लेकिन 1 जनवरी 1920 को तत्कालीन सिंधिया स्टेट के शासक माधवराव सिंधिया ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर इसे ‘शिवपुरी’ नाम दिया गया।

यह फरमान भी जारी कर दिया गया कि इसे अब दस्तावेजों में शिवपुरी लिखा जाएगा और इसी नाम से पुकारा भी जाएगा। 97 वे साल की हुई शिवपुरी को समय ने काफी कुछ परिवर्तित किया है, लेकिन प्रकृति का सौंदर्य अब भी 
इस नगरी पर मेहरबान है। 

9 वीं शताब्दी से पूर्व का है इतिहास
इतिहासकारों की मानें तो शिवपुरी नगरी का अस्तित्व 9 वीं व 10 वीं शताब्दी से पूर्व का है जब गुरू पुरंदर के शिष्य अवंती ने अपना प्रथम शिवमठ बनाया था और उसी क्रम में यहां भगवान शिव के अनेक मंदिरों की स्थापना भी की गई थी।

यही कारण है कि 10 वीं सदी के शैव मठों की अद्भुत निर्माण शैली के लिए यह नगरी तत्समय वि यात थी। मुगलकाल में इस नगरी के नाम को बदला जाता रहा कभी शिवपुरी तो कभी सियापुरी नाम दे दिया गया।

1906 में नरवर जिले का शिवपुरी को बनाया था मुख्यालय
मुगलकाल के बाद सिंधिया राजवंश के शासन में साल 1906 में इसके विभिन्न नामों का सर्वे कराने के बाद तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया ने इसे नरवर जिले का मु यालय घोषित किया था। 1908 में प्रकाशित इ पीरियर गजटियर ऑफ इंडिया के खण्ड 23 में इस नगर का नाम सीपरी था और ग्वालियर राज्य की नरवर तहसील का मु यालय बनाया गया। 

बाद में मध्यप्रदेश भोपाल में संरक्षित अभिलेख के अनुसार 5 अक्टूबर 1919 फोरेन विभाग दरबार ग्वालियर की विज्ञप्ति के अनुसार इसका नाम सीपरी से बदलकर स्थायी रूप से शिवपुरी दिया गया जिसके बाद गजट में आदेश हुआ कि 1 जनवरी 1920 से सरकारी कामकाज व बोलचाल में शिवपुरी ही जाना जाए व प्रयोग किया जाए। 
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