महिला पार्षदों के नोटिस के मामले में नपाध्यक्ष और उपाध्यक्ष आमने सामने

शिवपुरी। कलेक्टर राजीव दुबे ने नगर पालिका शिवपुरी की जिन 11 महिला पार्षदों को पद से प्रथक करने के नोटिस मु य नगर पालिका अधिकारी रणवीर कुमार की रिपोर्ट पर दिए हैं। जिसमें जिक्र है कि उक्त महिला पार्षदों को पद के अयोग्य मानते हुए इसलिए नोटिस दिए गए हैं क्योंकि पार्षद के रूप में उनके कार्यों का संचालन उनके पति और परिजन करते हैं। 

इससे साफ है कि कलेक्टर राजीव दुबे ने भले ही नोटिस दिए हों, लेकिन नोटिस दिए जाने में नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह और मु य नगर पालिका अधिकारी रणवीर कुमार की प्रमुख भूमिका है। लेकिन इस मुद्दे पर नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा उन महिला पार्षदों के साथ खड़े हैं, जिन्हें नोटिस दिए गए हैं। 

नोटिस प्राप्त महिला पार्षद भावना पाल, मुन्नी देवी अग्रवाल, वर्षा गुप्ता, ज्योति धाकड़, मनीषा बाथम, नीलम बघेल, रेखा परिहार, साईस्ता खांन, अनीता भार्गव, ममता शेजवार और किरण खटीक ने कल नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा को सीएमओ के नाम एक ज्ञापन सौंपा। उपाध्यक्ष शर्मा ने महिला पार्षदों को नोटिस देने पर सवाल खड़े किए और इशारे ही इशारों में अपनी ही पार्टी के नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। 

14 जुलाई को परिषद की बैठक में मौजूद महिला पार्षदों के परिजनों और पतियों को नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह ने बाहर जाने का निर्देश दिया। इस निर्र्देश के पालन में पार्षद पतियों ने जब बाहर का रूख किया तो अपमानित महसूस कर उन्होंने अपनी पार्षद पत्नियों को भी बाहर आने को कहा। 

इस पर नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह बैक फुट पर आए और उन्होंने परिषद की बैठक के संचालन में विघ्न न पड़े इसलिए मजबूरी में ही सही पार्षद पतियों को बैठने की अनुमति दे दी, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मु य नगर पालिका अधिकारी ने कलेक्टर को दी जिसके बाद उक्त महिला पार्षदों को पद से प्रथक करने के नोटिस जारी कर दिए गए। 

कल सीएमओ को ज्ञापन देने जब उपाध्यक्ष के नेतृत्व में महिला पार्षद गई तो सीएमओ ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि आप खुद जानते हैं कि यह किसके इशारे पर हुआ। उन्होंने साफ-साफ तो कुछ नहीं कहा, लेकिन निशाने पर नपाध्यक्ष थे। इस पर पूरी ताकत से नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा ने महिला पार्षदों का बचाव करते हुए आंदोलन करने तक की चेतवानी दे दी। 

उन्होंने सवाल खड़ा कि जब नपाध्यक्ष कुशवाह ने पार्षद पतियों और उनके परिजनों को बैठने की अनुमति दी तो फिर नोटिस जारी करने का क्या अर्थ। उनका दूसरा सवाल था कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 60 के तहत परिषद के संचालन के लिए सभापति अवांछितों को बाहर कर बंद कमरे में बैठक आयोजित कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए परिषद में प्रस्ताव पास करना आवश्यक है जो कि 14 जुलाई को आहुत बैठक में नहीं पारित किया गया।

श्री शर्मा के अनुसार ऐसी स्थिति में महिला पार्षदों को नोटिस दिया जाना न तो न्यायसंगत और न ही कानूनी संगत है। कुल मिलाकर नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा ने इस मामले में अपने ही दल के नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह की कार्यप्रणाली पर सवाल अवश्य खड़े कर दिए हैं।