....तो मैं क्या करूं | यशोधरा नही गई अपने वोटरो के साथ

शिवपुरी। जिस सरकार में रहकर न्यायालय को सर्वोच्चता प्रदान की जाती है उसी सर्वोच्च फैसले को प्रदेश की उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने ना केवल मानकर इतिश्री कर ली बल्कि इस आदेश के बाद भी वह जनता के बीच अपना पक्ष नहीं रख सकी और कह बैठी कि ...मैं क्या करूं।

जी हां! बात हो रही है प्रदेश की उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की जिन्होनें गत दिवस शिवपुरी दौरे के समय मप्र शासन द्वारा सभी निजी विद्यालयों में एनसीईआरटी पुस्तकों की अनिवार्यता को लेकर पालक संघ को दो टूक जबाब दे दिया कि मैं क्या करूं,........

बात यहीं खत्म नहीं हुई इसके बाद उद्योग मंत्री ने पालक संघ सहित संपूर्ण अंचलवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए यह तक कहा कि यदि आपके पास बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाने के लिए फीस नहीं है तो फिर निकाल दीजिए और सरकारी स्कूल में दाखिल दिलाकर पढ़ाऐं। 

एक संभ्रांत और सुशिक्षित जनप्रतिनिधि से इस तरह के वार्तालाप और बयानबाजी को लेकर पालक संघ ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है। हालांकि तत्समय पालक संघ ने मंत्री के बयान को लेकर कोई मोर्चा नहीं खोला लेकिन आज भी पालक संघ अपनी मांगों को मनवाने के लिए धरना प्रदर्शन कर रहा है। 

उद्योग मंत्री ने उच्च न्यायालय के आदेश को दिखाया ठेंगा
बताना होगा कि निजी विद्यालयों की मनमानी फीस, स्कूली डे्रस, किताबें आदि को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका वरिष्ठ अभिभाषक विजय तिवारी द्वारा लगाई गई थी जिसके तारत य में माननीय उच्च न्यायालय ने सभी निजी विद्यालयों में अनिवार्य रूप से एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की पुस्तकें अनिवार्य की थी। 

उच्च न्यायालय के इस फैसले और इन्हीं मांगों को लेकर पालक संघ उद्योग मंत्री से मिलने पहुंचा लेकिन यहां माननीय उद्योग मंत्री यशेाधरा राजे सिंधिया ने उच्च न्यायालय के आदेश को ाी ठेंगा दिखा दिया और पालक संघ को उल्टी हिदायत देकर सरकारी स्कूल में बच्चों के दाखिले की नसीहत तक दे डाली। 

जो मंत्री न्यायालय के आदेश केा मानने पर जनता से ही बेरूखी से वार्तालाप करें तो इसे क्या कहिएगा, यह मामला आज जनचर्चा का विषय बन चुका है। 

निजी स्कूल बंद हों तो, पढ़ाऐं शासकीय स्कूलों में 
आखिरकार पालक संघ ने निजी विद्यालयों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को निजी विद्यालयों में लागू करवाने के लिए लगभग 10 दिनों से धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यहां पालक संघ खुलेआम कहता है कि आखिर क्यों हम सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाऐं, निजी स्कूलों की मनमानी पर यदि शासन-प्रशासन रोक नहीं लगाता तो फिर क्यों ना सभी निजी विद्यालयों को ही बंद कर देना चाहिए।