''कहां है, कौन है वो, कहां से आया... चारों दिशाओं में, ऋषि दयानन्द छाया.

शिवपुरी-वेदों के उद्वारक और कुरीतियों को मिटाकर जन-जन को वैदिक धर्म के माध्यम से मोक्ष का मार्ग महर्षि दयानन्द सरस्वती ने प्रशस्त किया है ऐसे महान वेद उद्वारक के जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए  जो हमें ऋषि बोध उत्सव का आभास कराता है,जिन्होंने जात,पात,पंथ से दूर रहकर आर्य समाज की स्थापना की, वेदों की महिमा से जीवन जीने की कला सिखाई, जिनके जीवन में राष्ट्र के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव रहा ऐसे महर्षि दयानन्द का सानिध्य आर्य समाज को प्राप्त हुआ जिससे आर्य समाज का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है। उक्त विचार व्यक्त किए आर्य समाज के वरिष्ठजन समीर गांधी ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर पर आयोजित ऋषि बोध उत्सव पर अपने विचारों के माध्यम से ऋषि बोध उत्सव का ध्यान करा रहे थे। कार्यक्रम का संचालन कर रहे हनी हरियाणी ने ऋषि दयानन्द के जीवन पर आधारित उनके कार्यों और क्रियाओं पर प्रकाश डाला साथ ही उनके आदर्शों पर चलने का आह्वान किया। कार्यक्रम में प्रात: 8: 30 बजे यज्ञ किया गया तत्पश्चात आर्य समाज के प्रतिनिधियों द्वारा ऋषि बोध उत्सव पर अपने विचार प्रकट किए गए। इस दौरान भजनों की प्रस्तुति ने भी सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में रामपाल सोनी, इन्द्रजीत चावला, विशाल भसीन, नमन विरमानी, सचिन टोनी, कपिल मंगल, राकेश शर्मा, अर्जुन, दयाशंकर, मनोज अग्रवाल सहित अन्य सैकड़ों आर्य समाज के महिला-पुरूष व बच्चे कार्यक्रम में शामिल थे। 

तेजस्व के भजन पर भावविभोर हुए श्रोता
ऋषि बोध उत्सव के मौके पर आर्य समाज के विशाल भसीन के 8 वर्षीय पुत्र तेजस्व भसीन ने बड़े ही शानदार शैली में ऋषि दयानन्द का स्मरण श्रोताओं को कराया और भजन की प्रस्तुति दी, 'कहां है, कौन है वो, कहां से आया... चारों दिशाओं में, ऋषि दयानन्द छाया..Ó की प्रस्तुति को सराहा गया। इसके अलावा किशन मदान द्वारा भजन 'गुरूदेव दयानन्द सा दुनिया में कहां होगा...महापुरूष जन्म लेंगें, सुना ना होगा...Ó के अलावा राजीव निगौती के भजन ...'ए ऋषि तू देवता था या कि तू इंसान था... प्रतिभा तेरी देखकर, सारा जहां हैरान था...'की प्रस्तुति रही। इसके अलावा मनोज अग्रवाल ने महर्षि दयानन्द का जीवन वात्सलय,मानवता,दयालुता,ईश्वरीय वाणी से भरा हुआ बताया।