संत ही नहीं श्रावक के लिए भी जरूरी है धार्मिक क्रियाएं: साध्वी शुभंकराश्रीजी

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शिवपुरी। संक्रांति के इस महापर्व पर उपदेश देते हुए साध्वी शुभंकराश्रीजी ने कहा कि केवल संतों के लिए ही धार्मिक क्रियाएं नहीं बनी हैं। इन धार्मिक क्रियाओं से ही सच्चा श्रावक बना जा सकता है यदि आप प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठते हैं और धार्मिक क्रियाएं करते हैं तो आपका पूरा दिन स्फूर्तिदायक बना रहेगा और आप श्रृष्टिवर श्रावक के पद पर बैठेंगे। 

आज के प्रवचनों में उन्होंने कहा कि हमें सूर्योदय के 96 मिनिट पहले उठना चाहिए और कभी भी सूयास्त के वक्त सोना नहीं चाहिए। यदि हम किसी कारण से सूर्यादय के 96 मिनिट पहले नहीं उठ सकते तो कम से कम सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए। यदि आप ब्रह्म मुहूर्त में सामयिक करते हैं तो आपका शरीर ऊर्जावान बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हम जब भी उठें प्रसन्नता के साथ उठें और औरों में भी प्रसन्नता बनाने की कोशिश करें। संत और श्रावक के अपने अपने कार्य हैं और हम तभी श्रेष्ठ संत और श्रेष्ठ श्रावक बन सकेंगे जब हम अपने नित्य नियमों का कठोरता के साथ पालन करेंगे। 

जैन श्वेता बर उपासरे में हुई इस धर्मसभा में साध्वी शुभंकराश्रीजी के साथ साध्वी गुणरत्नाश्रीजी  भी विराजित थीं। ग्वालियर से बिहार कर शिवपुरी पधारीं साध्वी गुणरत्नाश्रीजी म.सा. ने आज अपने प्रवचनों में कहा कि मोक्ष ही सुख का मार्ग है। संसार की गाड़ी में हम बैठे तो हैं लेकिन हमारा कोई लक्ष्य नहीं है। हमें चाहिए कि हम शिव पुरी (मोक्ष पुरी) जाने का लक्ष्य बनायें। यह हम तभी जा पाएंगे जब हम कठोरता से नियमों का पालन करेंगे। 

इस बात को उन्होंने इस उदाहरण से समझाया कि हमारे सामने खाने की थाली रखी है लेकिन हम चाहते हैं कि निवाला अपने आप मुंह में आ जाए तो यह संभव नहीं है इसके लिए हमें कर्म तो करना ही होगा। यदि हमें बॉ बे जाना है
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