भारत पर है दो कलंक गौ वध और भ्रूण हत्या : साध्वी डॉ.विश्वेश्वरी देवी

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शिवपुरी। इस संसार में कन्या(बेटी)को देवी का अवतार माना गया है क्योंकि सनातन युग से देवी के रूप में कन्या को ही पूज्यनीय माना गया है लेकिन आज इस संसार में मनुष्य ने भ्रूण हत्या जैसा पाप करके उसे अपने भविष्य को बर्बाद करने का काम किया है।

 विभिन्न प्रकार के सोनोग्राफी सेंटरों में भ्रूण हत्या होना इस बात का प्रमाण है कि आज भी बेटी को अभिशाप माना जाता है इस कलंक को मिटाना है और बेटी के जन्म को उत्सव बनाना है इसके साथ ही गौमाता जिसमें 33 कोटि के देवताओं का वास माना जाता है ऐसी गायों की हत्या भी पाप के समान है लेकिन देखने में आ रहा है कि व्यक्ति पुण्य हासिल करने के लिए गाय को चारा तो खिला देता है।

 लेकिन उसकी सेवा करने से वह पीछे हट जाता है इस संसारी प्राणी में यही दुर्गण है जो उसे अपने अधिकार का ज्ञान नहीं कराते और इसके लिए भगवान श्रीराम-कृष्ण की परंपरा का अनुसरण करना होगा तभी हम भारत देश से गौ वध और भ्रूण हत्या के कलंक को मिटा पाऐंगें। यह विशेष प्रवचन आज गांधी पार्क में प्रसिद्ध श्रीरामकथा मर्मज्ञ साध्वी डॉ.विश्वेश्वरी देवी ने उपस्थित धर्मप्रेमीजनों के बीच कही और उन्हें यह संकल्प दिलाया कि वह गौर रक्षा व भ्रूण हत्या का विरोध करेंगें और ऐसा करने वालों के खिलाफ खड़े होकर अपनी आवाज बुलंद करेंगें।

इस दौरान कथा में शिवपुरी कलेक्टर राजीवचन्द्र दुबे भी पहुंचे और उन्होंने भगवान रामजन्मोत्सव में भाग लिया तत्पश्चात कथा समापन पर आरती कर साध्वी डॉ.विश्वेश्वरी देवी से आर्शीवाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में श्रीरामकथा समिति के  रामशरण अग्रवाल, कपिल सहगल, मुन्नाबाबू गोयल, कृष्णदेव गुप्ता, गोविन्द सेंगर आदि ने कलेक्टर श्री दुबे का स्वागत कर कार्यक्रम में शामिल होने पर उन्हें स्मृति चिह्न प्रदान किया।

इन प्रवचनों को सुनरही श्रोता भावविभोर हो गए और उन्होंने साध्वी के बताए अनुसार गौ रक्षा का संकल्प लिया। साध्वी डॉ.विश्वेश्वरी देवी ने कहा कि जब भगवान ने इंसान में भेदभाव नहीं किया तो फिर हमें भी बेटा-बेटी में भेद नहीं करना चाहिए क्योंकि सनातन धर्म में बेटी को पूज्यनीय कहा गया है, जब नवरात्रि में नौ शक्तियों का देवीपूजन करते है और छोटी कन्याओं को देवीस्वरूप मानकर उसी भाव से आराधना करते है किन्तु जब घर में बेटी जन्मती है तो फिर हर पढ़े-लिखे शिक्षित लोग आज जन्म लेने वाली कन्या की हत्या जैसा पाप कैसे करते है? यह उनकी विकृत मानसिकता का प्रतीक है।

इसलिए भारत देश में बेटीयों को देवीरूप में माना गया है और उसी रूप में हमारे परिवारों में भी बेटियों के जन्म पर उत्सव मनाया जाना चाहिए। साध्वी डॉ.विश्वेश्वरी देवी ने कहा कि बेटी को अभिशाप मानने वाले अभिभावकों को अब बेटी मानने से परहेज नहीं करना चाहिए इसके लिए बेटी बचाने में अब झांसी में निर्मित होने वाले मातृत्व संरक्षण केन्द्र में अपनी कन्या को दान कर सकते है इनकी शिक्षा दीक्षा और विवाह की जि मेदारी संपूर्ण मातृत्व संरक्षण केन्द्र की होगी।  इस दौरान कथा में धर्मप्रेमीजनों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। 
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