अष्ठाना दंपत्ति का दुकान घोटाला !

शिवपुरी। सत्ता के बदलते ही सीएमओ नगरपालिका कमलेश शर्मा ने भी अपने सुर बदल लिए हैं। कल तक जो सीएमओ रिशिका अनुराग अष्ठाना को बर्खास्त किए जाने की सूचना छिपाए बैठे थे आज उन्होंने ही नगरपालिका की फाइलों में कैद दुकान घोटाले को उजागर कर दिया है।


इस घोटाले में नगरपालिका के राजस्व अधिकारी भी पूरी तरह से लिप्त बताए जा रहे हैं। मामला नगरपालिका की दुकानों को प्राइवेट प्रॉपर्टी की तरह बांटने का है। जिनसे जान बूझकर किराया तक वसूल नहीं किया गया।

कल 87 दुकानों पर एक करोड़ 45 लाख 41 हजार 213 रुपये प्रीमियम और लगभग 50 लाख रुपये किराये चुकाये बिना दुकानों के उपभोग का मामला उजागर हुआ था। आज 76 दुकानदारों पर लगभग सवा करोड़ रुपये प्रीमियम राशि जमा किये बिना कब्जा देने का मामला उजागर हो गया। इन 76 दुकानों में पोहरी बस स्टेण्ड क्षेत्र की 61, दीनदयाल मार्केट की 5, नपा कार्यालय के सामने की 3 और कोर्ट रोड कलार गली की 7 दुकानें शामिल हैं।

अवैध रूप से नगरपालिका की संपत्ति का उपभोग करने वालों में कई प्रभावशाली और कुछ नगरपालिका के राजस्व अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं। अब इन दुकानदारों को नोटिस देने की कार्यवाही की जा रही है।

मुख्य नगरपालिका अधिकारी कमलेश शर्मा ने बताया कि निर्धारित समय अवधि में राशि जमा न करने वाले दुकानदारों से दुकानें खाली कराई जायेंगी। उन्होंने कहा कि प्रीमियम के साथ-साथ दुकान नीलामी की तिथि से इन दुकानदारों से किराया भी वसूल किया जायेगा।

यहां बता दें कि तत्कालीन नपा अध्यक्ष जगमोहन सिंह सेंगर ने राजस्व बढ़ाने के लिए इन दुकानों का निर्माण कराया था, ताकि शहर में और सुविधाएं दी जा सकें और टैक्स भी ना बढ़ाना पड़े परंतु रिशिका अनुराग अष्ठाना के कार्यकाल में इन दुकानों से कोई वसूली नहीं की गई।

सवाल यह है कि बिना प्रीमियम राशि चुकाये बिना दुकानों का आधिपत्य देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई। इससे इस पूरे खेल में नपा के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता भी उजागर हो रही है।

76 बकायाधारों पर बकाया राशि और उनके नाम
1-दीनदयाल मार्केट
आदिवासी 206000, विनोद शर्मा/बनवारी लाल 144500, मनोज कुमार/रामस्वरूप गुप्ता 88100, राजकुमार शाक्य/श्यामलाल 48000,
2-नपा कार्यालय के सामने
दीपक/महेश कन्हौआ 80000, श्रीमती राधा/केएल गुप्ता 145000, श्रीमती राधा/मेहताब सिंह 280000
3-कोर्ट रोड कलार गली
नजरब स/करीम 340786, बहादुर ब स/गफूर 476101, सोहिल ब स/नजर 414786, धर्मवीर/रामदयाल 468750, श्रीमती अफसाना/आजाद 470000, अरविंद/भीमसिंह 465000, जयसिंह खटीक/महेश 320000
4- पोहरी बस स्टेण्ड
हुकुमसिंह रावत 276000, नीतू शिवहरे 259000, मनीष कुमार जैन 110000, संपत आदिवासी 200100, जसवंत सिंह 95000, आरती घनघौरिया 62000, श्रीमती ममता चतुर्वेदी 96000, भानू प्रसाद 170000, प्रेमनारायण चतुर्वेदी 60211, राजेन्द्र सिंह 147101, विनोद कुमार 200101, श्रीमती रेखा सेन 20500, हरिबल्लभ शर्मा 74501, पार्वती बाई 145000, अभिषेक पाल 35701, हृदेश राठौर 315000, राजेन्द्र वर्मा, 140000, रमेशचंद शिवहरे 127600, श्रीमती मायादेवी जाटव 85000, दीक्षा जाटव 85100,श्रीमती सुनीता 115500, श्रीमती जूली चौहान 168500, श्रीमती प्रेम सिंह 99000, सुनील यादव 180500, घनश्याम सेन 96500, संजय श्रीवास्तव 36000, दीपक अग्रवाल 120000, मनोज गुप्ता 100000, सहजाद खान 121000, श्रीमती सोनू शर्मा 131500, श्रीमती ममता शर्मा 102000, संदीप बेडिय़ा 62000, कमरसिंह/इन्द्रसिंह 190500, गप्पूलाल राठौर 138501, चंद्रभानसिंह 200447, प्रभाकर लबंगीकर 39000, सरबनसिंह 125000, सुरेश घनघौरिया 54100, मुकेश सिंह 131000, मंगल राठौर 88750, कपिल कुमार 117500, प्रिंयका मौर्य 120000, शिवांगी मौर्य 119000, देवेन्द्र शर्मा 95000, विष्णु अग्रवाल 95250, दीपक अग्रवाल 83125, लालसिंह चौहान 160175, सुरेन्द्र कुमार 126000, सूर्यकांत चौकसे 109000, सरोज सुनेजा 139000, राजेन्द्र कुमार 40000, श्रीमती अंजनी शर्मा 78000, मुन्नीदेवी सेन 52000, वीरसिंह 130750, कन्हैयालाल कोली 30701, धर्मवीर धाकड़ 121000, रविन्द्र भदौरिया 161000, रविन्द्र भदौरिया 64600, रामवती परिहार 100000 रूपये।

किरायेदारी में भी फर्जीवाड़ा
तांगा स्टेण्ड की दुकानों में श्रीमती पल्लवी/दीपक गोयल पर तीन लाख आठ हजार 111 रुपये की राशि बकाया है, लेकिन दीपक गोयल का कहना है कि उन्हें नहीं पता किसने उनके नाम से दुकान ली है। उनकी पत्नी का नाम तो जब अखबार में प्रकाशित हुआ तब उन्हें पता चला। श्री गोयल कहते हैं कि वह अपनी जमा राशि वापस ले लेंगे और दुकान का कब्जा नगरपालिका को सौंप देंगे। इससे यह भी पता चलता है कि नपा प्रशासन में काबिज कुछ प्रभावशाली लोग किस तरह से बेनामी नामों से दुकान का कब्जा लेते हैं।

मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं धोखाधड़ी का भी है। सवाल यह उठता है कि क्या दीपक गोयल जैसे पीड़ित नगरपालिका के तत्काल प्राधिकृत अधिकारियों एवं अधोहस्ताक्षरी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कूटरचना एवं धोखाधड़ी का आपराधिक प्रकरण दर्ज कराएंगे।