शिवपुरी-नगर पालिका चुनाव में शहर कांग्रेस के द्वारा जो टिकिट आवंटित किए गए है उनकी परिस्थितियां अब नामांकन वापिस लेने के बाद स्पष्ट बनती नजर आने लगी है। वार्ड क्रं.22 में कांग्रेस प्रत्याशी सफदरबेग मिर्जा भारतीय जनता पार्टी के चन्द्रकुमार बंसल और निर्दलीय मु त्यार खेरा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की भूमिका बनना शुरू हो गई है।
हालांकि इसमें समाजवादी पार्टी के पप्पू भाई भी अपना जोर आजमा रहे है। टिकिट वितरण से पूर्व अब्दुल खलील ने मु त्यार खेरा को कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित करने की सिफारिश जिला कांग्रेस से की थी और सफदरबेग मिर्जा से कांग्रेस की जीत सुनिश्चित कराने के लिए पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा ने 22 की जगह 21 में चुनाव लडऩे की सलाह दी थी लेकिन ये परिस्थितियां चिह्न आवंटन के पूर्व नहीं बन सकी।
जिसके कारण त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति वार्ड में खड़ी हो गई है। गौरतलब है कि इस वार्ड में महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष पूनम कुलश्रेष्ठ के पति भी अपनी राजनैतिक विरासत के बदले में पार्षदी का टिकिट चाहते थे इसके अलावा राजेन्द्र शर्मा के भाई राकेश शर्मा भी टिकिट की मांग कर रहे थे। अध्यक्षीय पद पिछड़ा वर्ग ना होने तक पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष पदम चौकसे भी पार्षद का चुनाव लडऩा चाहते थे इसके अलावा कर्मचारी रहते हुए कांग्रेस के लिए काम करने वाले चन्द्रशेखर शर्मा भी मैदान में आने की परिस्थिति बना रहे थे।
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की जब यहां से लोकसभा चुनाव में जीत भी इन्हीं कद्दावर नेताओं के कारण मानी जा सकती है लेकिन नगर पालिका चुनाव में 21 वार्ड से एक वोट से चुनाव हारने वाले सफदरबेग मिर्जा वार्ड नं.22 से चुनाव लडऩे की हठधर्मिता कर रहे थे और उन्हें पार्टी ने मेण्डेड भी दे दिया है अब यहां मुकाबला त्रिकोणीय संघर्ष के रूप में दिखाई दे रहा है जिसमे किस की जीत होगी यह कहना मुश्किल है।
हालांकि राजनीति में पहली बार कदम रखने वाले चन्द्रकुमार बंसल का व्यवहार चुनाव में असरकारी हो सकता है लेकिन खेरा के प्रति वार्ड के अधिकांश लोगों की सहाुनभूमि इसलिए है कि वह लगातार तीन बार से पार्षद बनने का प्रयास कर रहे है। मगर सफदरबेग मिर्जा के कारण उन्हें टिकिट नहीं मिल सका।
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