डॉक्टरों के आपसी मतभेद में चली गई चार बहनों की जान

शिवपुरी। गत दिवस जिले के बदरवास मेंं पानी में डूबने से मरणासन्न स्थिति में अस्पताल पहुंची चार बहनों की मौत से वहां पदस्थ चिकित्सकों की असंवेदनशीलता उजागर हुई है। मृत युवतियों के परिजनों का आरोप है कि यदि उन्हें ठीक समय पर चिकित्सकों ने देख लिया होता तो उनकी मौत नहीं होती।

सूत्र बताते हैं कि  स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ चिकित्सक और बीएमओ के बीच आपसी संबंध बिगड़े हुए हैं। घटना के बाद बीएमओ आर-आर माथुर ने चिकित्सक आरके चौधरी को स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंचने के लिए कहा, लेकिन बीएमओ के आदेश के बावजूद भी चिकित्सक स्वास्थ्य केन्द्र नहीं पहुंचे और घर पर ही मरीजों को देखते रहे और इलाज के अभाव में बालिकाओं ने दम तोड़ दिया।

शिवपुरी जिले में चिकित्सकों और आम जनता के बीच अविश्वास और कटुता की खाई बहुत गहरी है। यही कारण है कि जिले की स्वास्थ्य सेवाएं बिगड़ी हुई हैं। चिकित्सकों पर आम तौर पर यह आरोप है कि जि मेदारी से वह किनारा करने की कोशिश करते हैं और मरीज को रैफर करना उनका एकमात्र अस्त्र है। जबकि चिकित्सकों का तर्क है कि जब जनता हम पर विश्वास नहीं करती तो रैफर करने के अलावा रास्ता ही क्या है।

आरोप है कि मोटी तन वा पाने वाले डॉक्टर अस्पतालों में मरीजों को न देखते हुए घर पर अपने क्लीनिक संचालित किए हुए हैं। कल जब तालाब में डूबकर संगीता, सपना, आशा और  सुषमा  को बेहोशी की हालत में स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया। जहां कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं था। तब मृतिका बालिकाओं के परिजन चिकित्सकों के घर पहुंचे। जहां डॉक्टर मरीजों को देखने में व्यस्त थे। जब उन्हें घटना के बारे में बताया गया तो डॉ. आरके चौधरी ने दशहरे की छुट्टी की बात कहकर उन्हें लौटा दिया। जिससे बालिकाओं के इलाज में देरी हो गई और चारों बालिकाओं ने दम तोड़ दिया।

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