ना कॉलेज ना ही स्टाफ, हवा में चल रहा है बीएड कॉलेज

शिवपुरी। ना कॉलेज का भवन और ना ही स्टाफ किराये एक कमरे में चल रहे एक बीएड कॉलेज के सामाचार मिल रहे है इस कॉलेज की मान्यता अवश्य है इस सनराईज काँलेज को ऑनलाईन भर्ती प्रक्रिया में 100 सीटो की जगह बताई जा रही है। छात्र इस कॉलेज को सतनवाडा में खोज रहे है।

बीएड में एडमिशन के नाम पर कई कॉलेजों द्वारा फर्जीवाड़ा किए जाने के मामले सामने रहे हैं। छात्रों को बहला-फुसलाकर उन्हें डिग्री दिलाने के नाम पर पैसे जमा कराए जा रहे हैं। सतनवाड़ा स्थित एक बीएड कॉलेज का सामने आया है, जिसमें ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया के दौरान इस कॉलेज में 100 सीटों की जगह बताई जा रही है, लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि कॉलेज सतनवाड़ा में संचालित ही नहीं है।

सतनवाड़ा पर दर्शाया जाने वाला सनराइज बीएड कॉलेज को देखने के लिए जब कुछ प्रवेशार्थी छात्र देखने निकले तो कहीं भी इसका भवन नजर नहीं आया। जबकि सिटी में ऑफिस खोलकर छात्रों को गुमराह किया जा रहा है।

इस कॉलेज का एक ऑफिस छत्री रोड पर चल रहा है। यहां पर एडमिशन फीस जमा करने की बात चलती है। जब यहां तैनात एक कर्मचारी अंकुर पालीवाल से बात की उन्होंने कहा कि हमारी सतनवाड़ा खुर्द में बिल्डिंग है। जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि सतनवाड़ा में इस कॉलेज का कोई भवन नहीं है।

छात्रो ने शिवपुरी सामाचार डाट कॉम को बताया हम सतनवाडा में इस कॉलेज की जानकारी ली तो किसी ने नही बता पाया कि यह कॉलेज कहा है और कहा बन रहा है, किसी भी तरह हम इनके छत्री पर एक किराए के मकान में चल रहा इनके ऑफिस गये तो हमे बताया गया कि हमारा कॉलेज का भवन निर्माणाधीन है।

हमने कहा कि आपका भवन कही नही मिला तो वह संतुष्टि पूर्वक जबाब नही दे पाए ओर कहा इस कॉलेज में स्पेशल सुविधा है आप फीस के अतिरिक्त 60 हजार रूपये और दे, इसमें आपको कॉलेज नही आना पड़ेगा, आप की प्रक्टिकल, और उसकी फाईले भी अपने आप तैयार हो जाऐगी केवल आप को साल भर में पेपर देने आना होगा।

छात्रो ने जानकारी देते हुए कहा कि हमारा नाम ऑन लाईन प्रक्रिया मेेें इस कॉलेज के लिए आ गया है हम इसमें एडमिशन कैसे ले जिसकी कॉलेज की कोई भवन नही है और स्टाफ  भी नही है, कैसे कक्षाए संंचालित होगी अगर किसी कारण इस कॉलेज की मन्यता निरस्त हो गई तो हमारी साल और रूपये बर्बाद हो सकते है।

किस तरह प्राइवेट कॉलेजों के नाम पर शिक्षा माफिया पैसा बना रहे हैं। यह इसका उदाहरण है।  इस कथित प्राइवेट कॉलेज को बीएड के लिए मान्यता कैसे मिल गई, जब इसके पास भवन और स्टाफ ही नहीं है तो निरीक्षण उपरांत किन अधिकारियों ने इसकी एनओसी दीए यह जांच का विषय है।  इस बीएड कॉलेज के नाम पर छात्रों को बेवकूफ बनाकर पैसे ऐंठे जा रहे हैं। भवन के अभाव में यह कॉलेज नियमित रूप से कैसे संचालित होगा। यह आसानी से समझा जा सकता है।