शिवपुरी में पहली बार आयोजित हुआ तालवाद्य समागम

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शिवपुरी। गिरधर के संग किशोरी खेलत व्रज में होरी,जब से धोका दे गयो श्याम मैं कोऊ के संग नई खेली होरी जैसे गीतों के माध्यम से आयोजन के प्रारम्भ में ही होली का फागुनी रंग चढ़ गया। उक्त गीत कलाकार दामोदर शर्मा ने लोक सेवा प्रसारक, प्रसार भारती के उपक्रम आकाशवाणी स्थानीय श्रीरामकिशन सिंहल सभागार, दुर्गामठ, पुरानी शिवपुरी रोड में अभिनव संगीतिक आयोजन लोकरंग के अंतर्गत लोक संगीत एवं तालवाद्य समागम का आयोजन के दौरान सुनाए।

सागर से पधारे शिवरतन यादव और छतरपुर की सुविख्यात लोकगीत गायिका श्रीमती उर्मिला पाण्डेय के गीतों ने अंत तक उतरने नहीं दिया। श्रीमती उर्मिला पांडेय के विभिन्न लोकगीतों विशेषकर जनता की मांग पर गाये गये गीत आंगना में कुअला राजा डूब के मरूंगी को सुन कर रसिक श्रोता लोकगीतों की मस्ती में झूम उठे। आयोजन में शिवपुरी के विख्यात कलाकार और साहित्यकार अरुण अपेक्षित ने ताल वाद्ययंत्रों पर केन्द्रित शोधपत्र के वाचन के द्वारा भारतीय लोक एवं शास्त्रीय संगीत की परम्परा में ताल वाद्य यंत्रों के महत्व को प्रतिपादित किया।

कार्यक्रम का प्रभावी और सम्मोहित कर देने वाला संचालन श्रीमती सुचित्रा खन्ना के द्वारा किया गया और आभार का प्रदर्शन डॉ.समर्थ अग्रवाल के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में आकाशवाणी शिवपुरी के कार्यक्रम स्टाफ के साथ साहब सिंह अभियांत्रिकी प्रमुख एवं उनकी टीम का विशेष सहयोग रहा।  आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.परशुराम शुक्ल विरही, आईटीबीपी कमान्डेंट सुरेन्द्र खत्री, ,एसडीएम डीके जैन, अशोक चतुर्वेदी, दिनेश वशिष्ठ,विजय भार्गव के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय कलाकार, पत्रकार, साहित्यकार और रसिक श्रोता उपस्थित थे।

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