वेद में संसार-आत्मा और ईश्वर को जानने का ज्ञान है : अंजली आर्या

शिवपुरी। वेद में संसार, आत्मा एवं ईश्वर को जानने एवं मानने का पूर्ण ज्ञान उपलब्ध है। वेदकथा का वाचन करते हुए कहा कि मानव को मानव कैसे बनाया जाता है।
देव, राक्षस, पुरूष, माता, मनुष्य जैसे शब्दों का निरूक्त के सापेक्ष अर्थान्वयन करते हुए स्पष्ट किया कि इन अर्थों का प्रयोग वेद में प्रसंग के अनुकूल होता है यह बात कही आर्य समाज के वार्षिकोत्सव में वैदिक विदुषी अंजली आर्या ने जिन्होंने वेद की महिमा का बखान किया। आर्य समाज शिवपुरी के त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव में पधारी वैदिक विदुषी अंजली आर्या द्वारा शिवपुरी स्थित गांधी पार्क मैदान में वैदिक ज्ञान का उपदेश प्रतिदिन दो सत्रों में दिया जा रहा है। कथा वाचक अंजली आर्या वैदिक ऋचाओं, मंत्रों का सुबोध एवं सरल भाषा के साथ व्या यान एवं सुमधुर भजनोपदेशों से लाभान्वित होने वालों की उपस्थिति में लगातार वृद्धि हो रही है।

प्रवचनों की श्रृंखला में वैदिक विदुषी अंजली आर्या द्वारा बताया कि लगभग 5 हजार वर्ष के पूर्व विश्व मे मात्र वैदिक धर्म था। महाभारत युद्ध के पश्चात लोगों के वेदों से वंचित हो जाने के परिणामस्वरूप समाज में अवैदिक मान्यताओ से युक्त मत-मतान्तरों कुप्रथाओं, कुरीतियों का प्रादुर्भाव लगातार होता गया। इसी कालखण्ड में अल्पज्ञ लोगों के द्वारा वेदों के त्रुटिपूर्ण भाष्य कर समाज को दिगभृमित किया गया। परिणामस्वरूप भारत वर्ष हजारों वष्र तक अवैदिक लोगों के अधीन हो गया। 

19वीं शताब्दी में महर्षि दयानन्द ने समाज में धर्म में फैली घातक विकृतियों का प्रतिकार किया, शुद्धवेद भाष्य किया एवं अवैदिक लोगो को शास्त्रार्थ के लिए ललकारा, इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु आर्य समाज रूपी आन्दोलन प्रशस्त किया। महर्षि दयानन्द की प्रेरणा से भारत वर्ष के स्वतंत्रता आन्दोलनों में आर्य समाज की महती भूमिका रही। कार्यकर्ताओं, मूर्धन्य विद्वानों, सन्यासियों ने अपनी कुर्बानी दी। 

कार्यक्रम के बारे में आर्य समाज परिवार शिवपुरी के शेर सिंह यादव ने बताया कि वैदिक विदुषी के द्वारा रोचक उदाहरणों के साथ वैदिक सुक्तियों की व्या या करते हुए विदुषी अंजली आर्या ने आज बताया कि वेद में संसार, आत्मा एवं ईश्वर को जानने एवं मानने का पूर्ण ज्ञान उपलब्ध है।प्रवचनों के दौरान अंजली आर्या द्वारा मधुर स्वर में प्रेरक भजनों के साथ उपदेश किया जा रहा है। 

जिनकी संगृहणीय कैसेट्स भी तैयार कर आर्य समाज के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। आज के कार्यक्रम में आर्य समाज गाजियाबाद से पधारे महाशय लाजपतजी ने प्रेरक वैदिक उपदेश दिया। पंडाल में वृहद वैदिक साहित्य सीडी कैसेट्स एवं यज्ञ सामग्री पात्र, विक्रय हेतु उपलब्ध है। पांडाल में आगंतुकों हेतु उत्तम व्यवस्था आर्य समाज के युवा कार्यकर्ताओं एवं आर्य वीरों के द्वारा की गई है।