पिछोर में कक्काजू को करना होगा जीत पर मंथन

शिवपुरी-महज 11 दिन में नामांकन फार्म भरने के बाद ऐसा कैसा चुनाव प्रचार जिले की पिछोर विधानसभा क्षेत्र में हुआ कि इस बार के घोषित परिणामों ने स्वयं छठवीं बार विधायक बने के.पी.सिंह को भी मंथन करने पर मजबूर कर दिया। हालांकि इस बात को स्वयं कक्काजू स्वीकार करते है कि सत्ता से 10 साल बाहर रहना और विकास कार्यों में कुछ कमियों को लेकर यह परिणाम निकला।
लेकिन अब इस बात के कई मायने निकाले जा रहे है ऐसे में संभावना बढ़ गई है कि कहीं कक्काजू को आने वाले चुनावों में इससे और अधिक परिणाम को भुगतने के लिए मजबूर ना होना पड़े, ऐसे में वह कैसे भाजपा की सरकार में पिछोर के विकास कार्योँ को करा पाऐंगें यह तो देखने वाली बात होगी।

बात हो रही है जिले की पिछोर विधानसभा सीट की यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी के.पी. सिंह कक्काजू लगातार पांच बार से विधायक रहे और इस बार पुन: भाजपा के प्रीतम सिंह लोधी को हराकर छठवीं बार विजयश्री प्राप्त की। लेकिन इस जीत के अलग ही कई मायने है और इस जीत से स्वयं कक्काजू भी सोचने को मजबूर है कि गत चुनावों में 25 हजार से अधिक मतों से विजयी प्राप्त करने के बाद इस बार के परिणाम में उन्हें महज 6-7 हजार वोटों की जीत मिली। इस जीत ने पिछोर क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दे दिया है और अन्य नेतागण भी सोचने को मजबूर है कि ऐसा कैसा जादू चला पिछोर में कि भाजपा के प्रीतम सिंह लोधी ने कांग्रेस के कद्दावर नेता के.पी. सिंह अल्प समय में ही कड़ी टक्कर दे दी।

जिले के पिछोर क्षेत्र में इस बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में ग्वालियर की जलालपुर पंचायत के सरपंच भैया प्रीतम सिंह लोधी को चुनाव मैदान में उतारा। यहां प्रीतम को उतारने का मकसद था कि कक्काजू के किले को भेदने के लिए एक बड़ा योद्धा ही चाहिए और इस भेदी के रूप में प्रीतम को आगे लाया गया, सुश्री उमा भारती के खास माने वाले प्रीतम सिंह लोधी ने जब नामांकन फार्म भरा तो जनता से विकास कार्यों के नाम पर वोट मांगे और महज 11-12 दिन के चुनाव प्रचार में उन्होंने मतदाताओं पर ऐसा प्रभाव डाला कि लगभग 73 हजार से अधिक मत प्राप्त किए वहीं दूसरी ओर कक्काजू को 78 हजार से अधिक मत मिले। इस तरह कोलारस में इस बड़ी जीत को कम अंतराल में सिमटाने के काम में प्रीतम के हौंसले और बढ़ा दिए है और संभव है कि वह अभी से आगामी समय की तैयारी शुरू कर दें।